शेयरों में गिरावट के बाद अडानी ग्रुप को उत्तर प्रदेश में भी बड़ा झटका लगा है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने तय दर से 40 फीसदी ज्यादा रेट की वजह से अडानी ग्रुप का प्रीपेड मीटर खरीद का टेंडर निरस्त कर दिया है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीद के लिए टेंडर जारी किया गया था। इस प्रक्रिया में 25 हजार करोड़ की लागत आनी थी। इनमें से 5400 करोड़ की मीटर खरीद मध्यांचल विद्युत वितरण निगम से ही की जानी थी। सबसे महंगी बोली लगाने के बावजूद अडानी ग्रुप को टेंडर हासिल करने का मजबूत दावेदार माना जा रहा था।
उत्तर प्रदेश के मध्यांचल विद्युत निगम ने स्मार्ट मीटर लगाने की बोली जीतने वाले अडानी के टेंडर को निरस्त कर दिया है। इस टेंडर को लेकर उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद और विद्युत नियामक आयोग (इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन) ने भी आपत्ति जताई थी।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का आरोप था कि जो स्मार्ट मीटर बाजार में 6000/- रुपये का है उसे अडानी समूह 10,000/- रुपये में सरकार को बेच रहा है। आरोप था कि मीटर के दाम 48 फीसदी से लेकर 65 फीसदी तक अधिक थे।
स्मार्ट मीटर का टेंडर रद्द किए जाने को लेकर परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का धन्यवाद दिया है। उन्होंने लिखा है कि उपभोक्ता परिषद की लड़ाई रंग लाई है।
उपभोक्ता परिषद ने इस टेंडर के खिलाफ विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी दायर की थी। इसके अलावा पावर कॉपोरेशन प्रबंधन इसे निरस्त करने की मांग कर रहा था। इसमें मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के टेंडर की लागत लगभग 5400/- करोड़ रुपये थी।
उपभोक्ता परिषद ने विदेशी कोयले की भांति इस उच्च दर वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को निरस्त करने की मांग थी। परिषद की मांग थी कि सरकार चार क्लस्टर की जगह 8 क्लस्टर में टेंडर निकाल कर अपनी निविदा नियमों पर टेंडर आमंत्रित करे। जिससे देश की अन्य मीटर निर्माता कंपनियां भी टेंडर में भाग ले पाएं और सही मायने में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरों में प्रतिस्पर्धा कायम हो सके।
अभी देश के निजी घरानों द्वारा बड़े कलस्टर में टेंडर को इसलिए बनवाया गया था, जिससे चाह कर भी देश की मीटर निर्माता कंपनियां टेंडर में भाग न ले पाएं और देश के बड़े निजी घराने बिचौलिया के रूप में टेंडर को हथिया कर बडा लाभ कमाएं।
टेंडर की लागत लगभग 5400/- करोड़ रूपये है। इस टेंडर की दर अनुमानित लागत से करीब 48 से 65 प्रतिशत अधिक थी। जिसकी वजह से इसका शुरू से ही विरोध हो रहा था। अब पश्चिमांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल और डिस्कॉम के टेंडर पर भी नजरें टिकी हुई हैं। दक्षिणांचल में भी अडानी समूह का टेंडर है।
प्रदेश में करीब 2.5 करोड़ प्रीपेट स्मार्ट मीटर लगने हैं। इनके लिए 25 हजार करोड़ के टेंडर हुए हैं। इसमें मैसर्स अडानी पावर ट्रांसमिशन के अलावा जीएमआर व इनटेली स्मार्ट कंपनी ने टेंडर का पार्ट दो हासिल किया था। इन्हें कार्य करने का आदेश जारी होने वाला था, लेकिन इनके टेंडर की दर को लेकर विरोध होने लगा।
टेंडर के प्रस्ताव के मुताबिक, हर मीटर की कीमत करीब 9 से 10, 000/- रुपये पड़ रही थी। जबकि अनुमानित लागत 6,000/- रुपये प्रति मीटर है। इस मामले में यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने प्रति मीटर अधिक मूल्य होने के मामले में ऊर्जा मंत्रालय से सलाह ली, लेकिन वहां से फैसला कॉरपोरेशन पर ही छोड़ दिया गया।
इस बीच उपभोक्ता परिषद ने महंगा मीटर लगाकर उपभोक्ताओं पर भार डालने का आरोप लगाया और मामले में मुख्यमंत्री से शिकायत की। परिषद ने नियामक आयोग में याचिका भी दायर कर दी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अधीक्षण अभियंता (वित्त) अशोक कुमार ने अडानी समूह का टेंडर निरस्त कर दिया है।
अब अन्य वितरण निगम और डिस्कॉम पर निगाह लगी हुई है। अधीक्षण अभियंता ने बताया कि तकनीकी कारणों से टेंडर निरस्त किया गया है। इसका विस्तृत विवरण दस्तावेज देखने के बाद बता पाएंगे।