प्रयागराज। ‘13 तारीख से परीक्षा शुरू है। सारी किताबें और नोट्स अंदर हैं। समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं। पढ़ाई के साथ रहने की भी दिक्कत है। आम तौर पर छात्रों को कमरा अगस्त-सितम्बर तक लोग दे देते हैं। इस समय लेने जाऊँगा तो लोग पूछेंगे अभी तक कहाँ रह रहे थे। और मुस्लिम हॉस्टल का नाम सुन कर पता नहीं लोग कमरा देंगे भी कि नहीं देंगे।’ उपरोक्त बातों में अपना दर्द पिरोकर मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल में रहकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे एक कम्यूटर छात्र ने जनचौक से कहा है। यह सिर्फ़ एक छात्र की पीड़ा नहीं है उस हॉस्टल में रहने वाले ढाई सौ बच्चों की तकलीफ़ है। बता दें कि होस्टल प्रशासन ने 5 मार्च को हॉस्टल खाली करने का नोटिस दीवारों पर चस्पा किया और अगले दिन प्रयागराज पुलिस प्रशासन ने हॉस्टल को सीज कर दिया।
गौरतलब है कि मुस्लिम बोर्डिंग हाउस (मुस्लिम छात्रावास) इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रमुख बॉयज हॉस्टल में से एक है। इसकी स्थापना 1892 में क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जंग बहादुर मौलाना समीउल्लाह खान द्वारा किया गया था।
छात्रावास सील होने के बाद बच्चे रो रहे हैं। वो घर वालों को इसलिए अपने हालात नहीं बता रहे हैं कि घर वाले नाहक परेशान होंगे। और फोर्स करेंगे कि पढ़ाई छोड़ो घर लौट आओ। हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने वाला एक एमए छात्र जनचौक संवाददाता को बताया कि 4 मार्च को हॉस्टल अधीक्षक इरफान और बरकत अली ने हॉस्टल के छात्रों से कहा कि आप लोग होली पर घर चले जाइए 10-11 मार्च तक आइएगा। उनकी बातें मानकर अधिकांश बच्चे होली पर घर चले गए और अगले दिन नोटिस लगा दिया गया और फिर उसके अगले दिन सीज कर दिया गया।

कई ग़रीब बच्चे होस्टल में रहते हैं। वो छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे हालात में उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। छात्र आगे अपने आर्थिक हालात का तकाजा देते हुए कहते हैं कि जो ग़रीब छात्र हैं वो दो खर्चे वहन नहीं कर सकते। उन्होंने पहले ही हॉस्टल फीस भर दिया है। अब अलग से किराये का कमरा लेने की हालत में नहीं हैं।
होली पर बच्चे घर जाते हैं
छात्रों का कहना है कि हॉस्टल अथॉरिटी न भी कहती तब भी बच्चे होली पर घर जाते ही जाते हैं। क्योंकि यहां दो दिन सब कुछ बंद रहता है खाने पीने को कुछ नहीं मिलता दो दिन। पूरी यूनिवर्सिटी बंद होने से लगती है श्मशान का सन्नाटा पसर गया हो। अधिकांश दुकानदार भी दुकानें बंद करके चले जाते हैं अपने गांव घर। कोई इधर दिखता नहीं है। कुछ खाने को नहीं मिलता है तो बच्चे होली पर घर जाते ही जाते हैं। बच्चों के जाते ही पूरा हॉस्टल सील कर दिया गया।
एक छात्र बताता है कि हॉस्टल जब सील किया गया तो उसमें लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश से आये छात्र थे। वो बच्चे रोते हुए बाहर निकले हैं। कश्मीर के कुछ बच्चे दो दिन से रेलवे स्टेशन पर हैं। छात्र कहते हैं जब वो लोग उत्तर प्रदेश का होकर इतने असहाय हैं अपनी व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं तो लद्दाख और कश्मीर के बच्चे कैसे करें।
छात्र बताते हैं चार महीने पहले हॉस्टल में कार्रवाई हुई थी, जब नये छात्रों को हॉस्टल अलॉट होना था। जो लोग यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ रहे थे और अवैध रूप से रह रहे थे उन्हें बाहर खदेड़कर 5-6 कमरों को सीज कर दिया गया था। और तब से हॉस्टल बहुत अच्छा चल रहा था बच्चे मन लगाकर पढ़ रहे थे। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होता है कि जब हॉस्टल में अवैध रूप से रहने वाले छात्रों को बाहर करके कमरों को सील कर दिया गया था तो आरोपी सआदत ख़ान कैसे बचा रह गया इसका जवाब हॉस्टल अथॉरिटी और पुलिस प्रशासन को देना होगा।

एक अन्य छात्र जनचौक संवाददाता को बताता है कि फाइनल ईयर वालों का एक पेपर हो गया है अगला पेपर 10 मार्च को है। फिर 15, 17,21, 23, 27 मार्च को पेपर है। जबकि वो हॉस्टल अथॉरिटी की बातें मानकर गांव चला गया था। हॉस्टल के कमरे में उसका आई कार्ड है, एडमिट कार्ड है, नोट्स हैं, लैपटॉप, किताबें हैं। एक सप्ताह बाद सबकी की लाइन से परीक्षा है। बिना एडमिट कार्ड के वो कैसे पेपर में बैठ पाएगा।
यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट सबकी परीक्षा शुरू है। मार्च और अप्रैल महीना पूरा परीक्षा का महीना है। अप्रैल में किसी का नेट का पेपर है, किसी का सेमेस्टर पेपर है। जबकि हॉस्टल को ईद तक के लिए सीज कर दिया गया है। ईद में अभी डेढ़ महीने का समय है। दो लोगों की सज़ा पूरे होस्टल के छात्रों को दिया जा रहा है। 250 बच्चों को निकालकर सीज कर दिया।
एक विज्ञान वर्ग का छात्र बताता है कि सचिव इरफ़ान और मुख्य सचिव बरकत अली ने 4 मार्च को छात्रों से मौखिक रूप से कहा कि होली पर छुट्टी होने वाली है लिहाजा आप लोग घर चले जाइये। होली बाद आइयेगा। छात्र बताता है कि वो केवल 2 कपड़ा लेकर घर गया था उसका कपड़ा, सामान, नोट्स सब होस्टल के कमरे में ही है। छात्र कहता है कि जब सारा सामान होस्टल में सीज है तो छात्र क्या पढ़ाई करें और क्या परीक्षा दें।
एमएससी छात्र मुस्लिम बोर्डिंग होस्टल में रहते हैं। उनका अलॉटमेंट ही 15 फरवरी को हुआ। 27 फरवरी तक परीक्षा चली। परीक्षा देकर इरफ़ान अपने घर कुशीनगर चले गये। कल रात उन्हें पता चला कि होस्टल सील कर दिया गया है। उनकी सारी मॉर्कशीट, किताबें और प्रैक्टिकल नोटबुक होस्टल में ही हैं। जबकि प्रैक्टिकल इक्जाम अभी बाक़ी है।
एक पीएचडी स्कॉलर छात्र अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहता है कि हमारे होस्टल को बेवजह ही सील कर दिया गया है। जबकि उनका सारा डॉक्यूमेंट, किताबें नोट्स और कपड़े और दूसरे ज़रूरी सामान वगैरह कमरे के अंदर ही सील हो चुका है। छात्र कहता है कि अभी चार महीना ही उन्हें होस्टल फ़ीस जमा किये हुआ है और पूरा सेशन अभी बाक़ी है और होस्टल बंद हो गया है। जिसके कारण बहुत समस्या हो रही है। किसी की परीक्षा चल रही है, किसी की परीक्षा शुरु होने वाली है। छात्र सवाल पूछते हैं कि वो परीक्षा की तैयारी करें या फिर घूम-घूमकर रेंट पर कमरा तलाश करें।
एक अन्य छात्र कहता है कि 2-3 अवैध लोगों के चक्कर में दो ढाई सौ बच्चों को परेशान किया जा रहा है। दिसम्बर जनवरी में 12000 रुपये फ़ीस जमा करवाया गया है। और बीच सेशन में होस्टल से बाहर निकाल दिया है। नेट जेआरएफ का पेपर होने वाला है। और लैपटॉप, किताब, नोट्स सब बंद हैं। जो लीगल बच्चे हैं जिन्होंने होस्टल फीस जमा किया है उन्हें वहां से नहीं निकालना चाहिए जो अवैध हों उन्हें होस्टल प्रशासन और पुलिस प्रशासन हैंडल करे।
एक अन्य छात्र जनचौक संवाददाता से कहता है कि जहां तक बात संदिग्ध आरोपी के हास्टल से संबंधित होने की है तो वो कस्टडी में है और उसकी गिरफ्तारी भी हॉस्टल से नहीं हुई है।
और बात अगर हास्टल में अवैध रहने की है तो ये हास्टल प्रशासन, यूनिवर्सिटी प्रशासन और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि अवैध लोगों को हॉस्टल से निकाले। आम छात्र इस मामले में झेल रहा है। पढ़ाई भी बहुत डिस्टर्ब हो रही है।
होस्टल प्रशासन और पुलिस प्रशासन के इस कदम से उस होस्टल में रह रहे तमाम छात्र हलकान हो रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि बहुत से रिपोर्टर आये छात्रों ने अपनी तकलीफ़ें उनसे बयां किया लेकिन रिपोर्टरों ने छात्रों की आवाज़ उठाना ज़रूरी नहीं समझा। शायद इससे उनका एजेंडा प्रभावित होता।
हॉस्टल अथॉरिटी की सफाई
जनचौक संवाददाता ने जब होस्टल अधीक्षक इरफ़ान से फोन पर पूछा कि छात्रों के आईकार्ड, किताब और नोट्स कमरे के अंदर हैं और पूरा होस्टल सील है तो छात्र परीक्षा कैसे दें। आप लोग इसका निस्तारण कैसे करेंगे। जवाब में वो कहते हैं कि प्रशासन ने हॉस्टल सील किया है। इसका निस्तारण तो प्रशासन ही कर सकता है। हॉस्टल अथॉरिटी तो नहीं कर सकती इसका निस्तारण। जनचौक ने उनसे पूछा कि प्रशासन को मनाने का काम हॉस्टल अथॉरिटी का है, बच्चे तो प्रशासन से जाकर यह नहीं कहेंगे ना कि उनकी किताबें और नोट्स कमरे में सील हैं। जवाब में अधीक्षक महोदय कहते हैं कि “हां आप ठीक कह रहे हैं लेकिन उन्होंने होस्टल के साथ हम लोगों का ऑफिस तक सील कर दिया है, हम लोगों के काम करने तक के लिए जगह नहीं छोड़ा है तो अब हम लोग क्या करें बताइए।”

जनचौक ने जब उनसे पूछा कि बच्चों का यह आरोप है कि आप लोगों ने 4 मॉर्च को बच्चों को होली पर घर जाने को कहा। बच्चे चले गये तो आप लोगों ने नोटिस लगा दिया हॉस्टल खाली करने का। फिर अगले दिन सील हो गया हॉस्टल। इस आरोप पर अधीक्षक महोदय कहते हैं कि हां उन लोगों ने बच्चों को होली पर घर जाने को कहा था क्योंकि होली पर यूनिवर्सिटी बंद हो गई थी। लेकिन फिर अगले दिन प्रशासन के दबाव में नोटिस लगाना पड़ा और अगले ही दिन उन्होंने सील कर दिया।
6 मार्च को प्रशासन ने सील किया हॉस्टल
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड मामले में पुलिस प्रशासन ने मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल को सील कर दिया है। यह हॉस्टल इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध है। प्रयागराज पुलिस ने दावा किया है कि उमेश पाल हत्याकांड की साजिश इसी हॉस्टल में रची गई थी। पुलिस के मुताबिक इलाहाबाद विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र सदाकत खान अवैध तरीके से मुस्लिम बोर्डिंग के कमरा नंबर 36 में रहता था। इसी कमरे में सदाकत ख़ान माफिया अतीक के शूटर गुलाम, गुड्डू मुस्लिम ने मिल बैठकर हत्याकांड की साजिश रचा था। ग़ाज़ीपुर निवासी सदाकत ख़ान पुत्र शमशाद ख़ान को पुलिस ने पूछताछ के बाद 27 फरवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
हॉस्टल सील किये जाने के बाद मुस्लिम छात्रावास के अधीक्षक डाक्टर इरफान अहमद खान ने मीडिया को बताया है कि अन्य छात्रों की सुरक्षा की दृष्टि से सोमवार को हॉस्टल खाली कराके इसे सील कर दिया गया है। गौरतलब है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम छात्रावास के अधीक्षक डाक्टर इरफान अहमद खान की ओर से छात्रों के लिए रविवार को आवश्यक सूचना ज़ारी किया गया।
5 मार्च को हॉस्टल के दीवारों पर नोटिस चस्पा किया गया। नोटिस में कहा गया कि पांच मार्च, 2023 को हॉस्टल प्राधिकरण की बैठक में फैसला किया गया कि वर्तमान हालात को देखते हुए छह मार्च, 2023 को सभी छात्र अपने सामान के साथ हॉस्टल खाली कर दें। इस नोटिस में आगे कहा गया है कि हॉस्टल छः मार्च, 2023 से ईद तक यह बंद रहेगा। अन्यथा की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। इस तरह नोटिस चस्पा होने के बाद 24 घंटे से भी कम समय में मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल को सीज कर दिया गया।
आइसा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी इकाई सचिव विवेक कुमार जनचौक को प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं ये तो छात्रों को बाहर निकालने का बंदोबस्त है। छात्र नेता ने आगे कहा कि जब आरोपित एक कमरे में रहता था और उसे पहले ही कहीं बाहर से गिरफ्तार करके 36 नंबर कमरे को सील किया जा चुका है तो अब पूरा छात्रावास खाली कराने और सीज करने का क्या तुक बनता है। छात्र नेता विवेक कुमार सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि कोई पूर्व छात्र यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में अवैध तरीके से इतने दिनों से रह रहा था तो प्रशासन क्या कर रहा था। इसकी जवाबदेही तो हॉस्टल प्रशासन की है ना। उन पर कार्रवाई करने के बजाय बेक़सूर छात्रों को क्यों परेशान किया जा रहा है।
समाजवादी छात्रसभा के छात्र नेता अजय यादव सम्राट जनचौक को दिये अपनी प्रतिक्रिया में कहते हैं बेशक जो अपराधी हैं उन पर कार्रवाई हो लेकिन निर्दोष लोगों को तो न परेशान किया जाये। बच्चे यहां गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर, बरेली, बिहार दूर दूर से आकर पढ़ रहे हैं। छात्र नेता कहते हैं कि अचानक से आप पूरा हॉस्टल सील कर दिया तो वो अपना सर सामान लेकर कहां जायें इतनी जल्दी कहां मिलेगा उन्हें कमरा। ये पढ़ने वाले छात्र हैं 15-16 हजार रुपये फ़ीस देकर हॉस्टल में रह रहे हैं। दो सप्ताह बाद उनकी परीक्षा शुरु होने वाली है। इन्होंने ईद तक के लिए सीज कर दिया है। जबकि ईद 21-22 अप्रैल को है। ऐसे में बच्चे क्या करें उनकी परीक्षा की तैयारी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)
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