मणिपुर हिंसा: कुकी के बाद अब नागा भी आए हिंसा की चपेट में

नई दिल्ली। मणिपुर में हिंसा और तनाव कम नहीं हो रहा है। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच शुरू हुए खूनी खेल का दायरा बढ़ता जा रहा है। शनिवार को मणिपुर में 57 वर्षीय नागा महिला की हत्या से हिंसा प्रभावित राज्य में तनाव को और भी बढ़ा दिया है। नागा महिला की हत्या का आरोप मैतेई संगठन ‘अरामबाई तेंगगोल’ पर लगाया जा रहा है। इस घटना से नागाओं में गुस्सा और चिंता का माहौल है।

जबकि मैतेई समुदाय ने इन आरोपों को खारिज किया है, और नागा महिला की हत्या की निंदा करते हुए बयान भी दिया है। लेकिन नागा समुदाय इस घटना से आक्रोशित है।

ऐसा माना जा रहा है कि मारिंग नागा समुदाय की सदस्य लुसी मारेम की शनिवार को पूर्वी इंफाल जिले के केइबी हेइकक मापल गांव की तलहटी के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के अगले दिन, पांच महिलाओं सहित मैतेई समुदाय के नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया। 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद पूर्वी इम्फाल की पुलिस ने घटना के जवाब में की गई कार्रवाई के विवरण को मीडिया से अवगत कराने के लिए रविवार शाम को एक प्रेस बैठक आयोजित की। राज्य पुलिस ने जवाबी कार्रवाई पर हिंसा के बाद पहला प्रेस कांफ्रेंस किया है।

मणिपुर में जारी हिंसा में अब तक 140 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, जिसमें ज्यादातर मैतेई और कुकी समुदाय के लोग ही शामिल थे, लेकिन मारेम की हत्या पहला मामला है जिसमें नागा समुदाय के किसी सदस्य के मारे जाने की खबर आयी है।

मारेम के परिजनों के अनुसार, वह मानसिक रूप से बीमार थी और शनिवार सुबह पश्चिम इंफाल जिले के लैंगोल गेम्स विलेज में अपने आवास से लापता हो गई थी। उन्हें नहीं पता था कि मारेम केबी इलाके में कैसे पहुंची, जो कि उसके घर से लगभग 20 किमी दूर है। मारेम की चचेरी बहन तबीथा बताती हैं कि परिवार को जब पता चला कि वह लापता है तभी उन्हें दोपहर 2 बजे के करीब मारेम के पैतृक गांव पल्लेल से फोन आया। उसके चचेरे भाई का कहना है कि, फोन करने वाले ने परिवार को बताया कि ऐसी सूचना मिली है कि “लूसी को मीरा पैबिस (मैतेई महिला कार्यकर्ता) के लोगों ने पकड़ लिया है”।

दोपहर करीब 2.30 बजे, परिवार को पुलिस से एक फोन आया और उन्हें इंफाल के जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के शवगृह में एक शव की पहचान करने के लिए कहा गया। तबीथा ने कहा कि “लोग इतने क्रूर कैसे हो सकते हैं, एक निर्दोष और मासूम इंसान को बेरहमी से मार रहे हैं? हमें बाद में पता चला कि लूसी को मारिंग नागा जनजाति से संबंधित होने की पहचान बताने के बाद मार दिया गया था। हम इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं”।

इस घटना के बाद नागाओं की संस्था यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) के द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के बंद के जवाब में, सोमवार को राज्य के पांच नागा बहुल जिलों में जनजीवन ठप हो गया। रविवार को एक कड़े बयान में, यूएनसी ने मीरा पैबिस पर मारेम को पकड़ने और उसे मैतेई कट्टरपंथी समूह अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों को सौंपने का आरोप लगाया है।

एक अन्य घटनाक्रम में, अरामबाई तेंगगोल, जिस समूह का मई में भंग होने का दावा किया गया था, उस समूह ने सोमवार को एक बयान जारी कर मारेम की हत्या की निंदा किया और दावा किया है कि इस समूह का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। बयान में कहा गया है कि समूह का उद्देश्य “मणिपुर के सभी स्वदेशी लोगों के भविष्य को बचाना” है।

मैतेई और नागा दोनों समूहों के बीच एक आम धारणा यह है कि उनका समुदाय कुकी समुदाय के विपरीत मणिपुर के मूल निवासी हैं। हत्या की निंदा व्यक्त करने के लिए, केबी क्षेत्र के निवासियों ने कथित तौर पर मारेम की हत्या में शामिल लोगों के चार घरों को ध्वस्त कर दिया और आरोपियों को “बहिष्कृत” करने का दावा किया है।

केबी में एक स्थानीय क्लब के अध्यक्ष अनिल हुइड्रोम ने कहा कि, “हम इस घटना से बहुत परेशान हैं। हम में इतनी समझ है कि हम राज्य में रहने वाले किसी भी स्वदेशी समुदाय को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे”।

मणिपुर में तीन प्रमुख जातीय समूह हैं, मैतेई, नागा और कुकी। नागा समुदाय ने जारी हिंसा से अपनी दूरी बनाए रखा है और एकमात्र प्रमुख बयान राज्य के 10 नागा विधायकों के हैं, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि कुकी समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन के संबंध में किसी भी प्रकार के समझौते के मामले में नागा क्षेत्र प्रभावित नहीं होने चाहिए।

हालांकि मारेम की हत्या पर नागा निकायों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। नागा पीपुल्स फ्रंट के विधायक लोसी दिखो ने कहा कि समुदाय जवाब और कार्रवाई की मांग कर रहा है।

(इसमें ज्यादातर इनपुट इंडियन एक्सप्रेस से लिया गया है।)

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