मणिपुर में दो महिलाओं का वीडियो आने के बाद दुनिया भर में मणिपुर की हिंसा चिंता और चर्चा का विषय बन गई है। अंतर्राष्टीय मीडिया में भी यह खबर छायी हुई है। ब्रिटिश संसद में भी यह मुद्दा उठाया गया। ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता (एफआरओबी) के विशेष दूत, सांसद फियोना ब्रूस ने सदन के मुख्य कक्ष में “मणिपुर में जारी बड़ी हिंसा” के बारे में चिंता जताई। इतना ही नहीं गुरुवार को हाउस ऑफ कॉमन्स में हिंसा पर रिपोर्टिंग न करने के कारण बीबीसी की आलोचना हुई।
सदन में पूछे गए मौखिक प्रश्न का जवाब देते हुए चर्च के कमिश्नर सांसद फियोना ब्रूस ने कहा, “मई के शुरुआती दिनों में ही सैकड़ों चर्च ध्वस्त करने के साथ जला दिए गये थे। 100 से अधिक लोग मारे गए। 5000 से अधिक लोग विस्थापित होने को बाध्य किए गए। स्कूल और सेमिनरी को भी निशान बनाया गया। ऐसे लगता है कि सब कुछ बेहद व्यवस्थित और सुनियोजित तरीके से किया गया। इस सब कुछ के पीछे धर्म मुख्य वजह बना। इस सब कुछ के बारे में बहुत कम रिपोर्टिंग हुई है। वहां के लोग मदद के लिए चीख-पुकार कर रहे हैं। चर्च ऑफ इंग्लैंड उनकी चीख-पुकार की ओर ध्यान दिया जाए इसके लिए क्या कर सकता है?” ब्रूस ने पूर्व बीबीसी रिपोर्टर डेविड कैम्पैनेल की रिपोर्ट का हवाला देते ये सवाल पूछे। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता या विश्वास गठबंधन (आईआरएफबीए) के लिए डेविड कैम्पैनेल ने यह रिपोर्ट तैयार की थी, जिसके अध्यक्ष ब्रूस हैं।
15 मई को आईआरएफबीए के विशेषज्ञों की परिषद ने अपनी बैठक में मणिपुर की हिंसा पर अपनी चिंता जताई थी। उसके बाद बीबीसी की पूर्व रिपोर्ट से मणिपुर की हिंसा के बारे में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया। इस रिपोर्ट में मणिपुर की हिंसा के प्रत्यक्षदर्शियों से ली गई जानकारी को भी शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, “ जिस तरह से प्रार्थना स्थलों का विध्वंस किया गया है कि वह गंभीर चिंता एवं सरोकार का विषय है।.. इसके चलते प्रार्थना करने और प्रार्थना के लिए इकट्ठा होने के बुनियादी अधिकार का स्पष्ट हनन नजर आता है। इन चर्चों के पुर्निमाण के लिए संसाधनों की जरूरत है। सबसे ज़रूरी है कि लोग सुरक्षित तरीके से प्रार्थना कर सकें और क्रिश्चियन धार्मिक विश्वासों का पालन कर सकें।”
दूसरे चर्च कमिश्नर सांसद एंड्रयू सेलस ने चर्च कमिश्नर का प्रतिनिधित्व करते हुए बहस में उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा है, “ ब्रूस ने सदन के सामने यह मामला ( मणिपुर में हिंसा) प्रस्तुत करके बहुत ही महत्वपूर्ण काम किया है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वे और मैं इस मुद्दे पर बीबीसी और अन्य मीडिया संस्थानों से बेहतर रिपोर्टिंग की उम्मीद रखते थे। जो कुछ उन्होंने ( ब्रूस) बताया है, वह भीतर तक हिला देने वाला है। और मैं समझता हूं कि कैंटरबरी के आर्कबिशप, जिन्होंने 2019 में भारत की यात्रा की थी, इस मामले का संज्ञान लेंगे।”
( टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पर आधारित।)
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