Saturday, April 20, 2024

उपहार अग्निकांड में सबूतों से छेड़छाड़ के लिए सुशील और गोपाल अंसल को सात साल कैद, ₹2.5-2.5 करोड़ जुर्माना

उपहार सिनेमा अग्निकांड के सबूत मिटाने के आरोप में अंसल बंधुओं- सुशील और गोपाल अंसल को सात साल की जेल की सजा सुनाई गई है। दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में दोनों भाइयों पर 2.5-2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उपहार त्रासदी पीड़ित एसोसिएशन ने 24 साल पहले हुए अग्निकांड में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में दोनों भाइयों को उम्रकैद की सजा देने की मांग की थी। कोर्ट के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा एवं अन्य दो आरोपियों पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी सात-सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने इन तीनों पर 3-3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

चौबीस साल पहले 13 जून 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा में ‘बॉर्डर’ फिल्म चल रही थी। मैटिनी शो के दौरान फिल्म चल रही थी तभी सिनेमा हॉल में आग लग गई जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई। उपहार सिनेमा दक्षिणी दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके में स्थित था।

अदालत ने इस मामले में 8 अक्टूबर को रियल एस्टेट बिजनसमेन अंसल बंधुओं, अदालत के एक पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा और पी. पी. बत्रा तथा अनूप सिंह को दोषी करार दिया था। अन्य दो आरोपियों हरस्वरूप पंवार और धर्मवीर मल्होत्रा की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी। एवीयूटी अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था, जिसके आधार पर यह मामला दर्ज किया गया। यह मामला अग्निकांड के साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने का है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं को दोषी करार देते हुए उन्हें दो-दो साल कारावास की सजा सुनाई थी।

वर्ष 1997 की इस भयावह त्रासदी में कुल 28 परिवार के लोंगों ने अपनों को गंवाया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए केस सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने 15 नवम्बर 1997 को कुल 16 लोगों को आरोपी बनाते हुए चार्जशीट दाखिल की। इसमें उपहार के मालिकों गोपाल अंसल और सुशील अंसल भी शामिल थे।20 नवंबर 2007 को लंबी सुनवाई के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने 12 आरोपियों को सजा सुनाई। अंसल बंधुओं को लापरवाही से मौत सहित अन्य धाराओं में सजा सुनाई गई। इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट गया। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अंसल बंधुओं का बेल कैंसिल किया गया। हाई कोर्ट ने 6 आरोपियों को सजा सुनाई और अंसल बंधुओं की सजा 2 साल से घटा कर 1 साल कैद कर दी। इस दौरान अंसल बंधुओं को जेल भेजा गया।

सुशील अंसल ने पांच महीने 20 दिन जेल में बिताए, जबकि गोपाल अंसल ने 4 महीने 22 दिन जेल में काटे। उच्चतम न्यायालय ने उन्हें बेल दे दी। उपहार हादसा पीड़ित एसोसिएशन ने सजा बढ़ाने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सीबीआई ने भी सजा बढ़ाने की अपील की। उच्चतम न्यायालय में करीब एक साल सुनवाई हुई और ऑर्डर रिजर्व्ड हो गया। 5 मार्च 2014 को उच्चतम न्यायालय ने अंसल बंधुओं और एक अन्य को लापरवाही से मौत के मामले में दोषी करार दिया और सजा पर फैसले के लिए मामला 3 जजों की पीठ को संदर्भित कर दिया।

उच्चतम न्यायालय ने 13 अक्टूबर, 2011 को हादसे में मारे गए और घायलों को कुल 6.35 करोड़ मुआवजा देने का निर्देश दिया था साथ ही इस रकम के ब्याज का भी भुगतान करने को कहा था।इसके मुख्य केस में उच्चतम न्यायालय ने अंसल बन्धुओं को दो-दो साल की सज़ा सुनाई थी। हालांकि कोर्ट ने जेल में उनके बिताए गए समय को ध्यान में रखते हुए इस शर्त पर रिहा करने का आदेश सुना दिया था कि वो दोनों 30-30 करोड़ की राशि ट्रामा सेंटर के निर्माण के लिए देंगे। उपहार सिनेमा अग्निकांड हादसे में 59 लोगों की जान चली गई थी।

पिछली सुनवाई में अदालत ने कहा था कि सुशील अंसल और गोपाल अंसल ने कानून के शासन की महिमा को कमजोर किया है। उन्होंने न केवल दिल्ली की न्यायपालिका की संस्थागत अखंडता को क्षीण कर दिया बल्कि आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन पर भी गंभीर रूप से चोट पहुंचाई है। ऐसे दोषियों के सुधार की संभावना नहीं है। दोषियों को आजीवन कारावास की सजा मिलनी चाहिए। उपहार केस के साक्ष्यों को नष्ट करने के मामले में दोषी ठहराए गए अंसल बंधुओं सहित अन्य की सजा निर्धारण पर दिल्ली पुलिस व पीड़ितों ने अदालत के समक्ष उक्त तर्क रखा।

पटियाला हाउस अदालत के मुख्य महानगर दंडाधिकारी पंकज शर्मा के समक्ष उन्होंने कहा सुशील अंसल और गोपाल अंसल नाम के दोषियों से सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती। वे मुख्य मामले में भी दोषी ठहराए गए हैं और उनके खिलाफ कई अन्य आपराधिक मामले विचाराधीन हैं।इस मामले ने एक धारणा बनाई है कि अमीर और ताकतवर लोग किसी भी चीज से बच सकते हैं और वे न्यायिक व्यवस्था को अपने पक्ष में कर सकते हैं। अदालत के सम्मान के लिए इस धारणा को भी तोड़ना होगा। न्यायालय ऐसे गंभीर अपराध पर आंखें मूंद नहीं सकता। वहीं अंसल बंधुओं के अधिवक्ता ने दया की अपील करते हुए कहा उनकी आयु 80 वर्ष से ज्यादा है और वे परिवार में कमाने वाले एक मात्र सदस्य हैं। उनकी दोनों बेटियां अलग रहती हैं। इसके अलावा पत्नी की देखभाल करनी है। उसने दो हजार लोगों को रोजगार दिया है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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