बीएचयू सामूहिक बलात्कार कांड के आरोपियों की जमानत का सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने किया विरोध

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लखनऊ। आज आईआईटी बीएचयू सामूहिक बलात्कार कांड 2023 के तीन आरोपियों की जमानत और इसके परिणामस्वरूप पीड़िता के डर और मानसिक उत्पीड़न के कारण आईआईटी परिसर से चले जाने के विरोध में लखनऊ के नागरिक समाज द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।

यह मामला 1 नवंबर, 2023 का है, जब वाराणसी के बीजेपी आईटी सेल से जुड़े सक्षम पटेल, आनंद चौहान और कुणाल पांडे नाम के तीन लड़कों ने आईआईटी बीएचयू परिसर में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया था।

आईआईटी और बीएचयू परिसर में गैंगरेप के इस मामले और इसी तरह के अन्य मामलों के खिलाफ (जो इस परिसर में एक आम घटना है) विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया। 

3 नवंबर, 2023 को बीएचयू के प्रमुख स्टूडेंट्स द्वारा अनिश्चितकालीन धरने का आयोजन किया गया था। जब आंदोलन ने गति पकड़ी और यह मामला हर मीडिया में दिखाया जाने लगा तो एबीवीपी (बीएचयू) के सदस्यों (जो कि बीएचयू प्रशासन और वाराणसी के पुलिस प्रशासन द्वारा समर्थित थे) द्वारा उन प्रदर्शनकारियों को पीटा गया और लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की गई।

उल्टा धरनारत स्टूडेंट्स के खिलाफ एससी और एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 सहित विभिन्न गंभीर आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आखिरकार इन छात्रों को सितंबर 2024 में सामूहिक बलात्कार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने के लिए बीएचयू प्रशासन द्वारा निलंबित कर दिया गया था। 

इस बीच तीनों आरोपी खुलेआम घूम रहे थे और मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव 2023 के दौरान बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे थे। सोशल मीडिया पर उनकी कई तस्वीरें है जो पीएम नरेंद्र मोदी, यूपी सीएम आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी, जेपी नड्डा और कई अन्य शक्तिशाली बीजेपी हस्तियों के साथ उनके संपर्क को दर्शाती हैं।

अंततः 30 दिसंबर 2023 को उन्हें वाराणसी से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने अपने बयान में कुबूल किया कि कैंपस में पहले भी उन्होंने इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया है। अभी दिसंबर, 2024 में 11 महीने की कैद के बाद ही उन्हें जमानत मिल पाती है, जो हमारे समाज के लिए शर्म की बात है।

कार्यपालिका और न्यायपालिका का गठजोड़ इस तथ्य से स्पष्ट है कि राजनीतिक असहमति जताने वालों को बिना सुनवाई के मनगढ़ंत मामलों में कैद कर दिया जाता है। उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशां, शरजील इमाम, खालिद शैफी, महेश राउत, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, ज्योति जगताप, रमेश गाइचोर, हनी बाबू आदि कार्यकर्ता कई वर्षों से बिना पैरोल और जमानत आदेश के न्यायिक हिरासत में हैं।

जबकि भाजपा ने राम रहीम, कुलदीप सिंह सेंगर, चिन्मयानंद और कई अन्य लोगों की रक्षा की, बलात्कारियों या इसी तरह के गंभीर मामलों के आरोपियों को न्यायपालिका से अत्यधिक राहत दी गई है। राम-रहीम को हाल ही में 4 साल की कैद में 16वीं पैरोल मिली है। यह न्यायपालिका जनविरोधी है और सत्तारूढ़ दल की सेवा कर रही है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा, राकेश वेदा (इप्टा) मधु गर्ग (एडवा ), कौशल किशोर (जसम), मोहम्मद शोएब (रिहाई मंच, आकांक्षा आजाद (बीएसएम), शांतम (आइसा), नाइश हसन (सामाजिक कार्यकर्ता) कांति मिश्रा (महिला फेडरेशन) ने संबोधित किया।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में फरजाना मेंहदी, असगर मेंहदी, अरुंधति धुरू, भगवान स्वरूप कटियार, राजीव ध्यानी, शिवम सफीर ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।

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