Friday, March 29, 2024

बदायूं गैंगरेप पर भड़क उठी कांग्रेस, कहा- यूपी में अपराधियों के खुले संरक्षण का नतीजा हैं बलात्कार की घटनाएं

कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि हम सबके सामने दावा किया जाता है कि उत्तर प्रदेश में राम राज्य है। हम हाथरस की वीभत्स घटना से, गैंगरेप की वारदात से उबर भी नहीं पाए थे, अब एक और घटना उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से हम सबके सामने आई है। यहां खुलेआम अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है। भाकपा माले ने भी घटना की निंदा की है। राज्य इकाई ने बंदायू गैंगरेप और हत्या मामले में मुख्यमंत्री योगी की कानून-व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि घटना जितनी शर्मनाक है, पुलिस की भूमिका उससे कम शर्मनाक नहीं है।

कांग्रेस मुख्यालय पर पत्रकारों से बात करते हुए सुश्री अल्का लांबा ने कहा कि बदायूं की ये घटना 3 जनवरी, रविवार के दिन की है, लेकिन आज 6 तारीख को हम सब तक ये जानकारी पहुंची कि बदायूं में 50 वर्षीय महिला जो मंदिर में पूजा करने गई थी, वहां पर मंदिर के पुजारी और उनके दो और साथियों ने इस हमारी आंगनबाड़ी सहायिका के साथ सामूहिक बलात्कार ही नहीं किया, बल्कि उसकी निर्मम हत्या भी कर दी गई।

पुलिस प्रशासन की कोशिश रही कि इसे एक आत्महत्या का मामला बता कर रफा-दफा कर दिया जाए। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि वो थाने गए, लेकिन थाने में जो पुलिस अधिकारी थे, उन्होंने इस पूरी घटना को गंभीरता से नहीं लिया। समय पर घटना स्थल पर पहुंचना चाहिए था, सबूत एकत्र करने चाहिए थे, लेकिन उसमें देरी हुई, जिसका फायदा उठाकर, जो मुख्य आरोपी है, वो अभी तक फरार है।

कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा कि हमने उन्नाव की घटना देखी, हमने हाथरस की घटना देखी और वही पैटर्न यहां पर भी हमें देखने को मिल रहा है कि महिलाओं के खिलाफ जिस तरह से जघन्य अपराध हो रहे हैं, उसमें ऐसी घटनाओं को रोकने में पूरा का पूरा पुलिस, प्रशासन और सरकार न केवल बार-बार फेल हो रही है, बल्कि ऐसा देखने में आ रहा है कि आरोपियों को संरक्षण देने में, उन्हें बचाने में, उनके खिलाफ किसी भी तरह की कानूनी कार्यवाही में देरी करते हुए उन्हें बचाने की भी कोशिश कर रही है, जो उन्नाव, हाथरस के बाद अब आपको बदायूं की इस घटना में भी देखने को मिल रहा है।

हमारा ये कहना है, ये अपने आप में बेहद गंभीर मामला है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बिल्कुल भी महिलाओं के साथ हो रहे जघन्य अपराधों को लेकर गंभीर नहीं है, क्योंकि लगातार ये अपराध बढ़ रहे हैं। अपराधियों में किसी भी तरह का खौफ और डर हमें देखने को नहीं मिल रहा है, वरना हाथरस की घटना अभी बहुत पुरानी नहीं हुई है। सितंबर, 2020 की घटना है, जिसे आज चार महीने होने जा रहे हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री द्वारा कहा जाता है कि सात दिन के अंदर अब तो फांसी और सजाएं होती हैं। उन्नाव का मामला हो, हाथरस का आरोपी हो, अभी भी हमारे बीच में जिंदा है और अब इस घटना के बाद भी हमें लगता है कि बिल्कुल जांच होनी चाहिए जो मुख्य आरोपी अभी तक नहीं पकड़ा गया, उसके न पकड़े जाने के पीछे कौन लोग हैं?

क्या उन्नाव और हाथरस की घटना की तरह बदायूं में भी भाजपा के नेता इन आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं? अभी तक 3 दिन बीत चुके हैं, शायद इसीलिए पुलिस मुख्य आरोपी को पकड़ने में कामयाब नहीं हुई है। उन्होंने पीड़िता के परिवार का आरोप है कि घटनास्थल पर पुलिस समय पर नहीं पहुंची। पीड़िता, जो अब हमारे बीच में नहीं है, उनके परिवार ने कहा कि एफआईआर करने में देरी की गई है। एफआईआर में आत्महत्या दिखाने की कोशिश की गई, दबाव बनाया गया कि आत्महत्या बताया जाए।

पोस्टमार्टम करने में 48 घंटे की देरी की गई और 48 घंटे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जब सामने आती है तो इस बात का खुलासा होता है कि पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार ही नहीं हुआ बल्कि उसकी निर्मम हत्या भी हुई। कहते हुए हिम्मत जुटानी पड़ रही है कि उसके निजी पार्ट में रॉड घुसाई गई, उसकी पसलियां, उसकी टांगे तोड़ दी गईं, उसे बिल्कुल मोहताज कर दिया गया और उसे कुएं के अंदर फेंक दिया गया।

पुलिस कोशिश करती रही कि इस मामले को दबा दिया जाए, लेकिन सच्चाई छुपती नहीं है, आज हम सबके सामने है और हम मांग करते हैं कि आज तीसरा दिन है, तो जल्द से जल्द अगले 24 घंटे के अंदर जो मुख्य आरोपी है, उसकी गिरफ्तारी की जाए। फास्ट ट्रैक कोर्ट के अंदर केस, मुकदमा चलाते हुए जो आरोपी हैं, उन्हें फांसी के तख्तों पर पहुंचाया जाए। इस मामले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज के अधीन करवाई जाए। कांग्रेस की मांग है कि पीड़िता के परिवार को कानूनी मदद के साथ कांग्रेस 50 लाख रुपये आर्थिक मदद तुरंत पहुंचाई जाए।

उत्तर प्रदेश राज्य से तब उम्मीद और भी बढ़ जाती है, जब पता चलता है कि वहां की राज्यपाल खुद एक महिला हैं। मुझे नहीं मालूम कि उनका बयान अभी तक क्यों नहीं आया है, जबकि वो एक महिला राज्यपाल हैं और एक के बाद एक महिलाओं के साथ जघन्य अपराधों में कमी आने के बजाए, उसमें बढ़ोतरी होती जा रही है। हमारे देश की महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी जी भी इसी राज्य, उत्तर प्रदेश से आती हैं। हाथरस के मामले में खामोश रहीं, उन्नाव के मामले में वो खामोश रहीं, अब उम्मीद करते हैं कि बदायूं के इस गैंगरेप और हत्या के मामले में वो खामोश नहीं रहेंगी और अगर नव वर्ष की अपनी छुट्टियां मना कर अपने परिवार के साथ वापस लौट आई हों और उन्हें फुर्सत मिल गई हो, तो बिना समय गंवाए बदायूं के इस पीड़िता के परिवार को जाकर मिलें, उन्हें यकीन और विश्वास दिलाएं कि पुलिस उत्तर प्रदेश का प्रशासन और योगी सरकार जिस तरह से उन्नाव और हाथरस में आरोपियों को बचाने की कोशिश करती रही, वो कोशिश अब हमें बदायूं के इस मामले में देखने को नहीं मिलेगी।

स्मृति ईरानी जी को बंगाल और असम के चुनावों में जाना है, वहां पर प्रेस वार्ता करना, मुखर होना उनकी प्राथमिकताओं में है, लेकिन देश की महिला विकास मंत्री होने के नाते हम भी उम्मीद करते हैं कि अपनी प्राथमिकताओं में देश नहीं, कम से कम अपने उत्तर प्रदेश, जहां पर आपकी भाजपा की सरकार है, वहां को आप प्राथमिकता पर रखते हुए, वहां की महिलाओं को न्याय और सुरक्षा दे पाएं। ये सब बात कहते हुए बहुत ही दुख और पीड़ा हो रही है कि कतई भी संवेदनशीलता और गंभीरता हमें उत्तर प्रदेश की भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार में देखने को नहीं मिल रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी बदायूं के इस पीड़िता के परिवार को विश्वास दिलाना चाहती है कि वह हमेशा पीड़िता के परिवार के साथ, उनकी न्याय की लड़ाई में खड़ी रही है। इस मामले में भी कांग्रेस अपनी नजर बनाए रखेगी। किसी भी तरह के अन्याय या न्याय में देरी को कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी और उसके लिए हमें हाथरस की तरह सड़कों पर एक बार फिर से उतरना पड़ेगा, तो हम उतरेंगे। हम उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को एक बार फिर से आरोपियों के साथ उनके समर्थन में या उनको बचाने की कोशिश को कतई भी बर्दाश्त नहीं करेंगे।

उधर, भाकपा माले की राज्य इकाई ने बदायूं गैंगरेप और हत्या मामले में मुख्यमंत्री योगी की कानून-व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया है। राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि बदायूं में महंत ने गुर्गों के साथ मिलकर मंदिर में पूजा करने गई महिला के साथ निर्भया कांड जैसी दरिंदगी की। क्या मुख्यमंत्री को अब भी लगता है कि यूपी में राम राज्य है? बदायूं कांड की जिम्मेदारी लेते हुए इस सरकार को पदत्याग देना चाहिए।

माले नेता ने कहा कि महिला की क्षत-विक्षत अर्धनग्न लाश अपराधी उसके घर के बाहर फेंक गए, जो 17 घंटे तक यूं ही पड़ी रही। घरवालों द्वारा सूचना देने के बावजूद पुलिस कार्रवाई करने की जगह अपराधियों का संरक्षण करते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। न तो मौके पर गई न ही रिपोर्ट दर्ज की। महिला के निजी अंगों से रक्तस्राव के चिन्ह होने के बावजूद पोस्टमार्टम के लिए भेजने में 48 घंटे लग गए।

इस दौरान पुलिस, रेप को नकारने और अपराधियों द्वारा गढ़ी कहानी दुहराती रही कि मौत कुएं में गिरने से हुई। पूरे दो दिनों तक अपराधी पुलिस को घुमाते रहे और पुलिस अपराधियों को। जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी बेखबर रहे। यदि मृतका के गांव वाले आक्रोशित होकर सड़क पर न उतरे होते, तो मामले को रफादफा ही कर दिया गया होता।

कॉ. सुधाकर ने कहा कि बदायूं पुलिस की भूमिका कोई अपवाद नहीं है। गैंग रेप जैसे मामलों में यूपी पुलिस की महिला-विरोधी भूमिका एक जैसी है। हाथरस कांड में भी लखनऊ में बैठे आला पुलिस अधिकारी ने अभियुक्तों का बचाव करते हुए कहा कि रेप हुआ ही नहीं था। ऐसे में महिला सुरक्षा की जिम्मेदारी किस पर होगी?

माले नेता ने कहा कि बलात्कार (बदायूं, हाथरस आदि घटना) और सरकारी भ्रष्टाचार (गाजियाबाद श्मशान घाट, वाराणसी ओवरब्रिज आदि कांड) मुख्यमंत्री योगी के शासन की पहचान बन गई है। उन्होंने बदायूं कांड में दोषियों को त्वरित और सख्त सजा देने की मांग की, वहीं कहा कि प्रशासन और शासन के जिम्मेदार अधिकारी भी न बख्शे जाएं।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles