कर्नाटक: शपथ ग्रहण समारोह बना विपक्षी एकता का मंच

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नई दिल्ली। बेंगलुरु के कांतीरवा स्टेडियम में शनिवार दोपहर 12.30 बजे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। यह वही स्थान है जहां सिद्धारमैया ने 2013 में शपथ ली थी, जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उनके साथ उप- मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार समेत 8 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस तरह अब कर्नाटक में अब नई सरकार का गठन हो गया है।

सिद्धारमैया के सामने अब राज्य के सभी सामाजिक समूहों, समुदायों, क्षेत्रों, गुटों और विधायकों की पुरानी और नई पीढ़ी के बीच संतुलन स्थापित करते हुए एक मंत्रिमंडल बनाने की चुनौती है।

कांग्रेस ने पहले शपथ समारोह में कर्नाटक के सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए मंत्रियों को शपथ दिलाई। मंत्रियों के रूप में शपथ लेने वाले विधायक जी परमेश्वर (एससी), केएच मुनियप्पा (एससी), के जे जॉर्ज (ईसाई), एमबी पाटिल (लिंगायत), सतीश जरकीहोली (एसटी-वाल्मीकि), प्रियांक खड़गे (एससी और एआईसीसी अध्यक्ष एम मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे), रामलिंगा रेड्डी (रेड्डी), और बीजेड ज़मीर अहमद खान (मुस्लिम) हैं।

कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए कई समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था। जिससे यह शपथ ग्रहण समारोह 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी दलों की एकता का शक्ति प्रदर्शन बन गया।

कांग्रेस शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित अतिथियों को देखने के बाद से कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने आने वाले दिनों में अपने राजनीतिक सहयोगियों और गठबंधन में शामिल होने वाले संभावित दलों को ही बुलाया था। सिर्फ विपक्ष के नाम पर हर किसी को आमंत्रित नहीं किया था।

सिद्दारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में जाते राहुल गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को न सिर्फ निमंत्रण पत्र भेजा था बल्कि फोन पर बात कर आने का आमंत्रण दिया था। इसके साथ ही वामदलों -माकपा, भाकपा, आरएसपी, भाकपा (माले) के साथ ही एमडीएमके, वीसीके, रालोद, केरल कांग्रेस और आईयूएमएल के नेताओं को भी आमंत्रित किया था। आमंत्रित नेताओं में अधिकांश नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत की और जो नहीं आ सके, उनमें से कई लोगों ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा।

बिहार के सीएम नीतीश कुमार, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी बेंगलुरु में नव-निर्वाचित कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।

कांग्रेस ने बसपा प्रमुख मायावती, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, बीजद के नवीन पटनायक, बीआरएस के के.चंद्रशेखर राव, वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी को शपथ ग्रहण समारोह में नहीं बुलाया था। न बुलाने का खास कारण है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि समारोह में बुलाने का मकसद या मानक सिर्फ विपक्षी दल होना ही नहीं था, बल्कि ऐसे दल जो विगत 9 वर्षों में नरेंद्र मोदी की फासीवादी सरकार से संघर्ष करते रहे, या संघ-भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं हैं। ऐसे दलों को आमंत्रित नहीं किया गया जो समय-समय पर सत्तारूढ़ दल के पक्ष में बयान देते रहते हैं या गठबंधन में शामिल होने पर अवसरवादी तरीका अपनाते हैं।

हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही कांतीरवा स्टेडियम में होने वाले इस कार्यक्रम में आने में असमर्थता व्यक्त की थी। बनर्जी ने कार्यक्रम के लिए लोकसभा में टीएमसी के उप नेता काकोली घोष दस्तीदार को भेजा था।

कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “ ममता बनर्जी का शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होना एक तरह से निराश करने वाली बात है, खासतौर पर उनके हालिया बयान के बाद कि 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी कांग्रेस का समर्थन करेगी जहां वह मजबूत है।”

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, “मुझे कांग्रेस अध्यक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे) ने आमंत्रित किया है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव एक महत्वपूर्ण चुनाव था। साथ ही, मेरी सिद्धारमैया से पुरानी दोस्ती है।”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शपथ ग्रहण के बाद जनता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रगतिशील कर्नाटक के सपने को पूरा करने का हमारा काम शुरू हो गया है। कांग्रेस की 5 गारंटियां जन-केंद्रित शासन के युग की शुरुआत करेंगी। हम चुनाव के समय किए गए सभी वादे को पूरा करेंगे। अभी थोड़ी देर में कर्नाटक की नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक होने जा रही है। पहली कैबिनेट बैठक में नई सरकार पांच ‘गारंटियों’ को लागू करने के लिए कदम उठा सकती है।

कांग्रेस ने चुनाव के समय ‘गारंटियों’ को लागू करने का वादा किया है-सभी घरों (गृह ज्योति) को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, हर परिवार की महिला मुखिया को 2,000 रुपये मासिक सहायता (गृह लक्ष्मी), प्रत्येक सदस्य को 10 किलो चावल मुफ्त बीपीएल परिवार (अन्ना भाग्य), स्नातक युवाओं के लिए हर महीने 3,000 रुपये और डिप्लोमा धारकों के लिए 1,500 रुपये (दोनों 18-25 आयु वर्ग में) दो साल (युवानिधि) के लिए, और सार्वजनिक परिवहन बसों (शक्ति) में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा शामिल है। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने शनिवार को बेंगलुरु में आने वाले दिनों की राजनीति का संकेत दे दिया है। कांग्रेस ने अपनी दिशा भी साफ कर दी है।

शपथ ग्रहण समारोह के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, मैं शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए यहां मौजूद सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं। हम कैबिनेट की पहली बैठक में अपने सभी पांचों वादों को लागू करने जा रहे हैं।

जय हिन्द! जय कर्नाटक! जय कांग्रेस !

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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