ग्राउंड रिपोर्ट: योगी की गौशाला में तड़प-तड़प कर मरते गौवंश, दयाभाव दिखाने वालों पर दर्ज हो रहे झूठे केस

प्रतापगढ़। योगीराज में दयाभाव दिखाना भी गुनाह है। निरंकुश होते जा रहे नौकरशाह खुद शासन की नीतियों का बंटाधार करते हुए सरकार को भ्रमित कर रहे हैं। योजनाओं की ज़मीनी हकीकत पर पर्दा डालने से लेकर हकीकत बयां करने वालों को जेल और फर्जी मुकदमे का खौफ पैदा कर जुबान बंद रखने को विवश किया जा रहा है। आलम यह है कि जो भी हो रहा है होने दीजिए, जुबान सिल लीजिए, आंखें मूंद लीजिए, सच को सच न कहिए, कहिए तो सोच समझ कर वरना शासन-प्रशासन का चाबुक चल जाएगा।

कुछ ऐसा ही प्रतापगढ़ के एक अधिवक्ता के साथ हुआ है जिन्हें सरकारी गौशाला में गौवंशों की दयनीय दशा देखकर दयाभाव दिखाना, आवाज उठाना बीडीओ व सीडीओ को इस कदर नागवार गुजरा है कि उनके खिलाफ सरकारी सम्पत्ति को नष्ट करने का झूठा केस दर्ज करा दिया गया। यों कहें कि जिम्मेदारों ने खुद की लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए शिकायतकर्ता को ही बली का बकरा बनाया दिया। सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का झूठा केस दर्ज कर जन आवाज़ को दबाने का कार्य किया गया। जबकि शिकायतकर्ता व प्रधान साथ में सेवादार भी गौशाला में साथ-साथ पहुंचे थे।

शिकायतकर्ता ने गौशाला में पौष्टिक आहार के अभाव में जर्जर गौवंशों का वीडियो बनाया था, जिसमें साफ दिख रहा है कि गौवंश शरीर से बिल्कुल जर्जर हो गये हैं, उनके शरीर के पंजर झलक रहे हैं। शिकायतकर्ता अधिवक्ता रोहित जायसवाल ने गौशाला की दयनीय दशा की शिकायत भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड से की थी। शिकायत को संज्ञान में लेते हुए भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड ने उत्तर प्रदेश गौ-सेवा आयोग समेत जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब किया था।

नोटिस आते ही प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। वहीं शिकायतकर्ता को दबाने के लिए साजिश रच डाली गई। ग्राम प्रधान से तहरीर दिलवाकर बीडीओ ने थाना सांगीपुर में सरकारी संपत्ति नष्ट करने का केस दर्ज करवा डाला। शिकायतकर्ता रोहित जायसवाल ने मुख्यमंत्री समेत पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ को शिकायत पत्र देकर झूठा केस समाप्त करने की मांग की है। हालांकि गौशाला की जांच हेतु टीम गठित कर दी गई है।

बेजुबानों के प्रति दयाभाव दिखाना पड़ा महंगा

दरअसल, यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के उस प्रतापगढ़ जनपद का है जिसे राजा रजवाड़ों का जनपद कहा जाता है, जहां सत्ता से लेकर विभिन्न दलों के कई चर्चित चेहरे राजनीति में मौजूद हैं, लेकिन किसी को भी इन बेजुबानों की पीड़ा से कोई वास्ता नहीं है। प्रतापगढ़ जनपद में विकास खण्ड संडवा चंद्रिका के ग्राम बरेन्डा का यह मामला प्रशासन के लिए गले की हड्डी बन बैठा है। जिसे न तो उगलते बन रहा है और ना ही निगलते बन रहा है। जहां पर गौशाला बनी हुई है वह प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर पश्चिम दिशा में स्थित सदर तहसील क्षेत्र के बरेन्डा-सरियां मार्ग पर नदी पर बने पुल के समीप लबे रोड पर स्थित है।

अस्थाई गौ आश्रय स्थल बरेंद्र में संरक्षित गौवंशों की हो रही दुर्दशा, इनके देख रेख व भरण पोषण में बरती जा रही अनियमितता को लेकर राजेश बहादुर सिंह व अधिवक्ता रोहित जायसवाल सांगीपुर द्वारा पूरे मामले की शिकायत करते हुए इनकी उचित देखभाल व स्वास्थ्य परीक्षण कि ओर ध्यान आकर्षित किया गया था। जो ग्राम प्रधान व बीडीओ को नागवार गुजरा है।

अधिवक्ता रोहित जायसवाल “जनचौक” को जानकारी देते हुए बताते हैं कि “उक्त गौशाला के गोवंशों की स्थिति व अव्यवस्थाओं का वीडियो-फोटो वायरल होने के बाद खंड विकास अधिकारी संडवा चंद्रिका अपर्णा सैनी जांच करने पहुंचीं तो मौके की स्थिति को देखकर कार्रवाई के बजाए वह ग्राम प्रधान की कमियों पर पर्दा डालने के लिए ग्राम प्रधान से राजेश बहादुर सिंह सहित उनके (रोहित जायसवाल) विरुद्ध सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान किए जाने का झूठा वह मनगढ़ंत प्रार्थना पत्र लेकर उसे पर थानाध्यक्ष सांगीपुर को मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश दिया।”

रोहित जायसवाल बताते हैं कि “सांगीपुर पुलिस ने प्रार्थना पत्र में आरोपित तथ्यों को जांच में झूठा व फर्जी पाया और बीडीओ सांडवा चंद्रिका को रिपोर्ट भेजी गयी। इसके बाद खंड विकास अधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी ईशा प्रिया से सही तथ्यों को छुपाते हुए उनके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करने के लिए पुनः थानाध्यक्ष सांगीपुर को पत्र भिजवाया। मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर 5 अगस्त 2023 को थाना सांगीपुर में गौशाला की नाकामियों को उजागर करने वाले राजेश बहादुर सिंह एवं अधिवक्ता रोहित जायसवाल के विरुद्ध सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 2/3 में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया।”

रोहित जायसवाल का कहना है कि “हकीकत यह है कि जिस समय गौशाला का वीडियो बनाया गया उस समय वहां पर खुद ग्राम प्रधान भी मौजूद थे। जिसे वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है। बावजूद इसके जिले की जिम्मेदार अधिकारी ने भी जानने और समझने की सहमत नहीं उठाई। जबकि शिकायतकर्ताओं द्वारा बनाए गए वीडियो और फोटो में स्पष्ट तौर पर गौशाला की बदहाली, गौशाला में रखे गए गोवंशों की मरणासन्न स्थिति को खुली आंखों से देखा जा सकता है।

शिकायतकर्ता राजेश बहादुर सिंह के मुताबिक अस्थाई गौ आश्रय स्थल बरेंद्र में गोवंशों के खाने पीने के लिए हरे चारे व चुनी-चोकर तथा पीने के लिए साफ पानी की भी समुचित व्यवस्था न होने के कारण पशुओं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है तथा गोवंश भूख व बीमारी के कारण दम तोड़ रहे हैं। पशुओं के मरने के बाद इन्हें खुली जगह में एक के एक ऊपर फेंक दिया जाता है। लाश के ऊपर नमक का छिड़काव भी नहीं किया जाता है जिससे वहां दुर्गंध फैल रही है तथा बीमारी भी फैल सकती है। इसकी शिकायत उन्होंने बाकायदा यूपी के मुख्यमंत्री से करते हुए इसकी जांच कराए जाने की मांग की थी।

राजेश बहादुर सिंह का आरोप है कि “इसके पूर्व भी उन्होंने कई बार शिकायत की है परंतु जो भी अधिकारी जांच करने मौके पर जाता है, ग्राम प्रधान गौशाला में व्याप्त कमियों के ऊपर पर्दा डाल देता है, जिससे जांच प्रभावित हो जाती है और बेजुबानों की पीड़ा सिसकियों में तब्दील होकर रह जाती है।

अभिलेखों में भी होती है हेराफेरी

ग्रामीणों की माने तो उक्त गौशाला में प्रतिदिन पशुओं की दुर्दशा का क्रम बढ़ता ही जा रहा है। ग्रामीणों ने रात में तस्करी का भी अंदेशा जताया है। ग्रामीण दबी जुबान में बताते हैं कि खंड विकास अधिकारी की संलिप्तता होने के कारण कोई भी ग्रामीण खुलकर बोलने का साहस नहीं कर पाता। गौशाला में पशुओं के आने और जाने का कोई लिखित अभिलेख ना होता तथा मरने के बाद पशुओं की संख्या कम या ज्यादा हो तो इसकी भी कोई सूचना देना मुनासिब नहीं समझा जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि गौशाला में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुए शासन, खुद मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर पानी फेर रहा है।

शिकायतकर्ता राजेश बहादुर सिंह की मानें तो उक्त गौशाला में मृत पशुओं को दफनाने से लेकर नियमित रूप से गौशाला में श्रमिकों को रखे जाने में भी बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई है। यही कारण है कि ग्राम प्रधान और खंड विकास अधिकारी सच्चाई को दबाने की गरज से उन पर फर्जी मुकदमें लादकर उनकी आवाज को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। राजेश बहादुर सिंह ने मुख्यमंत्री को आठ बिंदुओं पर पत्र भेजकर उनकी खंड विकास अधिकारी से जांच ना करते हुए किसी अन्य जिला स्तरीय अधिकारी से जांच कराने की मांग की है।

क्या कहता है कानून?

पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 के अनुसार कोई भी किसी बेजुबान जानवर की सेवा व सहायता करने से मना नहीं कर सकता है। यदि सेवा करने अथवा सहायता करने से मना करता है या धमकी देता है तो उसके विरुद्ध पशु क्रूरता अधिनियम व भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

प्रधान की तहरीर से खुल जा रही है गौशाला की पोल

मुख्य विकास अधिकारी प्रतापगढ़ के निर्देश पर अधिवक्ता सहित एक अन्य पर भले ही गौशाला की अनियमितता को उजागर करने पर मुकदमा दर्ज कर खौफ पैदा करने का कार्य किया गया है, लेकिन दर्ज मुकदमे की रिपोर्ट देखने पर स्पष्ट होता है कि भले ही आपा-धापी एवं दबाव में यह मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया हो, लेकिन कई ऐसे सवाल खड़े हो रहे हैं जो मुकदमे की फर्जी बाजीगरी को दर्शा रहे हैं।

मसलन, प्रधान ने सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करने से संबंधित जो तहरीर दी है, उसमें आरोपों की झड़ी तो लगा दी गई है, लेकिन उसमें तिथि, दिन और समय का उल्लेख करना मुनासिब नहीं समझ गया है। जो स्पष्ट करता है कि तहरीर पूरी तरह से मनगढ़ंत और झूठी है। केवल दबाव बनाने की गरज से शिकायतकर्ताओं के ऊपर मुकदमा पंजीकृत कराया गया है जो कानून के लिहाज से कदापि उचित नहीं कहा जाएगा।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने लिया संज्ञान

इस अस्थाई गौशाला को लेकर हुई शिकायत को भारतीय पशु कल्याण बोर्ड भारत सरकार ने गंभीरता से लिया है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने उत्तर प्रदेश सरकार एवं जिलाधिकारी प्रतापगढ़ को पत्र लिखकर कड़ाई से जांच कराए जाने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी प्रतापगढ़ को जांच कर उक्त पत्र के क्रम में तत्काल आवश्यक कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट तलब कर लिया है।

गौशाला को लेकर कई पत्रकारों पर दर्ज हुए झूठे केस

प्रतापगढ़ का यह कोई एकलौता मामला नहीं है, इसके पहले जौनपुर, मिर्ज़ापुर सहित कई अन्य जनपदों में भी विभिन्न लोगों सहित कई मीडिया कर्मियों पर गौशाला की हकीकत उजागर करने पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर परेशान किए जाने का कृत्य किया गया है।

वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत कहते हैं कि “मीडिया पर बंदिशें लगा कर, सच्चाई उजागर करने वाले कलमकारों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर नौकरशाह सरकार को गुमराह करते आ रहे हैं।” वह बताते हैं कि “एक दौर वह भी रहा है जब एक छोटी खबर मात्र के प्रकाशित होने पर शासन-प्रशासन दौड़ने लगता था। समाधान के साथ ही साथ मीडिया को धन्यवाद देता था। लेकिन मौजूदा समय में तो ठीक उल्टा हो रहा है। सच्चाई उजागर करने पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।”

जौनपुर के पेसारा गांव में स्थित अस्थाई गौशाला में गौवंशों कि दुर्दशा दिखाने पर फर्जी मुकदमें का दर्द झेल रहे युवा पत्रकार विनोद कुमार का दर्द है कि “गौशाला में गौवंशों कि पीड़ादायक स्थिति को देखकर हकीकत से उपजिलाधिकारी केराकत को अवगत कराया गया था, लेकिन गौशाला की सच्चाई उजागर होता देख उपजिलाधिकारी के इशारे पर दलित ग्राम प्रधान को आगे कर मुझ दलित पत्रकार सहित मेरे साथ गये तीन अन्य पत्रकारों को फर्जी मुकदमे में फंसा दिया गया। हद तो यह है कि केराकत कोतवाली पुलिस ने भी मामले की जांच करने का साहस नहीं किया। अलबत्ता आनन-फानन में मुकदमा दर्ज कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।”

सीएम का आदेश होता रहा है बेअसर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने ड्रीम प्रोजेक्ट गौ संरक्षण को लेकर भले ही गंभीर हों, लेकिन कहना ग़लत नहीं होगा कि अस्थाई गौशालाओं में गौवंशों के प्रति वह उतने गंभीर नहीं हैं जितना उन्हें होना चाहिए। वास्तविकता और धरातल से इतर हटकर गौशालाओं से संबंधित शासन और मुख्यमंत्री को जो रिपोर्ट प्रेषित की जा रही हैं वह जमीनी हकीकत से बिल्कुल दूर हैं। हकीकत गौशालाओं को करीब से देखने से खुद ब खुद स्पष्ट हो जाती है कि, किस प्रकार से यहां गोवंश रहने को विवश हैं। चारे-पानी का अभाव तो बना ही रहता है, रखरखाव से लेकर इनके स्वास्थ्य परीक्षण में भी बड़ी लापरवाही बरती जा रही है।

(प्रतापगढ़ से संतोष देव गिरि की ग्राउंड रिपोर्ट।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
अर्जुन गुप्ता
अर्जुन गुप्ता
Guest
8 months ago

बहुत अच्छी प्रस्तुती