पंजाब: बजट सत्र पर गतिरोध, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच मतभेद गहराए

पंजाब का बजट सत्र गंभीर गतिरोध के हवाले हो गया है। वजह है राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के बीच जारी तनातनी। अब दोनों के बीच मतभेद और ज्यादा गहरा गए हैं और इसका सीधा असर राज्य सरकार के महत्वपूर्ण कामकाज पर भी पड़ना शुरू हो गया है।

संविधान के मुताबिक विधानसभा सत्र के लिए राज्यपाल की औपचारिक मंजूरी जरूरी है। पंजाब सरकार ने राज्यपाल से 3 मार्च को बजट सत्र बुलाने की मंजूरी मांगी थी और राज्यपाल ने दो-टूक इनकार कर दिया।

राज्यपाल ने आधार बनाया मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के उस ट्वीट को जिसमें उन्होंने कहा था कि वह राज्यपाल के प्रति जवाबदेह नहीं हैं बल्कि अवाम प्रति हैं, जिसने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया।

तब दरअसल राज्यपाल ने पंजाब के सीमांत जिलों का दौरा करने के बाद कानून-व्यवस्था की बाबत कुछ सरकार विरोधी टिप्पणियां सार्वजनिक तौर पर की थीं और राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा था कि राज्यपाल अपनी ‘सीमा लांघ’ रहे हैं।

ठीक उन्हीं दिनों पंजाब सरकार की ओर से 36 मुख्य अध्यापकों को विशेष प्रशिक्षण के लिए सरकारी खर्च पर सिंगापुर भेजा गया था। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने इस पर ऐतराज जताते हुए कहा था कि उन्हें इसमें विसंगतियों की शिकायत मिली है इसके लिए सरकार जवाब दे।

साथ ही, राज्यपाल ने जालंधर में कुलदीप चाहल की पुलिस कमिश्नर पद पर नियुक्ति पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा था कि जो शख्स चंडीगढ़ में अपने एसएसपी कार्यकाल के दौरान कुछ विवादों के चलते सीबीआई जांच का सामना कर रहा है, उसे पंजाब में तरक्की देकर उस जिले में क्यों नियुक्त किया गया जहां गणतंत्र दिवस पर उन्हें राजकीय समारोह की अगुवाई करनी थी।

गौरतलब है कि राज्यपाल ने पुलिस महानिदेशक को भी हिदायत दी थी कि उनकी जालंधर यात्रा के दौरान चाहल को उनसे दूर रखा जाए। राज्यपाल ने पंजाब इन्फोटेक चेयरमैन पद पर गुरिंदरजीत सिंह जावंदा की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए थे।

13 फरवरी को मुख्यमंत्री ने ट्वीट के जरिए कहा कि वह राज्यपाल के प्रति जवाबदेह नहीं हैं और इसी को उनका ‘जवाब’ माना जाए! अब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की इस बात को बेहद अपमानजनक और असंवैधानिक बताया है और कहा है कि इस बाबत वह संविधानिक विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं।

बजट सत्र के लिए तय तारीख को रद्द करते हुए राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने पंजाब सरकार को लिखा है कि पहले उनके सवालों का लिखित जवाब दिया जाए तभी वह इस पर फैसला लेंगे।

ताजा पत्र में राज्यपाल ने फिर दोहराया है कि वह कानूनी जानकारों से राय-मशवरा कर रहे हैं। राज्यपाल पिछले दिनों दिल्ली गए थे और भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित कई लोगों से भगवंत मान सरकार के खिलाफ तैयार रिपोर्ट्स के साथ मुलाकात की थी।

इन मुलाकातों के खास मायने हैं। पंजाब में कानून-व्यवस्था का निकलता जनाजा पूरी दुनियां देख रही है। इसे आधार बनाकर केंद्र की नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार कोई बड़ा ‘खेल’ कर सकती है।

अतीत में इस सरहदी सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू होते रहे हैं और राष्ट्रपति शासन लागू करते वक्त राज्यपाल की रिपोर्ट को आधार बनाया जाता है।

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के द्वारा बजट सत्र पर फंसाया गया पेंच मान सरकार के लिए बड़ी दिक्कत का सबब है। सरकार के लिए 31 मार्च से पहले अगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट पास करवाना अपरिहार्य है। नहीं तो एक अप्रैल के बाद सरकार कोई पैसा खर्च नहीं कर पाएगी।

इस संकट का असर हर तरफ पड़ेगा। विकास कार्य तो रुकेंगे ही सरकारी कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दिया जा सकेगा।

बजट सत्र की विधिवत इजाजत से पहले राज्यपाल की ओर से पूछे गए सवालों के जवाब मांगने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि दिल्ली में लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) जैसे लोग हमें सरकार चलाने से नहीं रोक सकते।

बखूबी समझा जा सकता है कि उनका इशारा राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की ओर है। मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच और ज्यादा गहरा गया विवाद पंजाब को किस तरफ ले जाएगा, आने वाले दिनों में यह साफ होगा।  

(अमरीक सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं)

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