नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की सड़कों पर रविवार के दिन आमतौर पर भीड़-भाड़ नहीं होती है। लुटियंस जोन में तो चहल-पहल कम और वीरानी ज्यादा होती है। लेकिन 19 मार्च की सुबह इस वीरानी को चीरते हुए जब दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी, लॉ एंड ऑर्डर, डॉ सागर प्रीत हुड्डा और डीसीपी, नई दिल्ली प्रणव तायल के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम राहुल गांधी के सरकारी आवास 12 तुगलक लेन उन्हें नोटिस देने के लिए पहुंची तो माहौल का सन्नाटा टूट गया।
राहुल गांधी के घर पर पुलिस पहुंचने की यह खबर पूरे देश में आग की तरह फैली। और चंद घंटों में ही राहुल के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जमघट लग गया। कुछ कार्यकर्ता सड़क पर मोदी सरकार के विरोध में नारेबाजी करने लगे। उनमें से कुछ को पुलिस ने कानून व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में हिरासत में ले लिया।लेकिन बाद में छोड़ दिया गया। पूरे तुगलक लेन को पुलिस छावनी में बदल दिया गया था।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस के इस एक्शन के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी। जिसके बाद पुलिस टीम वापस लौट गई। इस घटना के बाद कांग्रेस कार्यालय पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी सरकार पर कांग्रेस को डराने और दिल्ली पुलिस पर गैर कानूनी काम करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एक सप्ताह इंतजार कर लीजिए, दिल्ली पुलिस को नोटिस का जवाब दे दिया जायेगा। यह नोटिस कानूनी दृष्टि से कोई मायने नहीं रखता है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मोदी सरकार गलत परंपरा स्थापित कर रही है। एक राजनीतिक भाषण को आधार बनाकर नोटिस दे रही है। केंद्र के मंत्री राजस्थान जाते हैं और अपने भाषण में तरह-तरह के आरोप लगाते हैं। क्या राजस्थान की पुलिस को उन्हें नोटिस देना चाहिए?
कांग्रेस नेत्री अलका लांबा कहती हैं कि “दिल्ली पुलिस का यह कृत्य नोटिस देने नहीं बल्कि राहुल गांधी को डराने का प्रयास था। जो केंद्र सरकार के इशारे पर किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के 45 दिन बाद दिल्ली पुलिस को एक यौन उत्पीड़न की शिकार महिला की सुरक्षा की याद आई है। दिल्ली पुलिस राजधानी में तो महिलाओं की सुरक्षा कर नहीं पा रही है। वह कश्मीर जाकर महिला की सुरक्षा करेगी? कल ही दिल्ली में एक नाबालिग लड़की को जबरदस्ती कार में खींच कर बैठाने की कोशिश हुई। लड़की चीखती-चिल्लाती रही, लेकिन दिल्ली पुलिस नहीं पहुंची।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह केवल महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती है। इससे पहले भी दिल्ली पुलिस राहुल गांधी के आवास पर जा चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, 15 मार्च को पुलिस टीम गांधी के आवास पर उन्हें नोटिस देने के लिए तीन घंटे तक इंतजार करती रही, लेकिन वो नहीं मिले। फिर 16 मार्च को वरिष्ठ अधिकारी उनके आवास पर पहुंचे और डेढ़ घंटे के इंतजार के बाद नोटिस दिया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट का संज्ञान लेने और प्रश्नावली की सूची भेजने के बाद नोटिस जारी किया गया।
इस सबके बीच अब राहुल गांधी ने दिल्ली पुलिस को एक लंबा-चौड़ा मेल भेजा है। जिसमें कुल 10 प्वाइंट्स को शामिल किया गया है। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने अपने मेल में कहा है कि 30 जनवरी को मैंने बयान दिया और दिल्ली पुलिस 45 दिन बाद मुझसे जानकारी मांग रही है। उन्होंने दिल्ली पुलिस के नोटिस का जवाब देने के लिए 8-10 दिन का वक्त मांगा है।
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 30 जनवरी को श्रीनगर में कहा था कि .. एक विशेष मामले में, मैंने एक लड़की (जिसका बलात्कार हुआ था) से पूछा कि क्या पुलिस को फोन करना चाहिए? उसने कहा ‘पुलिस को फोन मत करिए। मैं शर्मिंदा हो जाऊंगी।’
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए डॉ. सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और हम इस संबंध में और जानकारी इकट्ठा करने के लिए यहां आए हैं। हमें उनके भाषण और पीड़ितों के बारे में जानकारी चाहिए ताकि हम मामले में कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकें और पीड़ितों को न्याय मिल सके।
राहुल ने दिल्ली पुलिस से सूचना साझा करने के लिए मांगा समय
राहुल गांधी ने दिल्ली पुलिस को आश्वासन दिया है कि वह श्रीनगर में अपने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान किए गए दावों के बारे में जानकारी साझा करेंगे और यह भी कहा कि उन्हें इसके लिए कुछ समय चाहिए। उन्होंने कहा है कि उन्हें अपना बयान देने के लिए समय चाहिए, क्योंकि यात्रा को काफी समय बीत चुका है, ऐसे में उन्हें यह याद करने के लिए कुछ वक्त की जरूरत है कि किसने उन्हें और उनकी टीम को क्या कहा था। विवरण प्राप्त करने के बाद उन्होंने हमारे साथ साझा करने का आश्वासन दिया है।
राहुल गांधी के श्रीनगर में भाषण देने के 45 दिन बाद भी मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस यौन उत्पीड़न करने वाले का पता नहीं लगा सकी, और अब वह राहुल गांधी से पीड़ित का पता पूछ रही है।
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)