देश की राजधानी दिल्ली में सुपरस्पेशल्टी अस्पतालों की भरमार है, बावजूद इसके एक दो साल के बच्चे को इलाज़ न मिल पाने से मौत हो गई। कहीं बेड की दुहाई देकर, तो कहीं वेंटिलेटर की दुहाई देकर उसे हर अस्पताल से मना कर दिया गया।
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक कल 2 अप्रैल शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे मजनूं का टीला निवासी दो साल का कृष्णा खेलते समय छत से गिर गया। घटना के तुरंत बाद पिता भोगेंद्र और अन्य लोग उसे लेकर सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। वहां प्राथमिक उपचार के बाद कृष्णा की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तो डॉक्टरों से उसे एम्स ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। परिजन बच्चे को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे तो डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से मना करते हुए उसे सफदरजंग अस्पताल ले जाने को कहा। परिजन जख़्मी बच्चे को लेकर सफदरजंग पहुंचे वहां वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं होने की दुहाई देकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया गया। इसके बाद परिजन बच्चे को लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे लेकिन आरएमएल अस्पताल में डॉक्टरों ने उनकी बात तक नहीं सुनी और बेड नहीं होने का हवाला देकर गेट से ही वापस कर दिया। इसके बाद परिजन मासूम को लेकर लोकनायक अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी इलाज नहीं हुआ। जख्मी बच्चे को लेकर भागते-भागते परेशान परिजनों को मजबूर होकर बच्चे को वापस सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर लेकर जाना पड़ा। जहां रात करीब 9:30 बजे जख़्मी कृष्णा ने दम तोड़ दिया।
घटना के विरोध में आज कैंडल मार्च
राजधानी दिल्ली में मासूम कृष्णा की मौत के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा है। मौजूदा व्यवस्था के प्रतिकार में शनिवार को स्थानीय लोग कैंडल मार्च निकालकर अस्पतालों की लापरवाही के प्रति प्रतिरोध दर्ज़ कराएंगे।
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