Friday, April 26, 2024

मृत पत्रकार रमन कश्यप को भी मंत्री पुत्र ने ही रौंदा था

लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए पत्रकार की हत्या का दोष किसानों पर मढ़ने का दबाव गोदी मीडिया लगातार बना रहा था लेकिन सोमवार 8 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय में स्वयं यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया कि लखीमपुर खीरी में हिंसक घटना में मारे गए स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप की मौत कार से कुचलने से हुई, न कि मॉब लिंचिंग के कारण। उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ के सामने कहा कि किसानों और पत्रकार को कार ने कुचल दिया।

लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के परिजनों का आरोप है कि उन पर किसानों के खिलाफ बयान देने का दबाव बनाया जा रहा है। रमन के परिजन शुरुआत से ही केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष और उसके साथियों पर पत्रकार की हत्या का आरोप लगा रहे हैं। रमन के भाई ने कहा कि कुछ लोग उनसे किसानों पर दोष मढ़ने के लिए कह रहे हैं। रमन के भाई पवन ने बताया कि मेरे पिता और मैंने सभी को एक ही बयान दिया कि उसे (रमन) केंद्रीय मंत्री के काफिले में शामिल गाड़ी से कुचला गया और गोली मारी गई। लेकिन कई पत्रकार अब हमसे यह कहलवाने की कोशिश कर रहे हैं कि उसे किसानों ने पीट-पीटकर मारा जो कि वास्तव में हुआ नहीं है। एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें पवन मीडिया पर आरोप लगा रहे थे। पवन वीडियो में कह रहे थे कि वे हमारे मुंह में शब्द घुसाने की कोशिश कर रहे हैं कि उसे किसानों ने पीट-पीटकर मारा। हमने कहा कि यह झूठ है लेकिन इस पर राजनीति खत्म नहीं हो रही है।

दरअसल लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी । इस घटना के बाद से पत्रकार लापता था। बाद में स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप की मौत का मामला सामने आया है, जो निघासन क्षेत्र के रहने वाले थे। निघासन हत्या स्थल से लगभग 30 किमी दूर है। रमन किसानों के विरोध को कवर करने के लिए सुबह-सुबह घर से निकले और कभी वापस लौट कर नहीं आए। लापता रमन की मौत की खबर लखीमपुर खीरी जिला अस्पताल के मुर्दाघर से रात करीब 10 बजे उनके घर पहुंची थी। उनके घर वालों को बताया गया कि लापता पत्रकार का शव बरामद हुआ है। पत्रकार रमन कश्यप की मौत का मामला सामने आने पर पत्रकार के परिजनों ने शव रखकर निघासन चौराहे पर जाम भी लगाया था ।

रमन के पिता राम कश्यप ने भाजपा मंत्री के बेटे पर आरोप लगाते हुए एसडीएम निघासन ओपी गुप्ता को अपनी लिखित शिकायत में कहा था कि मेरा बेटा एक पत्रकार था और उसकी हत्या भाजपा मंत्री के बेटे और उसके सहयोगियों ने की थी। रमन के पिता एक वीडियो में बोलते हुए दिखते हैं जिसमें वो दावा करते हैं कि बेटे की मौत गाड़ी से कुचलने से हुई है, शरीर पर लाठी-डंडे से चोट के निशान नहीं हैं, बल्कि घसीटने, रगड़ के निशान हैं, जो गाड़ी के हैं। मृतक के भाई ने दावा किया था कि रमन की मौत एसयूवी से कुचले जाने के कारण ही हुई है। हिंसा में कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी।

रमन के शरीर पर निशानों को देखते हुए परिवार का मानना है कि वह भी गाड़ियों के नीचे आने वालों में शामिल था। रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष की गाड़ियों के काफिले ने तिकुनिया में विरोध कर रहे किसानों को रौंद दिया था।

रमन के भाई पवन ने कहा था कि वे इस बात से हैरान हैं कि कुछ ‘बिकाऊ चैनल’ जो हुआ है, उसे ‘तोड़-मरोड़कर’ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना था कि वायरल हो रहा वीडियो सब दिखा रहा है। एसयूवी के नीचे आने के बाद मेरा भाई मारा गया। उसके शरीर पर कार के पहियों के निशान हैं। यह साफ देखा जा सकता है कि यह कैसे हुआ। इस बात में कोई शक नहीं है कि उसकी कैसे मौत हुई। यह इसलिए हुआ, क्योंकि वह मंत्री के बेटे की कारों से कुचला गया था।

इस बीच उच्चतम न्यायालय के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को मौखिक रूप से स्वीकार किया कि लखीमपुर खीरी में हिंसक घटना में मारे गए स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप की मौत कार से कुचलने से हुई, न कि मॉब लिंचिंग के कारण। उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, “किसानों और पत्रकार को कार ने कुचल दिया। चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ तीन अक्टूबर की लखमीपुर खीरी हिंसा की जांच से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस हिंसा में आठ लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में चार किसान प्रदर्शनकारी थे। केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के काफिले में वाहनों से कथित रूप से कुचल दिया गया”।

उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के सामने कहा कि पत्रकार की मौत की जांच को एफआईआर नंबर 220 (मॉब लिंचिंग से हत्या से संबंधित) से एफआईआर नंबर 219 (किसानों की मृत्यु से संबंधित) में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने समझाया कि मूल रूप से यह सुझाव दिया गया कि कश्यप आरोपी आशीष मिश्रा की टीम का हिस्सा था, लेकिन बाद में यूपी पुलिस को एहसास हुआ कि वह वास्तव में भीड़ में बाहर था और कार से कुचल गया था।

सुनवाई के दौरान पीठ ने मामले में मुख्य आरोपी के खिलाफ मामले के बारे में चिंता व्यक्त की। इसमें जांच को मॉब लिंचिंग के काउंटर-केस के साथ जोड़कर किसानों पर हमले को कमजोर किया जा रहा है। साल्वे ने स्पष्ट किया कि कश्यप की मौत को एफआईआर 220 से एफआईआर 219 में स्थानांतरित करने के कारण भ्रम पैदा हुआ। पीठ ने साल्वे द्वारा इन प्रस्तुतियों से पहले हाईकोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा जांच की निगरानी का सुझाव दिया था। अब 12 नवम्बर को इस मामले में सुनवाई होगी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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