ग्राउंड रिपोर्ट: बारिश में मेहनतकश लोगों की बढ़ीं मुश्किलें

नई दिल्ली। हाल में हुई रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने देश के अलग-अलग हिस्सों को तबाह कर दिया है। नेशनल मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर हर तरफ तबाही देखने को मिल रही है। दिल्ली जैसे शहर में बड़ी-बड़ी इमारतों में लोग बेहतरीन तरीके से रहते हैं। लेकिन दिल्ली-एनसीआर में मेहनतकशों की एक बड़ी आबादी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली है। और इस बारिश ने उनके जीवन को कितनी मुश्किलों में डाल दिया है, इसकी चर्चा मीडिया में लगभग नदारद है।

राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को बारिश की वजह से बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसी सिलसिले में जनचौक की टीम झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों की दिक्कतों का जायजा लेने पहुंची। गाजियाबाद के विजयनगर में स्थित चांदमारी के झुग्गी बस्ती में 3,000 से ज्यादा झुग्गियों में करीब 10,000 से ज्यादा लोग रहते हैं। जहां एक तरफ इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए पहले से भी परेशानियां कम न थीं और बारिश ने अब इनकी मुश्किलों को और भी भयावह बना दिया है।

झुग्गियों से टपकता पानी, रात गुजारना होता है मुश्किल

चांदमारी में रहने वाले 15 वर्षीय फैजान बताते हैं कि, बारिश के कारण यहां पर हर किसी को दिक्कत होता है। क्योंकि सभी के झुग्गियों से पानी टपकने लगता है और कई बार भारी बारिश की वजह से झुग्गियां गिर भी जाती है। रात गुजारना मुश्किल होता है बारिश के दौरान झुग्गी के ऊपर प्लास्टिक डालकर जैसे-तैसे रात गुजार लेते हैं।

पिछले कुछ महीनों से दिल्ली-एनसीआर में गर्मी अपने चरम सीमा पर थी और लोग बारिश का इंतजार कर रहे थे। लेकिन मानसून से जहां एक वर्ग खुश है, वहीं बारिश झुग्गी में रहने वाले लोगों के लिए एक श्राप की तरह साबित हुई है। बारिश इनके लिए काल बनकर आती है और किसी तरह गुजर-बसर कर रहे लोगों की जिंदगियां तबाही के दौर में चली जाती हैं। जहां इनका रहना, खाना और सोना भी मुहाल हो जाता है। बारिश के मौसम में इनके लिए रोजगार मिलना भी मुश्किल हो जाता हैं, ऐसे में पूरा परिवार दाने-दाने के लिए तरस जाता है।

चांदमारी निवासी मोहम्मद फारुख कहते हैं कि, यहां के रास्ते कच्चे हैं बारिश होने के बाद रास्ते कीचड़ और पानी से भर जाते हैं। इसके अलावा यहां पर बिजली की भी बहुत दिक्कत है। पीने का पानी, नहाने और कपड़े धोने की गंभीर समस्या हो जाती है। पेयजल का कोई इंतजाम नहीं है। जिन लोगों ने यहां पर बिजली का कनेक्शन लिया हुआ है उन्हें दलाल को 500 से 1000 रुपया महीना देना पड़ता है। 3000 झुग्गियों में से करीब 2000 झुग्गीवालों ने बिजली का कनेक्शन लिया हुआ है और जिनके पास पैसे नहीं हैं उनमें से करीब 1000 झुग्गीवाले मोमबत्ती और दिया जलाकर अपना गुजारा करते हैं।

बिजली, पानी और सड़क जैसी मूल जरुरत भी नहीं है उपलब्ध

यहां कई सालों से रह रही 80 वर्षीय माया की सरकार से गुहार है कि ये रास्ता पक्का होना चाहिए। बारिश के बाद कच्चे रास्ते पर चल पाना बहुत ही मुश्किल होता है खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए। कोई बीमार आदमी को अस्पताल ले जाना होता है तो बड़ी मुसीबत हो जाती है।

चांदमारी की झुग्गियों में 40 वर्ष से रह रहे गोपाल बताते हैं कि, ना पानी है, ना बिजली है, और कोई व्यवस्था नहीं है यहां पर। कोई हमारा हाल भी नहीं लेने आता। सरकार की ओर से किसी तरह की सुविधा नहीं मिलती। और यहां पर कभी कोई विकास का कार्य नहीं हुआ, ना ही कभी दवा का वितरण होता है। और ना ही राशन-पानी की व्यवस्था होती है। हम लोगों की यही अरदास है कि यहां बिजली और पानी की व्यवस्था हो। हमारे इस प्रश्न का कि रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने आप लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव डाला है? इसका जवाब देते हुए गोपाल बताते हैं कि, कीड़े-मकोड़े वाली जिंदगी हो गयी है। जिस तरीके से जानवर रहते हैं बस उसी तरीके से हम लोग यहां पर जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

“आस और काश” में चलती इनकी जिंदगी में एक काश जो चांदमारी के लोगों के मन में आज भी है कि कभी कोई हमें देखने के लिए आये। किसी की नजर हम पर पड़े और जिन चीजों के लिए हम सालों से उम्मीद लगाये बैठे हैं। कभी किसी दिन हमलोगों को भी बिजली और पानी की सुविधा मिल जाये। बहरहाल, जिस तरीके से पिछले 20 साल में दिल्ली-एनसीआर ने तरक्की की है। चांदमारी के लोगों को बहुत पहले ही बिजली और पानी की सुविधाएं मिल सकती थी लेकिन फिर वही “काश” की “कभी कोई हमें देखने के लिए आये।”

चांदमारी की झुग्गी में रहने वाली सरस्वती बताती हैं कि, बारिश होने की वजह से घर में पानी टपकता रहता है। पीने के पानी के लिए यहां भटकना पड़ता है, पीने का पानी हम लोग खरीद कर पीते है। पीने का पानी तो छोड़िए, नहाने तक के पानी का व्यवस्था नहीं है। कोठियों से पानी भरकर लाते हैं, उनका मन होता है तो पानी देते हैं वर्ना डांटकर वहां से भगा देते हैं। जब हम सरकारी अधिकारी से मिलने के लिए उनके दफ्तर जाते हैं तो “कंजड़” कहकर हमें वहां से भगाया जाता है।

सरकारी योजनाओं का नहीं मिला है लाभ

जनचौक से बात करते हुए सरस्वती आगे बताती हैं कि, सरकार नयी-नयी योजना लेकर आती है। लेकिन आजतक हमलोगों को एक भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। मोदी सरकार ने आवास योजना निकाला लेकिन हमारे पास पहले भी घर नहीं था और आज भी घर नहीं है। हर घर में पानी को पहुंचाने के लिए नल-जल योजना को चलाया गया, लेकिन इस पूरे चांदमारी में एक भी नल नहीं है। जिस तरह से सरकार के लिए हम नहीं बने हैं उसी तरह से सरकारी योजना भी हमलोगों के लिए नहीं बनी है।

झुग्गियों में रहने वाले लोग पहले महंगाई की मार सह रहे थे और अब इन पर बारिश का कहर। इस वक्त इनका जीना मुहाल होते जा रहा है, मजदूरी करके गुजर-बसर करने वाले यहां लोगों के लिए दो वक्त रोटी भी हर रोज एक सवाल है और ऐसे में महंगाई और बारिश भी इनके लिए अस्तित्व पर खतरा जैसा है।

(राहुल के साथ आजाद शेखर की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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