डॉ.कफील के दूसरे निलंबन आदेश पर रोक, हाईकोर्ट ने कहा- एक माह में पूरी करें जांच

Estimated read time 2 min read

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सरल श्रीवास्तव की एकल पीठ ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉ. कफील अहमद खान के 31 जुलाई 2019 के दूसरे  निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने याची के खिलाफ विभागीय जांच कार्यवाही एक माह में पूरी करने का निर्देश देते हुए रिपोर्ट भी मांगी है और राज्य सरकार से इसे लेकर दाखिल याचिका पर जवाब मांगा है। एकल पीठ ने यह आदेश डॉ. कफ़ील अहमद खान की याचिका पर दिया है।

डॉ कफील अहमद वर्ष 2018 में महानिदेशक कार्यालय लखनऊ से संबद्ध थे तो उसी समय बहराइच में इंसेफलाइटिस बीमारी के कारण एक सप्ताह में 70 बच्चों की मौत हो गई थी। डॉ. कफील इलाज करने के लिए वहां गए थे। बाद में डॉ. कफील को बिना अनुमति लिए बच्चों का इलाज करने व सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

इसे चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया कि निलंबन के दो साल बाद भी जांच प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। ऐसे में उनका निलंबन वापस लिया जाए। साथ ही जब वह एक मामले में निलंबित हैं तो दूसरे मामले में निलंबित करने का कोई औचित्य नहीं है। निलंबन आदेश 31 जुलाई, 19 को पारित किया गया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

डॉ. कफील की ओर से यह तर्क दिया गया कि अजय कुमार चौधरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2015) 7 एससीसी 291 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर निलंबन आदेश लागू नहीं हो सकता। यह विशेष निलंबन आदेश यूपी सरकार द्वारा एक घटना के आधार पर पारित किया गया था, जिसमें उन्होंने अस्पताल के अधिकारियों से अनुमति प्राप्त किए बिना बाल चिकित्सा विभाग (बहराइच जिले में) में मरीजों के परिवारों से कथित तौर पर बातचीत की, जिससे वार्ड में समस्याएं पैदा हुईं।

यह तर्क दिया गया कि चूंकि वह पहले से ही एक निलंबित कर्मचारी है, इसलिए दूसरा निलंबन आदेश पारित करने का कोई औचित्य नहीं था। यह भी प्रस्तुत किया गया कि ऐसा कोई नियम नहीं है जो राज्य सरकार को एक नया निलंबन आदेश जारी करने की अनुमति देता है जब कर्मचारी पहले से ही निलंबित है।

दूसरी ओर, सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच रिपोर्ट 27 अगस्त, 2021 को प्रस्तुत की गई है और जिसकी एक प्रति उन्हें 28 अगस्त, 2021 को भेजी गई है, जिसमें उन्हें जांच रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज करने के लिए कहा गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि जांच तेजी से पूरी की जाएगी।

यह देखते हुए कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है, एकलपीठ ने सभी प्रतिवादियों को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया और 31 जुलाई, 2019 को पारित निलंबन आदेश पर रोक लगा दी। सरकारी वकील का कहना था कि 27 अगस्त, 21 को जांच रिपोर्ट पेश कर दी गई है। याची को आपत्ति दाखिल करने का मौका दिया गया है। सरकार को जांच के दौरान कर्मचारी को निलंबित करने का अधिकार है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और सरकार से जवाब तलब किया है। याचिका की सुनवाई 11 नवंबर को होगी। कोर्ट ने याची के खिलाफ विभागीय जांच कार्यवाही एक माह में पूरी करने का निर्देश देते हुए रिपोर्ट मांगी है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले महीने दिसंबर, 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक विरोध बैठक में सीएए और एनआरसी के बारे में दिए गए डॉ. कफील के भाषण पर एक प्राथमिकी और उनके खिलाफ लंबित पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया था। जस्टिस गौतम चौधरी की एकलपीठ ने पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, जो उनके कथित भड़काऊ भाषण के बाद शुरू की गई थी। साथ ही मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अलीगढ़ के संज्ञान आदेश को भी निरस्त कर दिया गया है। इसी मामले में यूपी सरकार द्वारा डॉक्टर खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया गया था।

पिछले साल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एनएसए के तहत डॉक्टर खान की नजरबंदी को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि उनका भाषण वास्तव में राष्ट्रीय एकता का आह्वान था। डॉक्टर कफील को बीआरडी ऑक्सीजन त्रासदी के बाद निलंबित कर दिया गया था, जिसमें तरल ऑक्सीजन की आपूर्ति अचानक बंद होने के बाद 63 मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। कई पूछताछों से मंजूरी मिलने के बावजूद डॉक्टर कफील को छोड़कर उनके साथ निलंबित किए गए अन्य सभी आरोपियों को बहाल कर दिया गया है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author