छात्राओं के आगे झुका डीयू प्रशासन, छेड़खानी की जांच के लिए बनाई 5 सदस्यीय कमेटी

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आईपी कॉलेज छेड़खानी मामले में डीयू छात्राओं का संघर्ष आखिरकार रंग लाया। लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद डीयू प्रशासन ने छात्राओं की मांग मान ली। डीयू ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है। यूनिवर्सिटी ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी। 

डीयू पैनल के पांच सदस्यों में साउथ कैंपस के निदेशक प्रोफेसर प्रकाश सिंह, प्रॉक्टर रजनी अब्बी, ज्वाइंट प्रॉक्टर गीता सहारा, डीन छात्र कल्याण पंकज अरोड़ा और हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर मंजू मुकुल कांबले शामिल हैं। यूनिवर्सिटी ने कमेटी से भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय सुझाने का अनुरोध किया है।

पिछले सप्ताह वार्षिक समारोह के दौरान कुछ युवक आईपी कॉलेज में जबरन घुस आए और छात्राओं के साथ छेड़खानी करने लगे। जिसे लेकर छात्राओं में काफी नाराजगी देखी गई। छात्राओं ने इसे सुरक्षा में चूक बताते हुए इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था। 

जिसके बाद कॉलेज प्रशासन ने एक बयान जारी कर जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए छात्रों से मदद मांगी। घटना को लेकर कॉलेज के छात्र पिछले दो दिनों से प्रिंसिपल पूनम कुमरिया के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

प्रिंसिपल कुमरिया ने जारी आधिकारिक अधिसूचना में कहा है कि, ‘कॉलेज के प्रबंधन ने छात्रों की सभी शिकायतों को देखने के लिए एक कमेटी गठित की है। कमेटी समारोह के आयोजन के दौरान हुई गड़बड़ियों की समीक्षा करेगी और भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं दोबारा ना हों, यह सुनिश्चित करने के लिए कॉलेज के प्रबंधन को एहतियाती कदम उठाये जाने का सुझाव देगी।’

प्रशासन ने छात्रों और कॉलेज के हितधारकों से छेड़खानी के सबूत के साथ अपनी शिकायत कमेटी के पास जमा करने का अनुरोध किया है। कॉलेज प्रबंधन का मानना है कि घटना के लिए जिम्मेदार सभी व्यक्तियों को कानून लागू करने वाली एजेंसी द्वारा दंड दिया जाना चाहिए। इसके लिए अधिसूचना में कहा गया है कि, कॉलेज के पास मामले से संबंधित जितनी भी जानकारियां आएंगी उसे कानून लागू करने वाली एजेंसियों को भेज दी जाएगी।

इससे पहले घटना के खिलाफ छात्रों ने डीयू के सामने प्रदर्शन भी किया था। डीसीपी(उत्तर), सागर सिंह कलसी ने कहा कि ‘सुबह 11 बजे के आसपास आईपी कॉलेज के बाहर आईसा के प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया। उन्हें वहां से हटने के लिए कहा गया लेकिन वे नहीं हटे। जिसके बाद उन्हें वहां से हटा कर बुराड़ी थाने ले जाया गया। फिर उन्हें छोड़ दिया गया। उनमें से कोई भी आईपीसीडब्ल्यू से नहीं था।’

वहीं आईपीसीडब्ल्यू की छात्रा अंजलि ने कहा कि ‘छात्र कॉलेज के अंदर प्राचार्य के कार्यालय के सामने भी विरोध कर रहे थे। हमारी मांग है कि परसों आम सभा की बैठक हो। हमने कल एक ट्विटर स्टॉर्म आयोजित करने और प्रशासन को ईमेल भेजने का फैसला किया है।’ उन्होंने कहा कि, ‘हम प्रिंसिपल से जवाबदेही लेने की मांग करते हैं, जीएसकैश (यौन उत्पीड़न के खिलाफ लिंग संवेदीकरण समिति) को स्थापित करें और मामले में जिम्मेदार गुंडों को तुरंत गिरफ्तार करें।’

गार्गी कॉलेज के छात्रों ने भी किया प्रदर्शन 

इस बीच गार्गी कॉलेज में छात्रों ने आरोप लगाया कि आईपीसीडब्ल्यू की घटना के बाद, प्रशासन उनके कॉलेज फेस्ट के लिए समय सीमा घटाने पर विचार कर रहा है। जिसे लेकर छात्रों ने कैंपस के अंदर विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि प्रशासन उनके समारोह का समय शाम 5 बजे तक सीमित करना चाहता है और रात के कार्यक्रमों को रद्द करना चाहता है।

गार्गी कॉलेज की छात्रा और एसएफआई कार्यकर्ता अहाना ने कहा कि ‘समारोह हमारा विशेषाधिकार नहीं है, यह हमारा अधिकार है। हम रोक-टोक वाला माहौल नहीं चाहते हैं, हमें प्रशासन से सुरक्षा और जवाब चाहिए। महिलाओं को हमेशा समझौता करना सिखाया गया है, लेकिन हम समझौता नहीं करेंगे, हम तब तक लड़ेंगे जब तक हम अपने कैंपस स्पेस को दोबारा हासिल नहीं कर लेते।’

ऐसा मामला वर्ष 2020 में भी सामने आया था जब कॉलेज के समारोह के दौरान सैकड़ों व्यक्तियों ने कॉलेज परिसर में कथित रूप से तोड़-फोड़ की और छात्राओं के साथ अभद्र व्यवहार किया। पुलिस द्वारा बरामद सीसीटीवी फुटेज में साफ साफ देखा गया है कि पास दिखाने के बाद कुछ व्यक्ति कुछ लड़कियों के साथ परिसर में घुस आए, जबकि कुछ लोग कॉलेज के कर्मचारियों की मौजूदगी में अवैध रूप से दाखिल हो रहे हैं, लेकिन उन्हें रोका नहीं गया।

( कुमुद प्रसाद जनचौक की सब एडिटर हैं।)

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