नई दिल्ली। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और भ्रष्टाचारियों को पकड़ने के लिए बने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बड़े अधिकारी भी घूसखोरी में लिप्त हैं, तो महकमे के छोटे अधिकारियों से ईमानदारी की कोई कितनी उम्मीद कर सकता है? यह सवालिया निशान इस खबर से लग रहा है कि दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े पांच करोड़ रुपये के घूसकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक पवन खत्री को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के असिस्टेंट डायरेक्टर पवन खत्री समेत 6 अन्य अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इन सभी लोगों पर दिल्ली शराब नीति मामले में एक आरोपी से मदद के नाम पर 5 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है।
सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, आरोपियों में ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर पवन खत्री, नितेश कोहर (अपर डिवीजन क्लर्क), दीपक सांगवान (एअर इंडिया कर्मचारी), अमनदीप सिंह ढल, बिरेंदर पाल सिंह, प्रवीण कुमार वत्स (चार्टर्ड अकाउंटेंट) और विक्रमादित्य (क्लेरिजेज होटल्स एंड रिजॉर्ट्स के सीईओ) शामिल हैं। दिल्ली शराब नीति केस में ईडी ने 7 जुलाई को 52.24 करोड़ की संपत्तियां जब्त की थीं।
दिल्ली शराब नीति केस में सीबीआई की जांच में पता चला कि ईडी के सीनियर अफसरों के नाम पर कुछ लोग पैसा वसूल रहे थे। बिरेंदर पाल सिंह, अमन ढल का पिता है, जिसे केस में ईडी और सीबीआई दोनों ने गिरफ्तार किया था।
मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कई लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। आरोप है कि अमन ढल और बिरेंदर पाल सिंह ने प्रवीण वत्स को ईडी से मदद की एवज में 5 करोड़ दिए थे।
प्रवीण वत्स ने बताया कि दीपक सांगवान (एअर इंडिया का असिस्टेंट जनरल मैनेजर) ने उसे भरोसा दिलाया था कि वह शराब नीति केस में अमन ढल के लिए मदद दिलवा देगा, जिससे अमन की गिरफ्तारी नहीं होगी। ऐसा कहकर दीपक ने कुछ पैसे लिए थे। दीपक ने प्रवीण को पवन खत्री (2022 में ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर) से मिलवाया था।
दीपक के भरोसे पर प्रवीण ने अमन से 3 करोड़ लिए थे। ये रकम दिसंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच 50-50 लाख की 6 किस्तों में दी गई थी। अमन ने ये पैसे अपने एक आदमी से प्रवीण के घर भिजवाए थे। सीबीआई की जांच के दौरान प्रवीण के घर से 2.19 करोड़ कैश बरामद किया गया।
इसके अलावा, दीपक सांगवान के घर से 6 जनवरी की 99 पेज की सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेन मिली थी। इससे दीपक के सीनियर ईडी अफसरों के नाम पर पैसे लेने का पता चला था। बाकी के दस्तावेज ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर पवन खत्री के घर पर मिले थे।
दिल्ली शराब नीति केस में ईडी ने 7 जुलाई को 52.24 करोड़ की प्रॉपर्टीज जब्त की थीं। सूत्रों के मुताबिक, इसमें दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी सीमा सिसोदिया की 2 प्रॉपर्टीज सील की गई थी। उनके 11 लाख रुपये के बैंक बैलेंस को भी होल्ड पर रखा गया था।
इसके अलावा, अमनदीप सिंह ढल, राजेश जोशी, गौतम मल्होत्रा सहित सिसोदिया के अन्य करीबियों की भी प्रॉपर्टी जब्त की गई थी। ED ने यह कार्रवाई बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा को गिरफ्तार करने के एक दिन बाद की थी। दिनेश को सिसोदिया का करीबी माना जाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस केस में यह दूसरा प्रोविजनल अटैचमेंट (कुर्की) था। 52.24 करोड़ रुपये की जो संपत्ति जब्त की गई है, उसमें 7.29 करोड़ की अचल संपत्ति शामिल है। जिसमें सिसोदिया और उनकी पत्नी की 2 अचल संपत्तियां शामिल हैं। इनके अलावा, राजेश जोशी की चेरियट प्रोडक्शंस मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की जमीन और फ्लैट और गौतम मल्होत्रा की जमीन और फ्लैट भी जब्त किए गए हैं। इससे पहले, विजय नायर, समीर महेंद्रू, अमित अरोड़ा, अरुण पिल्लई की 76.54 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति जब्त की गई थी।
दिल्ली शराब नीति केस में 1934 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। ED ने अभी तक कुल 128.78 करोड़ की संपत्ति जब्त की है। वहीं, 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। दिल्ली शराब नीति केस में हुए घोटाले को लेकर ईडी के अलावा सीबीआई भी अपनी जांच कर रही है।
6 जुलाई को ईडी ने इसी केस में बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा को गिरफ्तार किया था। ईडी की एफआईआर के मुताबिक अरोड़ा ने एक्साइज पॉलिसी को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। साथ ही वे आप नेता विजय नायर के साथ मिलकर काम कर रहे थे।
ईडी ने मई में फाइल की अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जिक्र किया था कि दिनेश, सिसोदिया के खास हैं। वे एक अन्य बिजनेसमैन अमित अरोड़ा से पैसे लेकर सिसोदिया तक पहुंचाते थे। उन्होंने अमित को फायदा पहुंचाने और शराब नीति में बदलाव करने के लिए सिसोदिया को करीब 2.2 करोड़ की घूस पहुंचाई थी। सीबीआई ने 26 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था।
दिल्ली में पुरानी नीति के तहत L1 और L10 लाइसेंस रिटेल वेंडर को दिया जाता था। इसमें L1 दुकानें डीडीए के अप्रूव्ड मार्केट, लोकल शॉपिंग सेंटर, कन्वीनिएंट शॉपिंग सेंटर, डिस्ट्रिक्ट सेंटर और कम्युनिटी सेंटर में चला करती थीं। दिल्ली में 17 नवंबर 2021 को शराब के लिए नई आबकारी नीति लागू होने तक 849 शराब की दुकानें थीं। इनमें से 60% दुकानें सरकारी और 40% निजी थीं।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर को नई शराब नीति को मंजूरी दी। इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं। इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था। हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई।
उपराज्यपाल और दिल्ली के सीएम को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया। जैसे कि कोरोना महामारी के नाम पर 144.36 करोड़ रुपये की टेंडर लाइसेंस फीस माफ करना। आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया।
नई शराब नीति में तमाम खामियों के बाद चार महीने के भीतर ही नई शराब नीति को वापस ले लिया गया था।
सीबीआई की यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक शिकायत पर शुरू की गई थी। उसने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति घोटाले की अपनी जांच के दौरान पाया कि मामले के आरोपी अमनदीप ढल और उसके पिता बीरेंद्र पाल सिंह ने पांच करोड़ रुपये की रिश्वत चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रवीण वत्स को ईडी जांच में मदद की व्यवस्था करने के लिए दी थी।
उन्होंने बताया कि वत्स ने ईडी को बताया कि सांगवान ने दिसंबर 2022 में उसे खत्री से मिलवाया था। अधिकारियों के अनुसार वत्स ने कहा कि उसने आरोपियों की सूची से ढल का नाम हटाने के लिए दिसंबर 2022 में वसंत विहार में आईटीसी होटल के पीछे एक पार्किंग स्थल पर सांगवान और खत्री को 50 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान किया था। अधिकारियों ने बताया कि ईडी ने अपनी जांच सीबीआई को सौंपी, जिसके आधार पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक मामला दर्ज किया।
एजेंसी ने मुख्य आरोपी सीए प्रवीण वत्स के आवास से 2,19,80,000 रुपये की नकदी भी बरामद की। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्हें ईडी की विशेष निदेशक (एचआईयू-द्वितीय) सोनिया नारंग से सहायक निदेशक पवन खत्री, यूडीसी नितेश कोहर (सभी ईडी), दीपक सांगवान, ढल, ढल के पिता बीरेंद्र पाल सिंह, वत्स, क्लेरिजेस होटल्स एंड रिसॉर्ट्स के सीईओ विक्रमादित्य और अन्य अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एक लिखित शिकायत मिली है।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि विभिन्न व्यक्तियों के दर्ज किए गए बयानों से प्रथम दृष्टया पता चला कि ढल, जिन्हें उत्पाद शुल्क नीति मामले में ईडी और सीबीआई दोनों ने गिरफ्तार किया है और उनके पिता ने 5 करोड़ रुपये (शुरुआत में 3 करोड़ रुपये) दिए थे। शराब मामले में ईडी द्वारा चल रही जांच से निपटने में सहायता की व्यवस्था करने के लिए वत्स को दिसंबर 2022-जनवरी 2023 के महीने और फिर 2 करोड़ रुपये दिए गए।
वत्स ने अपने बयान में कहा कि एयर इंडिया में सहायक महाप्रबंधक के रूप में काम करने वाले सांगवान ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह धन के बदले में ईडी के शराब घोटाला मामले में (उनकी गिरफ्तारी को रोककर) ढल को मदद प्रदान कर सकते हैं। सांगवान ने परिचय दिया एफआईआर के अनुसार, सांगवान के आश्वासन के आधार पर वत्स को दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 के बीच 50 लाख रुपये की छह किस्तों में ढल से 3 करोड़ रुपये मिले।
एफआईआर में आगे उल्लेख किया गया है कि सांगवान ने प्रस्ताव दिया कि 2 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि के लिए ढल को मामले में आरोपियों की सूची से हटाया जा सकता है। वत्स ने यह बात ढल को बताई, जो सहमत हो गए। इसके बाद वत्स को 50-50 लाख रुपये की चार किस्तों में उनसे 2 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले। ढल से सभी भुगतान वत्स अपने घर पर प्राप्त करते थे, और नकदी हमेशा ढल के एक प्रतिनिधि के माध्यम से भेजी जाती थी, जिसका नाम वत्स को नहीं पता है।
एफआईआर में लिखा है, “वत्स ने कहा कि बीरेंद्र पाल सिंह और ढल से प्राप्त राशि में से उसने दिसंबर 2022 के मध्य में वसंत विहार में आईटीसी होटल के ठीक पीछे स्थित एक पार्किंग स्थल पर सांगवान और खत्री को 50 लाख रुपये नकद दिए। इसके बाद ढल को ईडी द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।। वत्स ने आगे कहा कि उन्होंने इस बारे में सांगवान से संपर्क किया, और वे मार्च 2023 में वसंत विहार में मिले। सांगवान ने वत्स को सूचित किया कि ढल की गिरफ्तारी के आदेश उच्च अधिकारियों से आए थे।”
सांगवान ने अपने बयान में उल्लेख किया कि उन्हें जून 2023 में पता चला कि वत्स ने बीरेंद्र पाल सिंह से बड़ी रकम वसूली थी। वत्स ने अपने बयान में कहा कि सांगवान ने उन्हें जनपथ पर एक बैठक के लिए बुलाया, जहां राशि (वत्स द्वारा ढल से ली गई) वापस करने के बारे में चर्चा हुई। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर बैठकें भी हुईं। इनमें से कुछ बैठकों के दौरान खत्री और कोहर भी मौजूद थे।
एफआईआर में कहा गया है कि वत्स ने अपने बयान में स्वीकार किया कि 2023 में वह 1 करोड़ रुपये लाया और बीरेंद्र पाल सिंह को दिया। इस मुलाकात के दौरान खत्री भी मौजूद थे। अतिरिक्त विवरण और सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा करने के बाद ईडी अधिकारियों ने सीबीआई से संपर्क करने का फैसला किया। अधिकारी ने कहा, “शिकायत में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्ट्या आईपीसी की धारा 120 बी, पीसी अधिनियम की धारा 7, 7 ए और 8 के साथ पढ़े जाने वाले दंडनीय अपराध का संकेत देते हैं। हमने एक प्राथमिकी दर्ज की है और मामले की जांच कर रहे हैं।’
(जे.पी.सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)
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