Saturday, April 20, 2024

EPFO में जमा है गाढ़ी कमाई तो हो जाइये चौकन्ना, अडानी ग्रुप की कंपनियों में लग रहा है आपका पैसा

नई दिल्ली। अगर आपकी भी मेहनत की कमाई कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जमा है तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। भारत के सबसे बड़े रिटायरमेंट फंड ईपीएफओ ने अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स में निवेश करना जारी रखा है। ईपीएफओ कम से कम इस साल सितंबर तक ऐसा करेगा। हालांकि, मामले पर दोबारा विचार करने के लिए ईपीएफओ के ट्रस्टी इस सप्ताह मिलकर बातचीत करेंगे।

24 जनवरी को जारी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में लगातार गिरावट आई है, और हाल ही में अडानी ग्रुप में निवेश करने के कारण एलआईसी को भी लगभग 50 हजार करोड़ रूपये का चूना लग चुका है। लेकिन इसके बावजूद ईपीएफओ पेंशन फंड का बड़ा हिस्सा अडानी ग्रुप में लगा हुआ है। इस बीच, भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड(सेबी), अडानी ग्रुप के खिलाफ बाजार के आरोपों की जांच कर रहा है।

अपनी निवेश रणनीति के तहत ईपीएफओ निफ्टी 50 औऱ सेंसेक्स के इंडेक्स में निवेश करता है। निफ्टी 50 ने सितंबर, 2022 में अडानी एंटरप्राइजेज को जोड़ा था।
इस साल 30 मार्च से शुरू होने वाली अवधि के लिए निफ्टी 50 ने अगले छह महीने के लिए स्टॉक को बरकरार रखा है। ईपीएफओ अगस्त, 2015 से ईटीएफ में निवेश कर रहा है।

शुरूआत में निकाय ने अपनी जमा राशि का 5% शेयर बाजारों में निवेश करने का फैसला किया था। बाद में, 2016-17 में इसे बढ़ाकर 10% और 2017-18 में 15% कर दिया गया। अडानी पोर्ट्स और एसईजेड सितंबर 2015 से निफ्टी 50 का हिस्सा रहे हैं। एनएसई सहायक, एनएसई इंडेक्स की तरफ से हाल ही में सूचकांक की समीक्षा के बाद, इस स्टॉक को अगले छह महीनों के लिए निफ्टी 50 में भी बनाए रखा गया है।

ईपीएफओ ने मार्च 2022 तक ईटीएफ में 1.57 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। अनुमान है कि उसने 2022-23 के दौरान ईपीएफ सदस्यों को भेजे गए करीब 2.54 लाख करोड़ रुपये के नए योगदान में से 38,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। हालांकि यह साफ नहीं है कि इसके फंड मैनेजरों को लोगों की पेंशन बचत को सुरक्षित रखने के लिए उन शेयरों में नए निवेश से बचने के लिए कोई निर्देश दिया गया था या नहीं।

ईपीएफओ के ट्रस्टियों ने बताया कि उन्हें अडानी स्टॉक एक्सपोजर के बारे में पता नहीं था, लेकिन यह मुद्दा बोर्ड की दो दिवसीय बैठक में उठ सकता है। बैठक 27 और 28 मार्च को होगी जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे। बैठक में सदस्यों को दी जाने वाली ब्याज दर पर चर्चा की उम्मीद है।

ईपीएफ 8.10% की ब्याज दर प्रदान करता है, जो अप्रैल 2022 और मार्च 2023 के बीच किए गए ईपीएफ जमा पर लागू होता है। जमा पर ब्याज की गणना मासिक रूप से की जाती है, लेकिन यह केवल 31 मार्च को वर्ष में एक बार कर्मचारी भविष्य निधि खाते में जमा की जाती है। मार्च 2022 में, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफ दर को घटाकर 45 साल के निचले स्तर 8.1% कर दिया गया था।

(कुमुद प्रसाद जनचौक में कॉपी एडिटर हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

Related Articles

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।