अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव और ओबरा के पूर्व विधायक कॉ. राजाराम सिंह ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा संगठन के राष्ट्रीय सचिव और विप्लवी किसान संदेश पत्रिका के संपादक का. पुरुषोत्तम शर्मा को जांच के बहाने आठ घंटे बिठाए रखने की कड़े शब्दों में निंदा की है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा UAPA कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अब पुलिस इन दंगों को उकसाने और संगठित करने वाले भाजपा नेताओं को बचाने के लिए दिल्ली में CAA, NRC विरोधी आंदोलन के नेताओं को साजिशन फंसा रही है।
इन आंदोलनों को समर्थन देने के कारण इस मुकदमे में दिल्ली पुलिस ने उन्हें भी नामजद किया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जांच के नाम पर आठ अगस्त को लोदी कॉलोनी स्थित अपने कार्यालय में उन्हें आठ घंटे बिठाए रखा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की उक्त कार्रवाई मोदी सरकार द्वारा देश में चल रहे किसान और मजदूर आंदोलनों को कुचलने की एक सोची समझी साजिश है। आज जब मोदी सरकार की किसान-मजदूर विरोधी और कारपोरेट परस्त नीतियों का देश में विरोध हो रहा है। देश के मजदूर और किसान संगठन इस सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आंदोलन में हैं। ऐसे में देश के मजदूर-किसान नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसा कर सरकार इन आंदोलनों को कुचलना चाहती है।
किसान महासभा इस झूठे मुकदमे में नामजद सभी किसान, मजदूर, छात्र नेताओं, बुद्धिजीवियों और CAA, NRC विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ताओं को बाहर करने की मांग करती है। किसान महासभा उत्तरी पूर्वी दिल्ली दंगों के असली साजिशकर्ता और उकसाने वाले भाजपा नेता कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज करने की मांग करती है।