Saturday, April 27, 2024

महिला पहलवान: जांच समिति कर रही है बृजभूषण शरण सिंह को बचाने का प्रयास

क्या महिला पहलवानों के आरोपों की जांच के लिए बनी समिति  बृजभूषण शरण सिंह को बचाने की कोशिश कर रही है। क्या पहलवानों को समझाने-बुझाने के नाम पर उन पर दबाव बनाने की प्रयास किया जा रहा? पहलवानों  के बयान से ऐसा ही झलक रहा है। भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही आधिकारिक निरीक्षण समिति की जांच से महिला पहलवान संतुष्ट नहीं हैं।

समिति के सामने पेश होने वाली कम से कम तीन पहलवानों ने पैनल की कार्यवाही पर असंतोष जताया है। नाम न प्रकाशित किए जाने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में, तीनों पहलवानों ने कहा कि उनसे उनके हैरेसमेंट का “वीडियो या ऑडियो सबूत” मांगा जा रहा है।

तीनों में से एक पहलवान ने बताया कि उसे समिति के एक सदस्य ने कहा कि “बृजभूषण शरण सिंह एक पिता की तरह” हैं। महिला पहलवानों ने उनके स्पर्श को गलत समझा है। एक अन्य पहलवान ने कहा कि पीड़ितों ने अपने बयान देने के दौरान कमरे में केवल निगरानी समिति की महिला सदस्यों के मौजूद होने का अनुरोध किया था। जिसे समिति ने ठुकरा दिया।

इससे पहले भी दो महिला पहलवानों ने सिंह के खिलाफ अपने बयान दर्ज करवाये थे। जिसमें उन्होंने कहा कि सिंह ने उनके सांस लेने के पैटर्न की जांच के बहाने उनके ब्रेस्ट और पेट को छुआ और एक प्रशिक्षण सत्र के दौरान उनकी जर्सी उठाई थी।

इन दोनों पहलवानों ने अपनी पुलिस शिकायतों में यह भी दावा किया है कि गवाही देते समय ऐसे मौके आए जब समिति ने वीडियो रिकॉर्डिंग बंद कर दी। तीन पहलवानों में से एक ने कहा कि “पहली सुनवाई में ही, कुछ लड़कियां बहुत असहज थीं क्योंकि उन्हें व्यक्तिगत रूप से मौजूद होने के लिए कहा गया था। जिसके बाद अगली बार से, हम एक ग्रुप में शामिल हुए।” दो सुनवाई हुईं और कम से कम 12 लोगों ने समिति को गवाही दी है। इनमें कुछ पहलवान भी शामिल थे जिनके बयान मजिस्ट्रेट ने दर्ज किए हैं। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने पिछले हफ्ते सिंह से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज किया था।

एक बार सुनवाई के दौरान, एक अन्य पीड़ित पहलवान ने कहा कि “जब समिति के सदस्यों को पता चला कि वीडियो रिकॉर्डिंग चालू नहीं थी। तो उससे फिर उसका यौन उत्पीड़न कैसे किया गया, यह उन्हें  दोहराने के लिए कहा गया।” 

तीसरे पहलवान ने आरोप लगाया कि उन्होंने ई आयोजन समिति के कई सदस्यों को अपनी  के प्रति असंवेदनशील महसूस किया। उन्होंने कहा कि “वे (निगरानी समिति) हमें जल्दी-जल्दी बयान दर्ज करने की कोशिश कर रहे थे। जैसे वे एक कान से हमारी बात सुनना चाहते थे और दूसरे कान से निकाल देना चाहते थे और चाहते थे कि हम जल्दी से समाप्त कर दें। बयान पूरा होने से पहले ही हमें आगे बढ़ने के लिए कहा जा रहा था। उन्होंने हमारी भावनात्मक स्थिति को समझने की कोशिश नहीं की और हम समिति के सामने बोलने में सहज महसूस नहीं कर रहे थे।“

कुछ निगरानी समिति के सदस्यों ने भी कथित तौर पर शिकायतकर्ताओं को बताया कि उनके हाथ तब तक बंधे हुए हैं, जब तक कि उन्हें कथित तौर पर यौन उत्पीड़न का सबूत नहीं दिया जाता। 

एक पहलवान ने अपने साथियों से कहा कि “उन्होंने हमसे पूछा कि क्या हमारे पास वीडियो या ऑडियो सबूत है।” उन्होंने कहा कि ”बिना सबूत के हम क्या कर सकते हैं?’ महिला पहलवान ने समिति के सदस्यों से कहा कि “यौन उत्पीड़न होते समय कौन सी महिला रिकॉर्ड कर पाएगी। जब एक महिला के साथ ऐसा कुछ होता है, तो वह सांस भी नहीं ले पाती है। पहलवानों ने बताया कि समिति के सदस्य ने कहा कि वे ( बृजभूषण शरण सिंह) एक पिता की तरह थे और उनकी हरकतें पूरी तरह मासूमियत से की गई थीं। महिला पहलवानों ने उन्हें गलत समझ लिया।”

सुनवाई के दौरान एक तीसरे पहलवान ने कहा, समिति के एक सदस्य ने पीड़ितों में से एक को “प्रशिक्षण पर लौटने के लिए” कहा। साथ उन्होंने यह भी कहा कि हमारा समिति के सामने पेश होने का “कोई मतलब नहीं है।”

एक पहलवान ने कहा कि सुनवाई के दौरान समिति का एक सदस्य जूम  से कनेक्ट हुआ। यह महिला पहलवानों से संबंधित एक बेहद संवेदनशील मुद्दा था। लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और यह सदस्य सुनवाई वाले कमरे में मौजूद नहीं था। हमें बताया गया कि यह सदस्य जिम में था और इसलिए जूम के माध्यम से सुनवाई में शामिल हुआ।

समिति में मैरी कॉम के अलावा SAI की पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम विंग) राधिका श्रीमन, खेल मंत्रालय की लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना के पूर्व सीईओ राजेश राजगोपालन, मिशन ओलंपिक सेल की सदस्य और पूर्व शटलर तृप्ति मुरुगुंडे और पहलवान ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता बबीता फोगाट शामिल हैं। 

SAI की पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम विंग) राधिका श्रीमन ने तीनों पहलवानों के लगाए आरोपों पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हालांकि उसने दो पहलवानों की इस शिकायत का खंडन किया कि कभी-कभी वीडियो रिकॉर्डिंग बंद कर दी जाती थी।

श्रीमन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया की “सब कुछ वीडियो-रिकॉर्डेड था और यह मंत्रालय के पास है। इसलिए यहां वहां कोई शब्द नहीं बदला जा सकता है। वीडियो रिकॉर्डिंग के बाद उसका ट्रांसक्रिप्शन भी किया गया। जो लिखा गया था वह रिपोर्ट के अनुलग्नक में है।“ उन्होंने कहा कि वीडियो रिकॉर्डिंग तभी रोकी गई जब “लंच या चाय परोसी जा रही थी।”

( कुमुद प्रसाद जनचौक की सब एडिटर हैं।)

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