Tuesday, April 23, 2024

छह एयरपोर्ट मामले में भी वित्त और नीति आयोग ने अडानी की बोली से पहले जताई थी आपत्ति

अडानी को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर होता जा रहा है। राहुल गांधी ने केंद्र सरकर को घेरते हुए कहा है कि वित्त और नीति आयोग ने अडानी को देश के 6 एयरपोर्ट की जिम्मेदारी देने के लिए नियमों में बदलाव किए।

मंगलवार को राहुल गांधी ने संसद में सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अडानी ग्रुप को अहमदाबाद स्थित उड्डयन क्षेत्र में प्रवेश कराने के लिए नियमों में बदलाव किए गए और जांच एजेंसियों द्वारा मुंबई एयरपोर्ट के संचालक को जबरदस्ती बाहर किया गया। जिसके बाद एयरपोर्ट अडानी को सौंप दिया गया।

मुंद्रा में एक निजी हवाई-पट्टी चलाने से लेकर, हैंडल किए जाने वाले एयर पोर्ट्स की संख्या के मामले में देश के सबसे बड़े निजी डेवलपर और पैसेंजर ट्रैफिक के मामले में दूसरा सबसे बड़ा ग्रुप बन चुके अडानी ग्रुप का यह विकास 24 महीनों से भी कम समय में हुआ है।

राहुल गांधी ने मोदी सरकार के कार्यकाल में अडानी के हुए विकास पर भी सवाल उठाया है।

एयरपोर्ट के क्षेत्र में अडानी ग्रुप का प्रवेश तब हुआ जब केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने वर्ष 2019 की हवाई अड्डे की बोली प्रक्रिया के संबंध में रिकॉर्ड आपत्तियां दर्ज की थीं। जिन्हें बाद में खारिज कर दिया गया। जिससे छहों हवाई अड्डों को अडानी ग्रुप के सौंपे जाने का रास्ता साफ हो गया।

अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए बोलियां आमंत्रित करने से पहले, केंद्र की सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (पीपीपीएसी) ने 11 दिसंबर, 2018 को प्रक्रिया के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा की थी।

इन चर्चाओं के दौरान, आर्थिक मामलों के विभाग के एक नोट में कहा गया है कि “ये छह हवाईअड्डा परियोजनाएं अत्यधिक कैपिटल-इंटेन्सिव परियोजनाएं हैं, इसलिए यह क्लॉज शामिल करने का सुझाव दिया गया है कि एक बोली लगाने वाले को दो से अधिक हवाईअड्डे नहीं दिए जाएंगे। उन्हें अलग-अलग कंपनियों को देने से यार्डस्टिक प्रतियोगिता में भी सुविधा होगी।” पीपीपीएसी को डीईए का यह नोट  दिनांक 10 दिसंबर, 2018 को विभाग के पीपीपी सेल में एक निदेशक द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

अपनी बात को साबित करने के लिए डीईए ने दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों के उदाहरण का हवाला दिया, जहां एकमात्र योग्य बोली लगाने वाला होने के बावजूद जीएमआर को दोनों हवाईअड्डे नहीं दिए गए थे। डीईए ने दिल्ली के बिजली वितरण के निजीकरण का भी उल्लेख किया, जहां शहर को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया था और दो अलग-अलग कंपनियों को दिया गया था। पीपीपीएसी की बैठक में डीईए द्वारा उठाए गए इन सवालों पर कोई चर्चा नहीं हुई।

उधर नीति आयोग ने भी हवाई अड्डे की बोली को लेकर अलग चिंता जताई। सरकार के प्रमुख नीति थिंक-टैंक के पीपीपी वर्टिकल द्वारा तैयार एक मेमो में कहा गया है कि “पर्याप्त तकनीकी क्षमता की कमी वाले बोलीदाता परियोजना को खतरे में डाल सकते हैं और उन सेवाओं की गुणवत्ता से समझौता कर सकते हैं, जो सरकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

इसके जवाब में तत्कालीन डीईए सचिव की अध्यक्षता में पीपीपीएसी ने कहा कि ईजीओएस (सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह) ने पहले ही फैसला कर लिया था कि “हवाई अड्डा चलाने के अनुभव को न तो बोली लगाने के लिए शर्त बनाया जा सकता है, न ही बोली के बाद की आवश्यकता। इससे ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जो पहले से ही काम कर रहे हैं।“

एएआई द्वारा संचालित छह हवाईअड्डों के लिए बोली प्रक्रिया के दौरान, अडानी ग्रुप ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ दिया, जिसमें जीएमआर ग्रुप, ज्यूरिख एयरपोर्ट और कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड जैसे अनुभवी शामिल थे, साथ ही कंपनियों ने छह में से प्रत्येक में बड़े अंतर से बोली लगाई।

बोलियां लगाने के बाद 50 वर्षों की अवधि के लिए सभी छह हवाई अड्डों को संचालित करने का अधिकार प्राप्त हुआ। जिसमें शुरुआत में दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों का निजीकरण किया जाना था, जहां इन दोनों हवाई अड्डों में एएआई की 26% इक्विटी के अलावा रियायत की अवधि 30 वर्ष थी।

छह हवाईअड्डों के लिए बोलियां जीतने के एक साल बाद, अडानी ग्रुप ने फरवरी 2020 में अहमदाबाद, मंगलुरु और लखनऊ हवाईअड्डों के लिए रियायती समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

उसके बाद मार्च 2020 में, अडानी ग्रुप ने विशेष रूप से हवाई अड्डे के कर्मचारियों को लेकर कोविड-19 महामारी के कारण आ रही कठिनाइयों का हवाला देते हुए एएआई से तीन हवाई अड्डों को लेने के लिए फरवरी 2021 तक समय बढ़ाये जाने की मांग की और Covid19-लिंक्ड फोर्स मेज्योर का आह्वान किया।

जिसके बाद एएआई ने अडानी ग्रुप को नवंबर 2020 तक तीन हवाईअड्डों का अधिग्रहण करने का समय दिया था। इन छह हवाईअड्डों में से तीन हवाई अड्डे जिसमें अहमदाबाद, मंगलुरु और लखनऊ को नवंबर 2020 में अडानी ग्रुप को सौंप दिया गया था। तीन और हवाई अड्डों जिनमें जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के लिए सितंबर 2020 में एएआई और अडानी ग्रुप के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे।

कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए एएआई से और समय मांगने के छह महीने के भीतर ही, अडानी ग्रुप ने जीवीके ग्रुप से मुंबई में देश के दूसरे सबसे बड़े हवाई अड्डे और नवी मुंबई में बनने वाले ग्रीनफ़ील्ड हवाई अड्डे का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।

अडानी ग्रुप द्वारा मुंबई हवाई अड्डे के अधिग्रहण से पहले के महीनों में, जीवीके ग्रुप ने अक्टूबर 2019 में भारत के सॉवरेन फंड (NIIF) सहित निवेशकों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें अडानी को रोकने की कोशिश की गई थी।

लेकिन एक साल से भी कम समय में, 31 अगस्त, 2020 को, जीवीके ग्रुप ने अडानी एंटरप्राइजेज को मुंबई हवाई अड्डे और नवी मुंबई हवाई अड्डे में अपनी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।

संयोग से, एक महीने पहले ही जीवीके ग्रुप को कई जांच एजेंसियों की जांच का सामना करना पड़ा।  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास में कथित गड़बड़ियों को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जीवीके ग्रुप के कार्यालयों और मुंबई और हैदराबाद में उसके प्रमोटरों के आवासों पर छानबीन की।

7 जुलाई, 2020 को प्रवर्तन निदेशालय ने 27 जून को सीबीआई के दर्ज एफआईआर के तहत कार्रवाई करते हुए जीवीके ग्रुप, उसके चेयरमैन जीवीके रेड्डी, उनके बेटे जीवी संजय रेड्डी समेत कुछ अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 3 के तहत शिकायत दर्ज की। सीबीआई ने इन सभी पर मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास में अनियमितताओं का भी आरोप लगाया था।

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