Monday, December 11, 2023

मोदी सरकार के सलाहकारों से परेशान वित्त मंत्रालय, पत्र लिखकर मांगा पूरा विवरण

नई दिल्ली। देश के पढ़े-लिखे नौजवान बेरोजगार घूम रहे हैं और भारत सरकार के कई बड़े मंत्रालय प्लेसमेंट एजेंसियों के सलाहकारों पर निर्भर हैं। ऐसे सलाहकारों को मंत्रालय भारी पैकेज पर रख रहा है। सलाहकारों, विषय विशषज्ञों और प्रोफेशनल्स पर वेतन और भत्ता के रूप में भारी राशि व्यय की जा रही है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि भारत सरकार के किसी एजेंसी को यह जानकारी नहीं है कि विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों में कुल कितने लोग काम कर रहे हैं। मंत्रालयों और विभागों का यह खर्च वित्त विभाग पर भारी पड़ने लगा है।

इस कड़ी में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में विशेष सचिव एनी जॉर्ज मैथ्यू ने 4 अक्टूबर को सभी मंत्रालयों और विभागों को एक पत्र लिखकर सलाहकार, प्रोफेसनल्स और विशेषज्ञों के वेतन आदि पर खर्च के साथ ही कार्यालय पर खर्च होने वाली राशि का लेजा-जोखा मांगा है। पत्र में कहा गया है कि “पेशेवरों को नियुक्त करने के मद में बजट आवंटन पर सार्थक चर्चा के लिए यह जानकारी आवश्यक है।”

केंद्रीय बजट 2024-25 से पहले, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों से उनके द्वारा नियुक्त सलाहकारों का विवरण प्रस्तुत करने को कहा है, जिसमें उनकी संखाय, चयन प्रक्रिया, सामान्य कार्यकाल और औसत पारिश्रमिक शामिल है।

मंत्रालयों से इस मुद्दे को “सर्वोच्च प्राथमिकता” देने का अनुरोध करते हुए पत्र में उनसे 9 अक्टूबर तक जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि कुछ विभागों के जवाब अभी भी प्रतीक्षित हैं।

मंत्रालयों और विभागों तथा उनके अधीन संगठनों और कार्यालयों द्वारा नियुक्त किए जाने वाले सलाहकारों में युवा पेशेवर, डोमेन विशेषज्ञ कंसल्टिंग फर्मों या आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से लिए गए कर्मचारी और पीएसयू, राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों और नियामक निकायों के अधिकारी शामिल हो सकते हैं।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “हमें बाहर से आए पेशेवरों की ताकत का कोई स्पष्ट अंदाजा नहीं है। कुछ विभाग ऐसे हैं जिनके अंतर्गत कई सौ लोग सलाहकार के रूप में काम करते हैं, और उनमें से कुछ को बहुत अधिक वेतन दिया जाता है।”

पांच बड़ी कंपनियों पीडब्ल्यूसी, ईवाई, केपीएमजी, डेलॉइट और मैकिन्से के सलाहकारों को कुछ विभागों में रखा गया है। कई भौतिक रूप से मंत्रालयों और विभागों के कार्यालयों में स्थित हैं, और कुछ उन साइटों पर भी हैं जहां पायलट योजनाएं शुरू की जा रही हैं।

जिन मंत्रालयों ने बड़ी संख्या में सलाहकारों को नियुक्त किया है उनमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, ग्रामीण विकास; शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता, कृषि और किसान कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, महिला और बाल विकास और नीति आयोग का नाम प्रमुख है।

इसी तरह की एक कवायद 2015 में आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा की गई थी, लेकिन यह बाहरी एजेंसियों से नियुक्त सलाहकारों तक ही सीमित थी। इसकी जांच तीन विभागों के सचिवों की कमेटी ने की।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles