रोहतास: फैक्ट्रियां बंद होने के बाद नौकरी गयी और अब आशियाने पर लटकी है तलवार

रोहतास, बिहार। रोहतास औद्योगिक समूह के नाम से प्रसिद्ध रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन शहर, 20वीं शताब्दी में भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक परिसर एवं सबसे संपन्न इलाकों में से एक था। साल 1970 के बाद इस औद्योगिक शहर की एक के बाद एक इकाइयां बंद होने लगीं। फिर 9 सितम्बर 1984 को सारी फैक्ट्रियों पर ताला लग गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1984 तक इन फैक्ट्रियों में 12,629 लोग काम करते थे। जिनमें अफसरों से लेकर वर्कर तक शामिल थे। सभी लोग एक झटके में बेरोजगार हो गये। नौकरी जाने के बाद भी इनका घर वहीं रहा। सारे परिवार छोटे छोटे से घरों (क्वार्टरों) में वर्षों से रह रहे हैं। अब 4 अगस्त 2023 को पटना हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि 30 अगस्त तक सभी 1471 घरों को खाली कराया जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल घर खाली कराने पर रोक लगा दी है। 1471 घरों में करीब 5 हज़ार से अधिक लोग रहते हैं।

इस फैसले के बाद इन घरों में रहने वाले लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। यहां रह रहे कई परिवारों की स्थिति इतनी खराब है कि 11 बुजुर्गों ने तो राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छामृत्यु की मांग भी की है। डालमिया नगर शहर में कई जगहों पर आंदोलन किए गए तो सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, और हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है जो जल्द ही आने वाला है।

कहां जाएं हम लोग?

65 वर्षीय निभा देवी के तीनों बेटी की शादी इसी शहर में हुई है। वो अपने छोटे बेटे के साथ क्वार्टर में रह रही है। घर चलाने के लिए वह दूसरे के यहां काम करती हैं। फैसला आने के बाद वह सदमे में हैं कि अब आगे क्या होगा? ऐसी निभा देवी यहां भरी हुई हैं।

डालमिया नगर में रहने वाले 45 वर्षीय चंद्र सिंह बताते हैं कि, “छोटा सा कमरा है और उससे सटा हुआ एक छोटा सा किचेन। छत भी पक्की नहीं है, वह एस्बेस्टस की है। क्वार्टर देखिए कितना जर्जर हो चुका है। रहने वाले लोग समय-समय पर मरम्मत कराते रहते हैं। इसके बावजूद लोग सिर्फ यहां पर मजबूरी के कारण रह रहे हैं। अधिकांश परिवार छोटी-मोटी नौकरी पर पल रहा है। मजदूरों के पास गांव में रहने को जमीन नहीं है, वह भूमिहीन हैं। आखिर इतने लोग कहां जाएं एक साथ? सरकार को हमारा साथ देना चाहिए।”

डालमिया नगर के स्थानीय निवासी और पेशे से दुकानदार अजय सिंह कहते हैं कि, “करीब 50 वर्षों से यहां 1471 क्वार्टरों में किराए पर रह रहे परिवारों को बेघर करने का उच्च न्यायलय से आदेश आया है। झुर्रियों वाले चेहरे की बेबसी को देखिये। इनकी उदास आंखें जोर जोर से कह रही हैं कि बस बहुत हो गया। बहुत कुछ खो गया। अब कोई संभाल लो मुझको। सालों पहले रोजगार छीन लिया, रोटी छीन ली, बच्चों का भविष्य संवारने का सपना छीन लिया। एक पीढ़ी को बेरोजगार कर, अगली पीढ़ी को भी लाचार कर दिया। अब मकान छीन रहे हैं, कैसे जियेगा हमारा परिवार।”

आंदोलन पर निवासी

पिछले कई दिनों से डालमिया नगर के स्थानीय निवासी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी प्रदर्शन में शामिल हो रहे चंदन तिवारी बताते हैं कि,”कई दिनों तक हम लोग धरना प्रदर्शन किए‌। कोर्ट के आदेशानुसार हमें आवास चंद दिनों में खाली करना है। कोई अधिकारी, पदाधिकारी और स्थानीय नेता अभी तक सुध लेने नहीं पहुंचा।”

लोगों के समर्थन में खड़े हुए पप्पू यादव

लेकिन पूर्व सांसद पप्पू यादव ने ‘डालमिया क्वार्टर बचाओ आंदोलन’ के तहत रोहतास में 2 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली थी। उन्होंने मीडिया से कहा कि, “बिहार में किसान और मजदूर दोनों बर्बाद हो गए हैं। लाखों लोग पलायन कर रहे हैं। साजिश के तहत फैक्ट्रियां बंद की जा रही हैं। दलाल लूटने में लगे हैं। आखिर 4-4 बार फैक्ट्री चल कर बंद क्यों हो गई? सोन नदी के अवैध दोहन से किसान बदहाल हो गए। दलाल नेता फॉर्च्यूनर पर चढ़ गए। डालमिया नगर मामले को लेकर मैं मुख्यमंत्री से मुलाकात करूंगा। कानूनी प्रक्रिया के तहत हम आगे बढ़ेंगे। इस लड़ाई को अपनी लड़ाई बना कर लड़ेंगे।”

स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता रितेश कुमार बताते हैं कि, “वर्षों से वहां रह रहे लोगों को जमीन माफिया और भ्रष्ट अधिकारी जबरन हटाना चाह रहे हैं, जबकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। लेकिन हम इस फैसले के खिलाफ गांधीवादी तरीके से प्रतिरोध करेंगे और अपने आशियाने को बचाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।”

‘कर्मचारियों को नीलाम की जाए जमीन’

कर्मचारी और मजदूर अपने घरों के बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं वहीं पूर्व कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि क्वार्टर की जमीन को कर्मचारियों को बेचा जाए ताकि उन्हें फिर नया घर खरीदने के लिए भटकना न पड़े। सरकार क्वार्टर की जमीन को नीलाम कर रही है।

नाम ना बताने के शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने कहा कि ‘नीलामी अधिकारी लोग करवा रहे हैं और अधिकतर बाहर के लोग इसमें शामिल हो रहे हैं। अगर देश के टेनेंट एक्ट के हिसाब से देखें तो यदि मालिक किसी संपत्ति को बेचना चाहे तो पहला हक़ वर्षों से रहने वाले किराएदार का होना चाहिए’।

उन्होंने कहा कि ‘एक तरफ पीएम मोदी और नीतीश कुमार गरीबों को घर बनाकर देने की बात कह रहें वहीं दूसरी तरफ़ इतने परिवारों को घर से बेदखल करने पर किसी भी पार्टी की कोई प्रतिक्रिया नहीं दिख रही है’।

वहीं डालमिया नगर के लोगों को अभी भी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट दशकों से यहां रह रहे लोगों के पक्ष में फ़ैसला सुनाएगा।

(रोहतास से राहुल कुमार की रिपोर्ट।)

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