झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिली जमानत 

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झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने 28 जून को जमीन घोटाला मामले में जेल में बंद हेमंत सोरेन को जमानत दे दी। हेमंत सोरेन को 50 हजार रुपए के 2 मुचलके पर जमानत दी गई है।

हेमंत सोरेन को करीब 5 महीने के बाद जमानत मिली है। 31 जनवरी 2024 की रात को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लंबी पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर किया गया था। 13 जून को हेमंत सोरेन के अधिवक्ता और प्रवर्तन निदेशालय के वकील की दलीलें पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने अपने मुवक्किल को जमानत देने की पैरवी कोर्ट में की थी। उनकी दलीलों का प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील एसवी राजू ने विरोध किया और कोर्ट से आग्रह किया कि हेमंत सोरेन को जमानत नहीं दी जाए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उल्लेखनीय है कि बड़गाईं में 8.5 एकड़ जमीन के कथित घोटाला मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के वकील लगातार जमानत के लिए कोर्ट में अर्जियां लगा रहे थे। मनी लाउंडरिंग केस में गिरफ्तार किए गए हेमंत सोरेन ने पीएमएलए कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक में जमानत की अर्जी दी, लेकिन बार-बार उनकी जमानत अर्जी खारिज हो जा रही थी।

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर 10 मई को सुनवाई के दौरान हेमंत की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बहस की थी। जिसमें हेमंत सोरेन का पक्ष रखते हुये कपिल सिब्बल ने दलील दिया कि पूरा मामला 8.86 एकड़ जमीन से जुड़ा हुआ है। ईडी के आरोपों के अनुसार राजस्व कर्मचारी ने सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ की है। साथ ही इस मामले में एजेंसी अबतक कोई ठोस दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सकी है। जिससे यह साबित किया जा सके कि हेमंत सोरेन का इस भूमि पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रुप से कोई अधिकार है। इसके साथ ही हेमंत सोरेन के खिलाफ जो धाराएं लगाई हैं, वह पीएमएलए के अन्तर्गत ठीक नहीं है।

वहीं, बड़गाई अंचल जमीन घोटाले के आरोप में ईडी ने 31 जनवरी को देर रात हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद एक फरवरी को अदालत में पेश किए गए थे। जहां से उनको न्यायिक हिरासत में लेते हुए जेल भेज दिया गया था। तब से वह बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार में हैं। इसके साथ ही इस केस से जुड़े अफसर अली, जेएमएम नेता अंतू तिर्की, प्रियरंजन सहाय, विपिन सिंह और इरशाद समेत अन्य 22 लोगों की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। ये सभी न्यायिक हिरासत में होटवार जेल में बंद हैं।

28 जून को सुबह डबल बेंच की सुनवाई के बाद जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की सिंगल बेंच ने अपना आदेश सुना दिया। उन्होंने कोर्ट रूम में एक लाइन का फैसला सुनाया, जिसमें कहा कि हेमंत सोरेन को जमानत दी जाती है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हेमंत सोरेन को जमानत मिलने पर प्रसन्नता जताई और कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। वहीं झारखंड हाईकोर्ट में ईडी को उस वक्त झटका लगा, जब जमानत पर 24 घंटे के स्टे लगाने के उसके आग्रह को नामंजूर कर दिया गया।

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत मिलने के बाद उन्हें 28 जून की शाम तक ही उन्हें जेल से बाहर लाने की कवायद पूरी करने की तैयारी चल रही है। वहीं उन्हें जमानत मिलने के बाद से ही झारखंड की राजनीतिक गलियारे में उथल-पुथल देखा जाने लगा है। झामुमो के साथ भाजपा में भी अपनी रणनीति में बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं।

झामुमो के सूत्र बताते हैं कि हेमंत सोरेन को जेल जाने से व्यक्तिगत रूप से परेशानी जरूर हुई है, लेकिन राजनीतिक तौर पर पार्टी को फायदा हुआ है। लोकसभा की सीटों में इजाफा होने के बाद झामुमो को अब विधानसभा चुनाव में भी फायदा मिलने की पूरी उम्मीद दिख रही है। आगामी 5 महीने बाद विधानसभा का चुनाव है। वैसे आगे क्या होगा इस पर पूरी तरह कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना तो जरूर है कि झारखंड की राजनीति में कुछ तो बदलाव देखने को मिलेगा।

राजनीतिक गलियारे में अब कई सवालों के साथ तरह-तरह की चर्चाएं देखने सुनने को मिल रही हैं। इन चर्चाओं में अहम है कि क्या हेमंत सोरेन फिर से सीएम की कुर्सी पर आसीन होना चाहेंगे? 

झारखंड विधानसभा चुनाव नवंबर या दिसंबर 2024 में होगा। क्योंकि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त होने वाला है। पिछला विधानसभा चुनाव दिसंबर 2019 में हुआ था।

ऐसे में क्या हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद पर फिर से आसीन होंगे? क्या चंपई सोरेन को कुर्सी छोड़नी पड़ेगी?  कई अनुत्तरित सवाल हैं जो राजनीतिक समझदारों की जेहन में अभी से कौंध रहा है।

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपनी पूरी तत्परता से अपनी वफादारी पार्टी को दिखायी है। अभी तक किसी भी तरह का कोई अफवाह या अन्य चर्चा को हवा नहीं लगने दी है। चंपई सोरेन पार्टी और सरकार का काम कायदे से करते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ चर्चा हो रही है कि अगर हेमंत सोरेन फिर से कुर्सी पर काबिज होते हैं, तो हो सकता है कि झामुमो के भीतर बिखराव आ जाए। अगर ऐसा होता है तो विधानसभा चुनाव में झामुमो को काफी नुकसान होगा।

दूसरी तरफ बात हो रही है कि झामुमो अपने आप को झारखंड में और ज्यादा मजबूत करने की रणनीति पर फोकस करेगा। इसलिए अभी जैसे सरकार चल रही है, वैसे ही चलती रहेगी। हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ मिलकर पार्टी की कमान संभालेंगे और पार्टी को मजबूत करने के काम पर जोर-शोर से लगेंगे। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर हेमंत इस लाइन-लेंथ पर काम करते हैं तो पार्टी के साथ हेमंत को भी काफी फायदा होगा। विधानसभा चुनाव के वक्त हेमंत को फिर से सीएम का चेहरा बनाकर झामुमो चुनाव लड़ सकता है। ऐसा होगा तो जाहिर तौर पर झामुमो को फायदा होगा।

वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजनीति में कुछ भी सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। अतः झारखंड की राजनीति में आगे क्या होगा? यह भविष्य के गर्भ में है।

(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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