नई दिल्ली। मानसून संसद सत्र के दौरान सत्ताधारी सरकार ने पूरा सत्र सिर्फ नये कानूनों को संशोधित कर पेश करने में निकाल दिया। अब सरकार ने पांच दिवसीय विशेष सत्र को बुलाया है, लेकिन उससे पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को बताया कि संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले 17 सितंबर को सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई गई है।
31 अगस्त को, प्रह्लाद जोशी ने 18 सितंबर से पांच दिनों के लिए संसद के “विशेष सत्र” की घोषणा की थी, लेकिन इसके लिए कोई विशिष्ट एजेंडा नहीं बताया था। केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया है कि “इस महीने की 18 तारीख से संसद सत्र से पहले, 17 तारीख को शाम 4.30 बजे सर्वदलीय फ्लोर लीडर्स की बैठक बुलाई गई है। इसके लिए संबंधित नेताओं को ईमेल के माध्यम से निमंत्रण भेज दिया गया है।”
सरकार ने अब तक विशेष सत्र बुलाने का कोई कारण नहीं बताया है। जबकि भाजपा नेताओं के एक वर्ग का कहना है कि सरकार इस अवसर का उपयोग जी-20 शिखर सम्मेलन और चंद्रयान-3 का चांद लैंडिंग जैसी हालिया सफलता की कहानियों को उजागर करने के लिए कर सकती है, अन्य लोगों का कहना है कि यह एक बड़ा कदम होगा जिसका आने वाले चुनावों पर प्रभाव पड़ेगा।
विपक्षी दलों ने सत्र शुरू होने में कुछ ही दिन शेष रहने पर भी सत्र का एजेंडा नहीं बताने के लिए सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया कि “आज 13 सितंबर है। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र आज से पांच दिन बाद शुरू होगा। सिर्फ एक व्यक्ति को छोड़कर किसी को भी इस विशेष सत्र के एजेंडे की जानकारी नहीं है। पिछले प्रत्येक अवसर पर, जब विशेष सत्र या विशेष बैठकें आयोजित की जाती थी, तो कार्य सूची पहले से तय होती थी।” इसके साथ ही पहले ऐसे अवसरों पर जब भी विशेष सत्र बुलाया गया है उसका एजेंडा सार्वजनिक किया गया है।
हालांकि, विपक्ष का कहना है कि विशेष सत्र से पहले सरकार सत्र में होने वाले एजेंडे को भी विपक्ष के साथ साझा करती है लेकिन मोदी सरकार ने अभी तक विशेष सत्र के एजेंडे का खुलासा नहीं किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विशेष सत्र से पहले होने वाली सर्वदलीय बैठक में विपक्ष शामिल होगा।