वाराणसी। देश में एक तरफ कोलकाता रेप एंड मर्डर केस को लेकर जबर्दस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के IIT-BHU में बीटेक सेकेंड ईयर की छात्रा के साथ गैंगरेप के दो अभियुक्त बेहद संगीन धाराओं के बावजूद सात महीने में ही जमानत पर रिहा हो गए।
घर लौटने के बाद अभियुक्तों का स्वागत किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगरेप के अभियुक्त कुणाल पांडेय और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान को सशर्त जमानत दी है। तीसरे अभियुक्त सक्षम पटेल की जमानत अर्जी पर 16 सितंबर को सुनवाई होगी।
गैंगरेप के तीनों अभियुक्त बीजेपी के आईटी सेल के पदाधिकारी थे। संगीन अपराध करने वाले अभियुक्तों की जमानत और त्वरित रिहाई को लेकर सोशल मीडिया की कड़ी आलोचना हो रही है। लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए एक्स (ट्विटर) पर लिखा है, “IIT-BHU छात्रा से गैंगरेप के दो आरोपी भाजपाई रिहा हो गए हैं। बनारस वालों…अपनी बेटियों को घरों में छुपा लो। दम हो तो बेटी बचा के दिखाओ! “
IIT-BHU की छात्रा रात करीब डेढ़ बजे किसी जरूरी काम से अपने हॉस्टल से निकली थी। गांधी स्मृति चौराहे के पास उसे उसका एक दोस्त मिला। कर्मन बाबा मंदिर के समीप तीन लड़कों के साथ एक बुलेट बाइक पीछे से आई। उन्होंने पीड़िता और उसके दोस्त को असलहा दिखाकर रोका। बाद में पीड़िता का मुंह दबाकर उसे एक कोने में ले गए, जहां उन्होंने उसके कपड़े उतरवाए, जबर्दस्ती की और नग्न हालत में उसका वीडियो बनाया।
पीड़िता ने विरोध किया और चिल्लाई, तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई। इस घटना के बाद बीएचयू कैंपस में आक्रोश फैल गया और स्टूडेंट्स ने आंदोलन शुरू कर दिया। करीब दो महीने बाद पुलिस ने पुख्ता साक्ष्य के आधार पर तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार करते हुए घटना में प्रयुक्त मोटर साइकिल भी बरामद कर ली।
IIT-BHU में बीटेक छात्रा से गैंगरेप के मामले में आरोपियों की रिहाई को लेकर अदालतों में लंबी प्रक्रिया चली। लंका थाना पुलिस ने कोर्ट में तर्क दिया कि तीनों पेशेवर अपराधी हैं और उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। बावजूद इसके, अदालत ने सशर्त जमानत दे दी, जिसके चलते दो अभियुक्त कुणाल पांडेय और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान जेल से बाहर आ गए।
आनंद ने 11 नवंबर 2023 को जमानत याचिका दायर की थी। इस याचिका पर कई बार सुनवाई हुई, लेकिन तारीखें बढ़ती रहीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में आनंद ने अदालत के सामने अपने परिजन की बीमारी समेत कई कारणों का हवाला दिया, जिसके बाद 2 जुलाई 2024 को अदालत ने उसकी जमानत स्वीकार कर ली। हालांकि, अदालत ने कई सख्त शर्तें भी लगाईं। रिहाई में देरी का कारण जमानतदारों के वैरिफिकेशन में लगे समय को बताया गया, जिसके चलते उसकी रिहाई 29 अगस्त 2024 को हो सकी।
गैंगरेप के दूसरे आरोपी कुणाल पांडेय ने भी दो जुलाई 2024 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। उसकी याचिका पर सुनवाई के बाद 04 जुलाई 2024 को अदालत ने उसकी जमानत मंजूर कर ली। हालांकि, जमानतदारों के वैरिफिकेशन के चलते कुणाल की रिहाई भी 24 अगस्त को ही हो पाई।
इससे पहले, वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट (पॉक्सो) ने तीनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी मनोज गुप्ता ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि तीनों आरोपियों कुणाल, आनंद उर्फ अभिषेक, और सक्षम ने जुलाई 2024 में फास्ट ट्रैक कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। अभियोजन के विरोध के बाद अदालत ने तीनों की याचिकाएं खारिज कर दी थीं।
यह तीसरी बार था जब उनकी जमानत याचिका खारिज हुई थी। पुलिस की चार्जशीट और अभियोजन के तर्क इतने मजबूत थे कि स्थानीय अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद, तीनों आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर का रुख किया, जहां से कुणाल और आनंद को जमानत मिल गई, जबकि सक्षम की जमानत याचिका पर फैसला अभी लंबित है।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता के मुताबिक, IIT-BHU गैंगरेप मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने सबसे पहले पीड़ित छात्रा को 22 अगस्त 2024 को गवाही के लिए तलब किया। पुलिस सुरक्षा में पेश की गई पीड़िता ने अदालत के सामने बताया कि तीनों आरोपियों ने उसके साथ दरिंदगी की, धमकाया और फिर फरार हो गए।
पीड़िता ने अदालत में कहा कि घटना के बाद से उसे लगातार मानसिक और शारीरिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। पीड़िता ने बताया कि घटना के बाद से कई तरह से दबाव भी महसूस कर रही है। बाहर आते-जाते डर लगता है इसलिए अधिकांश समय हॉस्टल में रहती हूं।
काफी मजबूत थी चार्जशीट
IIT-BHU की बीटेक छात्रा से गैंगरेप के मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अब तक दो चार्जशीट दाखिल की हैं। पहली चार्जशीट 17 जनवरी 2024 को अदालत में प्रस्तुत की गई थी, जिसमें आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) समेत अन्य गंभीर धाराएं लगाई गई थीं। इसके बाद, पुलिस ने मामले को और सख्त बनाते हुए तीनों आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया, जिसकी चार्जशीट भी अगले सप्ताह में दाखिल कर दी गई थी।
पुलिस की जांच के दौरान आनंद चौहान उर्फ अभिषेक को इस गैंग का लीडर बताया गया, जबकि कुणाल पांडेय और सक्षम पटेल को उसके गिरोह के सदस्य के रूप में दर्शाया गया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, आनंद और उसके परिजनों के खिलाफ पहले भी छेड़खानी सहित अन्य आरोपों में भेलूपुर थाने में 29 जून 2022 को एक मुकदमा दर्ज किया गया था, जो उसकी आपराधिक प्रवृत्ति की पुष्टि करता है।
गैंगरेप की घटना के बाद, तीनों आरोपी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार करने चले गए और वहां करीब 55 दिनों तक डेरा डाले रहे। इस बीच बनारस की लंका थाना पुलिस इनकी तलाश में जुटी रही। सियासी रसूख के चलते पुलिस उनकी गिरफ्तारी नहीं कर पा रही थी। IIT-BHU की बीटेक छात्रा के साथ गैंगरेप करने वाले तीनों अभियुक्त सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारी थे।
शासन से अनुमति मिलने में विलंब के चलते पुलिस उन्हें तत्काल दबोच नहीं पाई। इसकी एक बड़ी वजह यह भी रही कि तीनों अभियुक्तों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई नेताओं के साथ तस्वीरें थीं। ये तस्वीरें पुलिस के पास थीं, जिसके चलते वो अभियुक्तों पर हाथ डालने से बच रही थी। तीनों अभियुक्त बीजेपी के एक विधायक और एक बड़े पदाधिकारी के यहां बतौर पीए काम कर रहे थे।
60 दिन में पकड़े गए, सात महीने में छूट गए
आईआईटी-बीजेपी छात्रा के साथ गैंगरेप करने वाले तीनों अभियुक्तों की गिरफ्तारी तब हुई जब शासन ने उन्हें पकड़ने के लिए बनारस कमिश्नरेट पुलिस को हरी झंडी दिखाई। करीब 60 दिन बाद लंका थाना पुलिस ने तीनों को पकड़ा। इनकी गिरफ्तारी तब हुई जब भेलूपुर के एसीपी रहे प्रवीण सिंह का तबादला किया गया।
पुलिस के मुताबिक, “पीड़ित छात्रा और उसके दोस्त के बयान के आधार पुलिस ने विस्तृत चार्जशीट तैयार की। तीनों आरोपियों का गूगल रूट चार्ट तैयार कराया गया है। रूट चार्ट के मुताबिक, तीनों अभियुक्त चेतगंज से सिगरा उद्यान के पास पहुंचे। वहां से वो बेनियाबाग पार्क में गए।
फिर वहां से गोदौलिया होते हुए वो आईआईटी-बीएचयू पहुंच गए और वहां उन्होंने वारदात को अंजाम दिया। आरोपियों के मोबाइल की टाइम-टू-टाइम लोकेशन भी पुलिस ने ट्रेस की है। तीनों की लोकेशन, कॉल डिटेल, सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल से बरामद कॉल डेटा, वॉट्सऐप चैट को भी कोर्ट में पेश किया गया है।
चार्जशीट में तस्वीरों के साथ आरोपियों के पास से जब्त बुलेट का भी ब्योरा दिया गया था। जिस मोबाइल से छात्रा का वीडियो बनाया गया था, उसकी फोरेंसिक जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई। मोबाइल की सीडीआर रिपोर्ट, ह्वाट्सएप चैटिंग को भी चार्जशीट में साक्ष्य के तौर पर विस्तृत ब्योरे शामिल किया गया।
वाराणसी पुलिस ने बीएचयू कैंपस और उसके आसपास के कुल 225 सीसीटीवी फुटेज की जांच की। इस जटिल और संवेदनशील मामले की जांच के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (STF), क्राइम ब्रांच और सर्विलांस सेल समेत आधा दर्जन टीमों को लगाया गया था।
पुलिस ने क्यों नहीं लिया रिमांड
आरोप है कि बीजेपी के आईटी सेल से जुड़े अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद कमिश्नरेट पुलिस दबाव में आ गई। आरोप यह भी है कि लंका थाना पुलिस ने अभियुक्तों को रिमांड पर लेकर यह जांच-पड़ताल करने की जरूरत नहीं समझी कि उन्होंने और कितनी घटनाओं को अंजाम दिया था? वह कौन सा हथियार था, जिसे दिखाकर उन्होंने लड़की और उसके दोस्त को आतंकित किया था? पुलिस ने यह पड़ताल भी नहीं की कि गैंगरेप के अभियुक्तों को बीजेपी के किन नेताओं ने अपने यहां शरण दी और घटना के बाद उन्हें कई दिनों तक अपने यहां छिपाए रखा? वो कौन लोग थे, जिनके दबाव में पुलिस अभियुक्तों के आगे झुकी नजर आई?
तीनों आरोपी आनंद, कुणाल और सक्षम को घटना के 60 दिन बाद 30 दिसंबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था।31 दिसंबर 2023 से तीनों आरोपी जिला जेल में बंद थे। उन्हें जघन्य वारदातों में शामिल आरोपियों की बैरक में रखा गया था। कुणाल की रिहाई 24 अगस्त को और आनंद की 29 अगस्त 2014 को हुई। पड़ोसियों के मुताबिक, 29 अगस्त को आनंद नगवा कॉलोनी स्थित घर पहुंचा तो परिवारजनों और उसके रिश्तेदारों ने स्वागत किया। कुणाल और आनंद दोनों के घर आसपास हैं।
बनारस की कमिश्नरेट पुलिस ने IIT-BHU में बीटेक छात्रा से गैंगरेप करने के इल्जाम में सुंदरपुर स्थित बृज एन्क्लेव कॉलोनी का कुणाल पांडेय, बजरडीहा के जिवधीपुर का आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और इसी मुहल्ले के सक्षम पटेल को गिरफ्तार किया था।
तीनों अभियुक्त बीजेपी आईटी सेल के पदाधिकारी थे। कुणाल पांडेय बीजेपी की महानगर इकाई में आईटी विभाग का संयोजक और सक्षम पटेल सह-संयोजक था। आनंद दोनों का हमराही था। अभियुक्तों की जमानत के बाद पुलिस के आला अफसर इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन कई तल्ख सवाल पुलिस को भी कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
ज़रूरी, मगर अनुत्तरित सवाल
* बनारस की कमिश्नरेट पुलिस के माथे पर कई और गंभीर आरोप हैं। बनारस में यह सवाल, हर आदमी का सवाल है जो अभी ताजा है कि पुलिस ने साठ दिन बाद गैंगरेप की वारदात का पर्दाफाश क्यों किया?
* पुलिस ने यह क्यों नहीं पता लगाया कि किसके निर्देश पर तीनों अभियुक्तों को चुनाव प्रचार करने के लिए मध्य प्रदेश भेजा गया?
* पीड़िता जब लंका थाना में गई तब तत्काल उसका मेडिकल मुआयना क्यों नहीं कराया गया? एक हफ्ते बाद पुलिस को मेडिकल कराने की चिंता क्यों हुई?
* घटना के बाद तीसरे दिन ही पुलिस ने सक्षम पटेल और उसके तीनों साथियों को हिरासत में ले लिया था। उन्हें छुड़ाने के लिए बीजेपी के कौन नेता और विधायक एसीपी प्रवीण सिंह के दफ्तर पहुंचे थे? उस समय जिन नेताओं ने आरोपियों को छुड़वाने के लिए फोन किए, पुलिस ने उनकी सीडीआर रिपोर्ट और गूगल मैप लोकेशन अभी तक क्यों नहीं निकलवाई?
* बनारस की कमिश्नरेट पुलिस ने अपने रोजनामचे में 30 दिसंबर 2023 को अभियुक्तों की गिरफ्तारी दिखाई लेकिन अभियुक्तों का रिमांड क्यों नहीं मांगा?
* बीजेपी से जुड़े तीनों अभियुक्तों का मोबाइल पुलिस कस्टडी में था, तो उनके सोशल मीडिया अकाउंट का संचालन कौन कर रहा था?
* अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद कुणाल पांडेय और सक्षम पटेल का एक्स हैंडल अकाउंट को किसने और क्यों डिलीट किया?
* अभियुक्तों के फेसबुक अकाउंट से नियुक्ति-पत्र क्यों डिलीट किया गया, जिसे गिरफ्तारी के पांच दिन पहले अपलोड किया गया था?
*अभियुक्तों के जेल में बंद होने के बाद भी उनका सोशल मीडिया रिकार्ड कौन खंगाल रहा था?
* किसके निर्देश पर अभियुक्तों के घरों पर लगी उनके नाम और पद की पट्टिकाएं हटवाई गईं थीं?
मीडिया पर किसका दबाव?
बीएचयू गैंगरेप कांड में अभियुक्तों की रिहाई के बाद मेन स्टीम की मीडिया भी सवालों के घेरे में आ गई है। सत्ता के दबाव के चलते दैनिक अमर उजाला जैसे अखबार ने इस खबर को चंद लाइनों में ही निपटा दिया है, जबकि घटना के बाद इसी अखबार ने आईआईटी की छात्रा के साथ हुई वारदात को खूब प्रमुखता दी थी।
इस अखबार की जुबान तब बंद हो गई, जब यह राज खुला की तीनों अभियुक्त बीजेपी के आईटी सेल से जुड़े हैं। यही हाल दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान अखबार का है। बनारस से प्रकाशित होने वाले तीनों अखबारों की रस्मअदायगी और चुप्पी ने ढेर सारे सवालों को जन्म दिया है।
इस बीच, गैंगरेप के अभियुक्तों को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद तीखी प्रतिक्रिया समाने आई है। बनारस के प्रबुद्ध नागरिकों ने इस मामले में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए राजनीतिक दबाव और न्याय प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया है।
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने जनचौक से कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में आईआईटी छात्रा के साथ गैंगरेप करने वालों को सात महीने में जमानत पर रिहा किए जाने से जनता का कानून और न्याय व्यवस्था से भरोसा उठने लगा है। एक तरफ कोलकाता रेपकांड पर राष्ट्रपति तक ने बयान दिया, वहीं पुख्ता साक्ष्य के आधार पर बीजेपी से जुड़े दो अभियुक्तों की जमानत पर रिहाई और उनका स्वागत बहुत कुछ कहता है।”
कुसुम कहती हैं, “महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो कानून बनाए गए हैं, उनमें गैंगरेप करने वालों को तत्काल नहीं छोड़ा जाना चाहिए था। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में तमाम पुख्ता साक्ष्य भी दाखिल कर रखे थे। इसके बावजूद सात महीने में ही उन्हें कोर्ट से कैसे जमानत मिल गई? वैसे भी यूपी बलात्कारियों की राजधानी बनता जा रही है।
कुसुम वर्मा ने आगे कहा कि “महिलाओं की आबरू बचाने के लिए योगी सरकार को नए उदाहरण पेश करने चाहिए थे, ताकि बलात्कारियों को कड़ी सजा मिलती। योगी सरकार सिर्फ उन्हीं अपराधियों के घरों पर बुल्डोजर चला रही है जो संप्रदाय और जाति विशेष के लोग हैं। सरकार का बुल्डोजर जाति और संप्रदाय देखकर चलता है।
“बीएचयू में गैंगरेप की घटना आधी आबादी के लिए शर्मसार करने वाली बड़ी घटना थी। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट को अपने संज्ञान में लेकर हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि बलात्कार के अभियुक्तों को कड़ी सजा और पीड़िता को न्याय मिल सके। लगता है कि यूपी में अब महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं रह गई है। यह सब बहुत अजीब लगता है।”
न्याय व्यवस्था से उठ रहा भरोसा
वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक प्रदीप कुमार बीएचयू के पूर्व छात्र हैं। वह कहते हैं, “बीएचयू के इतिहास में गैंगरेप की वारदात पहले कभी नहीं हुई थी। फिर भी अभियुक्त जमानत पर छूट गए। लगता है कि अभियोजन ने मजबूत तरीके से पैरवी नहीं की होगी। कितनी अजीब बात है कि बीजेपी के नेता एक तरफ नारी सम्मान की बात करते हैं, तो और दूसरी तरफ नारी सम्मान से जुड़े सारे मसलों पर अपमानजनक फैसले लेते हैं।
“सरकारी मशीनरी पर दबाव बनाकर बलात्कारियों का समर्थन करते हैं। अदालतें भी कम नहीं हैं। एक तरफ राम-रहीम और आशाराम को पेरोल मिल जाया करता है तो दूसरी ओर न जाने कितने निर्दोष लोग जेलों में बेवजह सजाएं भुगत रहे हैं।”
प्रदीप यह भी कहते हैं, “जो लोग यौन उत्पीड़न के सजायाफ्ता है, उन्हें अदालतों से बार-बार पेरोल कैसे मिल रहा है? सत्तारूढ़ दल से जुड़े बलात्कार के आरोपितों को जमानतें आसानी से कैसे मिल रही हैं? बीजेपी के आईटी सेल से जुड़े बलात्कार के अभियुक्तों की जमानत बहुत कुछ कहती है। इससे बीजेपी और उसकी सरकारों का चरित्र उजागर हो गया है”।
“बलात्कार के आरोपियों के रिहा होने पर उनका सम्मान किया जाना और उन्हें महिमामंडित किया जाना शर्मनाक है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए वो कम है। गैंगरेप के इस मामले में लंका थाना पुलिस का नाकारापन सामने आया है। वो अभियुक्तों के घरों पर बुल्डोजर चलाने की बात तो दूर, उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।”
IIT-BHU छात्रा से गैंगरेप के दो अभियुक्तों की रिहाई के बाद सोशल साइट एक्स पर महिलाओं और प्रबुद्धजनों ने सरकार पर सवालों की झड़ी लगा दी है।
कंचन यादव ने गैंगरेप के अभियुक्तों की फोटो के साथ एक्स पर लिखा है, “मैं बहुत निराश और भयभीत हूं। बीजेपी में तो बलात्कारी भी संस्कारी माने जाते हैं। कोर्ट इसमें स्वतः संज्ञान नहीं लेती, बल्कि सीधे रिहा कर देती है।”
वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम और बसावन इंडिया ने एक्स पर लिखा है, “बहुत हुआ नारी का सम्मान, अब होगा बलात्कारी का सम्मान। न बाबा का बुल्डोजर दिखा, न बुलेट ट्रेन।”
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार और सरकार की आंख की किरकिरी बने ध्रुव राठी ने भी अभियुक्तों की आनन-फानन में जमानत के बाद रिहाई पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।
(लेखक विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)