Friday, April 26, 2024

हिमाचल प्रदेश में चौतरफा घिर गयी है बीजेपी

हिमाचल प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में 12 नवंबर को वोटिंग होना है। आम आदमी पार्टी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। भाजपा,कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। तीनों दलों ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी हिमाचल प्रदेश में आक्रामक चुनाव प्रचार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हिमाचल प्रदेश में चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं।

जबकि कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल के अलावा महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा संभाला हुआ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी हिमाचल का चुनावी दौरा कर रहे हैं। चुनाव के पहले गोदी मीडिया हिमाचल में आप को बहुत बड़े गेमचेंजर के रूप में पेश कर रही थी पर अब आप पस्त नजर आ रही है।

इस साल मार्च में पंजाब के चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी ने ऐसा लगता है कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव मैदान छोड़ दिया है। पंजाब की जीत के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे शुरू किए थे। लेकिन तीन महीने तक वह हिमाचल प्रदेश नहीं आए। हालांकि कुछ दिन पहले उन्होंने सोलन में एक रोड शो किया था। केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश की जनता से तमाम बड़े वादे किए और बड़े बदलावों के लिए एक मौका देने की अपील की थी।

आम तौर पर भाजपा चुनावों का टोन सेट करती रही है। लेकिन इस बार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने जिस तरह मुद्दों के आधार पर जयराम ठाकुर सरकार को घेर लिया है, उससे भाजपा के सभी बड़े-छोटे नेता रक्षात्मक नजर आ रहे हैं। वहीं भाजपा को बागियों ने परेशान कर रखा है।

पूरे हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना, नौकरियों को लेकर असंतोष फैला हुआ है और राज्य की जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार पूरी तरह बैड गवर्नेंस के कारण बैकफुट पर है, ऐसे में भाजपा को मोदी के करिश्मे पर आस है। भाजपा राष्ट्रवाद, एक सूक्ष्म हिंदुत्व की अपील के साथ राज्य में “दोहरे इंजन वाली सरकार” जारी रहनी चाहिये पर फोकस कर रही है।

शिमला के माल रोड पर लगे दोनों पार्टियों (कांग्रेस-बीजेपी) के पोस्टर-बैनर से ही हिमाचल प्रदेश में हो रही चुनावी लड़ाई के तरीकों में अंतर साफ दिख जाता है। बीजेपी के पोस्टरों में काशी और अयोध्या समेत विभिन्न तीर्थस्थलों के विकास के लिए ‘डबल इंजन की सरकारों’ और अपने हिन्दुत्ववादी राष्ट्रीयता के गान देखने को मिलेंगे। इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘कर्मभूमि’ है।

दूसरी ओर, कांग्रेस के पोस्टरों में खाली पड़े 60-70 हजार पदों को भरने समेत एक लाख लोगों को रोजगार देने और पहली ही कैबिनेट बैठक में सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) देने की घोषणा तो है ही, यह भी कहा गया है कि वह महिलाओं को 1500 रुपये मासिक देने की गारंटी और 300 यूनिट फ्री बिजली देगी।

पहले राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार और बाद में छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने जब सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम दोबारा चालू करने की घोषणा की, भाजपा तब से ही इस मुद्दे पर घिरती रही है। यूपी और उत्तराखंड के चुनावों में तो यह मुद्दा किसी तरह दबा रहा, लेकिन हिमाचल और गुजरात में यह बीजेपी को परेशान कर रहा है।

पुरानी पेंशन स्कीम का फायदा फिलवक्त 90,000 सरकारी कर्मचारियों को मिल रहा है, लेकिन 1.5 लाख कर्मचारी ऐसे हैं जो नई पेंशन स्कीम के दायरे में हैं। पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा इतना गर्म है कि अब भाजपा की हर सभा में यह बात कही जा रही है कि सिर्फ वही इसे लागू कर सकती है। यही नहीं, हिमाचल में नशाखोरी बढ़ते जाने की शिकायतें आम होती गई हैं और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक इस पर अंकुश लगाने का वादा कर रहे हैं।

जनता का मूड इस तरह विपरीत दिखने की वजह से ही भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र जारी करने में भी यथासंभव देर की है जबकि अन्य राज्यों में वह इसे काफी पहले जारी करती रही है। मतदान से एक सप्ताह से भी कम समय पहले 6 नवंबर को उसने इसे जारी करने की तिथि तय की।

कांग्रेस की ओर से भाजपा सरकार के खिलाफ 23 पृष्ठों का एक आरोप पत्र भी जारी किया गया है। इसमें मुख्यमंत्री समेत कई मंत्रियों और विभागों पर संगीन आरोप लगाए गए हैं और उसका दावा है कि सत्ता में आते ही आरोप पत्र में लिखित मामलों की विजिलेंस जांच करवाई जाएगी। इसे जारी करते हुए पार्टी नेता पवन खेड़ा ने यहां तक कहा कि जयराम ठाकुर सरकार ने राज्य में ‘लूट की छूट’ दी हुई है।

भाजपा के लिए एक बड़ी दिक्कत बागियों का मैदान में होना है। बगावत तो कांग्रेस में भी हुई थी लेकिन वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से वह अंततः सीमित हो गई। लेकिन, भाजपा में इसके सुर कुछ ज्यादा ही बिगड़े हुए दिख रहे हैं। 21 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशियों के विरोध में बागियों ने भी नामांकन भर दिए। भाजपा के बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद केवल 4 बागी ही मान पाए, जबकि 17 अब भी डटे हुए हैं। बागियों में से कई पूर्व विधायक तो कई पार्टी में अच्छे ओहदे वाले पदाधिकारी भी शामिल हैं। नालागढ़, आनी, सुंदरनगर, मंडी, बंजार, धर्मशाला, बड़सर, फतेहपुर, कांगड़ा, इंदौरा, बिलासपुर सदर, हमीरपुर सदर, कुल्लू, किन्नौर, नाचन, मनाली, चंबा सदर ऐसे हलके हैं जहां बागी भाजपा के गणित को बिगाड़ सकते हैं।

लोगों में असली गुस्सा यह है कि भाजपा ने चार विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी नेताओं के परिवारों के सदस्यों को चुनावों में उतारा है। भाजपा  ने पूर्व जल शक्ति मंत्री के पुत्र रजत ठाकुर, मंत्री और विधायक रह चुके नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा, आरडी धीमान के बेटे अनिल धीमान और पूर्व विधायक बलदेव शर्मा की पत्नी और चंबा के पूर्व विधायक की पत्नी को भी टिकट दिया है। भाजपा जो परिवारवाद को लेकर बड़े-बड़े दावे करती थी वह भी परिवारवाद को बढ़ावा दे रही है। इसका असर चुनावों में देखने को मिलेगा।

इतना ही नहीं, पेरोल पर छूटे विवादास्पद बाबा और बलात्कार के मामले के आरोपी राम रहीम के कार्यक्रम में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और उद्योग मंत्री रहे विक्रम ठाकुर के शामिल होने का वीडियो वायरल हो गया है। इसे लेकर भाजपा को सफाई देनी पड़ रही है।

जम्मू-कश्मीर के बाद हिमाचल सबसे अधिक सेब उत्पादन करने वाला प्रदेश है। सेब की मार्केटिंग में अडानी समूह समेत विभिन्न बड़े उद्योगपतियों के प्रवेश से सेब उगाने वाले बागवानों को फसल की कीमत वैसे ही कम मिलने लगी है, उन्हें लेकर सरकारी रवैया भी दिनों दिन बदतर होता जा रहा है। इसीलिए 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा बड़ा होकर उभरा है। कांग्रेस ने जिस तरह सेब बागवानों के लिए सेब के दाम खुद तय करने की गारंटी की घोषणा की है, उससे बीजेपी का परेशान हो जाना स्वाभाविक ही है।

इस बीच कांग्रेस ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। घोषणा पत्र में हिमाचल की जनता से तमाम बड़े वादे किए गए हैं। पार्टी ने जो बड़े वादे किए हैं उसमें हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली, पहली मंत्रिमंडल बैठक में एक लाख सरकारी नौकरी को मंजूरी, गांव-गांव तक बिजली की आपूर्ति, नोटबंदी और कोरोना से प्रभावित बंद पड़े उद्योगों के लिए विशेष पैकेज आदि अहम हैं। इसके अलावा न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 500 रुपए करने, सभी एचएससी, सीएचसी, पीएचसी में स्टाफ, डॉक्टर और अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती करने का वादा भी कांग्रेस ने किया है।

मनरेगा की तर्ज पर शहरी आजीविका योजना को लागू करने, व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए व्यापार कल्याण बोर्ड का गठन करने की बात भी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कही है। कांग्रेस ने वादा किया है कि सरकार बनने पर मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएंगी और प्रति परिवार 4 गायों तक की खरीद पर सब्सिडी भी दी जाएगी। पार्टी ने वादा किया है कि अगर वह हिमाचल में सरकार बनाने में सफल रही तो इन सभी वादों को पूरा करेगी।

कांग्रेस ने हिमाचल, हिमाचलियत और हम का नारा दिया है। कांग्रेस ने कोल्ड स्टोरेज नीति, सेब निर्यात नीति बनाने और कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा भी किया है।

घोषणा पत्र को जारी करते वक्त छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्य कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और सांसद प्रतिभा सिंह, पार्टी की प्रवक्ता अलका लांबा सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी की डबल इंजन नहीं ट्रबल इंजन की सरकार है जिसने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है।

हिमाचल में कांग्रेस को इस बार अपने वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह की कमी बहुत खलेगी। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन बीते साल 3 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा था और उसे सभी सीटों पर जीत मिली थी।

कांग्रेस ने इस साल अप्रैल में संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी से लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। जबकि वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। गुटबाजी को दूर करने के लिए छोटे से राज्य हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पंजाब और उत्तराखंड की तरह कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए थे।

भाजपा में भी गुटबाजी है और वहां पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गुट आमने-सामने दिखाई देते हैं, इसके अलावा जेपी नड्डा का भी गुट है। कांग्रेस लंबे वक्त तक हिमाचल प्रदेश की सत्ता में रही है लेकिन वह गुटबाजी से परेशान है। कुलदीप सिंह राठौड़, सांसद प्रतिभा सिंह, वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर और मुकेश अग्निहोत्री के अपने-अपने गुट हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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