Friday, March 29, 2024

अतीक-अशरफ हत्याकांड: लहकट से शार्प शूटर बनने तक, लवलेश तिवारी की कुंडली

प्रयागराज/बांदा। बांदा के स्थानीय पत्रकार अभय निगम अतीक अहमद की कनपटी पर पहली गोली मारने वाले लवलेश तिवारी के मसले पर रिपोर्ट करने वाले पहले पत्रकार हैं। वो दूरदर्शन और एबीपी गंगा के लिए रिपोर्टिंग करते हैं। वो बताते हैं कि लवलेश लोफऱ क़िस्म का लड़का है। इसके ख़िलाफ़ चार मामले दर्ज़ हैं। एक बार यह एक लड़की से छेड़खानी के आरोप में जेल गया था। एक मुक़दमा लड़ाई झगड़े का है और एक मुक़दमा अवैध असलहा रखने का है। एक मुक़दमा शराब से जुड़ा हुआ है। लेकिन कोई बड़ा आपराधिक इतिहास नहीं है इसका।

बजरंग दल से लवलेश तिवारी के संबंध पर अभय निगम बताते हैं कि घरवालों का कहना है कि हां वो बजरंग दल से जुड़ा रहा है कुछ समय के लिए। वहीं बजरंग दल के लोग साफ मना कर देते हैं। वो कहते हैं कि लवलेश तिवारी कभी बजरंग दल में रहा ही नहीं। यार दोस्तों को बेहतर पता होगा इसके बारे में उनसे आपने पूछा क्या।

इस पर पत्रकार अभय निगम बताते हैं कि यार-दोस्त तो कोई नहीं मिला इसके बारे में बताने वाला। लेकिन चूंकि मामला इतना बड़ा और हाई-प्रोफाइल है कि पास-पड़ोस और मोहल्ले के लोग कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। लेकिन जिन लोगों से बात हुई उन्होंने बताया कि इसकी स्थिति ये थी ही नहीं कि ऐसी कोई घटना कभी कर पायेगा। 7-8 लाख का पिस्टल मिला है उसके पास से, जबकि उसकी स्थिति यह है कि वो कट्टा भी नहीं ख़रीद सकता है। परिवार बेहद ग़रीब है। इसके पिता यज्ञ कुमार तिवारी एक प्राइवेट स्कूल की बस चलाते हैं। लवलेश चार भाईयों में तीसरे नंबर पर है।

बांदा के समाज में अच्छा दख़ल रखने वाले ख्यातिलब्ध केशव तिवारी बताते हैं कि अतीक-अशरफ़ हत्याकांड को अंजाम देने वाला लवलेश तिवारी गांव की भाषा में कहें तो लहकट लड़का है। दुबला पतला शरीर और ऐसा कि जिससे उलझता वही गिराकर मारता। केशव तिवारी बताते हैं कि तीन-चार साल पहले एक लड़की के बाप-भाई ने पहले उसको ख़ूब गिराकर कूटा और फिर 112 नंबर की पुलिस को सौंप दिया।

इत्तेफाक से उस दिन लवलेश को पकड़कर जेल ले जाने वाले 112 नंबर के वो सिपाही केशव तिवारी के मित्र हैं। अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद उक्त पुलिस सिपाही जब केशव तिवारी से मिले तो कहने लगे कि उस दिन वो भी बहुत रपटियाये थे उसको। मरियल सा तो था तब। सिपाही ने उनसे कहा कि उस दिन उनको अंदाजा नहीं था कि यह एक दिन ऐसा कांड कर डालेगा।

अतीक-अशरफ़ हत्याकांड में बांदा के लड़के की करतूत देखने के बाद अभी बांदा में क्या माहैल है। पूछने पर वरिष्ठ साहित्यकार केशव तिवारी बताते हैं कि बांदा में इस कदर भय का माहौल है कि पब्लिक प्लेस में लोग बात नहीं करना चाहते इस मसले पर। वो बताते हैं कि घटना के दो दिन बाद लोकल ट्रेन से कहीं जा रहे थे। उस डिब्बे में उस गांव के भी लोग थे जहां का लवलेश तिवारी है। उन्होंने जिक्र छेड़ दिया तो लोग सन्नाटे में आ गये।

केशव तिवारी बताते हैं कि दरअसल उन लोगों ने उन्हें पत्रकार समझ लिया। जब उनके साथी ने, जो उन लोगों को भी जानते थे, विश्वास दिलाया तब जाकर उन लोगों को भरोसा जगा कि वो पत्रकार नहीं हैं। लेकिन लवलेश को लेकर बात-चीत तब भी नहीं हुई।

17 अप्रैल से पूरा परिवार और गांव में रहने वाली दादी लापता

सोमवार 17 अप्रैल से ही लवलेश तिवारी के पिता यज्ञ तिवारी के घर में ताला बंद है। मोहल्ले वालों का कहना है कि जब सुबह आंख खुली तो दरवाजे पर ताला लगा दिखा। घर वालों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी भी वहां से ग़ायब थे। पुलिस इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। किसी को नहीं पता कि लवलेश तिवारी के घर वाले कहां हैं।

वो लोग खुद ही सुरक्षा की दृष्टि से चले गये हैं या फिर वो पुलिस अभिरक्षा में हैं? स्थिति स्पष्ट नहीं हो पायी है। गौरतलब है कि 15 अप्रैल की रात प्रयागराज में अतीक-अशरफ़ हत्याकांड में लवलेश तिवारी का वीडियो वायरल होने के बाद अगले दिन यानि रविवार को पिता यज्ञ कुमार के दरवाजे पर मीडिया का जमघट लग गया।

दरअसल सबसे पहले मीडिया ही लवलेश तिवारी के परिजनों तक पहुंची थी, जबकि पुलिस वाले तब तक उनका घर खोज नहीं पाये थे। एक कारण यह भी है कि रविवार की सुबह बांदा के गिरवां में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या हो गई थी। डीआईजी, एसपी अभिनंदन, एएसपी लक्ष्मी निवास मिश्र आदि सब वहां चले गये थे। तब तक मीडिया लवलेश तिवारी के परिजनों तक पहुंचकर बाइट ले चुकी थी।

इसके बाद रविवार की सुबह क़रीब साढ़े दस बजे चौकी इंचार्ज की अगुवाई में पुलिस फोर्स यज्ञ कुमार के घर पहुंची और परिजनों को दरवाजा बंद करके रहने की हिदायत दी। फिर 11 बजे सीओ गवेंद्र पाल पहुंचे और उन्होंने लवलेश के परिजनों से किसी के भी मिलने बात करने पर पाबंदी लगा दी। गिरवां से लौटने के बाद एसपी अभिनंदन लवलेश तिवारी के परिजनों से मिलने गये। पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने पिता यज्ञ कुमार को सुरक्षा के लिहाज से हिदायत दी थी कि वह किसी अनजान व्यक्ति से न मिलें।

परिवार की सुरक्षा के लिहाज से चार पुलिस कर्मी भी रविवार से वहां तैनात किये गये थे। रविवार को रात भर पुलिस घर के अंदर थी। परिवार के लापता होने पर जब मीडिया ने पुलिस प्रशासन से सवाल किया तो एएसपी लक्ष्मी निवास मिश्र का कहना था कि लवलेश तिवारी से जुड़ी कोई भी सूचना देने पर रोक है। ऐसे में अन्देशा यही है कि पुलिस ने उन्हें सुरक्षा के लिहाज से कहीं दूसरी जगह रखा है। वहीं लवलेश की दादी जो कि पैतृक गांव लौमर (चिल्ला) में रहती थीं वो भी अपने घर से ग़ायब हैं। अलबत्ता दोनों जगहों पर पुलिस अब भी तैनात है। 

लापता होने से पहले परिवार ने क्या कहा?

लापता होने से पहले पिता यज्ञ नारायण ने मीडिया को बताया था कि अतीक-अशरफ की हत्या करने वाला उनका लड़का लवलेश बेहद आवारा और नशेड़ी है और वो उससे कोई सम्बन्ध नहीं रखते थे, उससे बोलते-चालते नहीं थे। पिता ने यह भी बताया कि उसके साथ अक्सर उसके दोस्त घर पर आया करते थे। लेकिन अतीक-अशरफ हत्याकांड को अंजाम देने में उसके साथी हमीरपुर निवासी सन्नी सिंह और कासगंज निवासी अरुण मौर्या को उन्होंने उसके साथ कभी नहीं देखा, न ही वो लोग कभी उनके घर आये। उन्होंने कहा कि जब लवलेश पहली बार जेल गया तभी से उन्होंने उससे नाता तोड़ लिया था।

पैतृक निवास यानि लौमर गांव में रहने वाली लवलेश की दादी विद्यावती ने बताया कि लवलेश हर साल होली पर गांव ज़रूर आता था।

रविवार को मीडिया से बातचीत में उसकी मां आशा देवी ने बताया था कि लवलेश संकटमोचन हनुमान का भक्त था। बिना दर्शन किये चाय तक नहीं पीता था। वो मंडली के साथ रहता था और भजन वगैरह भी गाता था। मंडली वाले उसे साथ ले जाते थे। अपना काम धंधा छोड़कर परोपकार में लगा रहता था।

लवलेश के छोटे भाई वेद तिवारी ने ग़ायब होने से पहले मीडिया को जानकारी दी थी कि उनका भाई लवलेश नशेड़ी है। और वह दो बार जेल जा चुका है। पहली बार लड़की से छेड़खानी के आरोप में डेढ़ साल जेल में रहा और दूसरी बार 12 नवबंर 2021 को एक महीने दो दिन के लिए जेल गया था।

घोर ब्राह्मणवादी है लवलेश

एक बात जो लगभग सब लोगों ने कही है वो यह कि लवलेश तिवारी बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का है। वो रोज़ाना शाम को संकट मोचन मंदिर में सफाई करता था। घटना से छः दिन पहले भी वो मंदिर में सफाई करने पहुंचा था। ब्राह्मण होने का उसमें जबर्दस्त घमंड था। वो अक्सर अपने दोस्तों से पैर छूने के लिए कहता था।

खुद के ब्राह्मण होने के नाते वर्णाक्रम में श्रेष्ठ होने की वो दलीलें देता था। ब्राह्मणों को अमूमन गांव देहात में लोग ‘महाराज’ कहकर संबोधित करते हैं। उसने अपनी फेसबुक प्रोफाइल में अपने नाम के आगे महाराज लगाया हुआ है। ब्राह्मण समाज के लड़कों में उसकी धाक थी और वो ब्राह्मण लड़कों की समस्याओं को लेकर आगे बढ़कर मदद करता था।

महाराज लवलेश तिवारी (चुचू) नाम की अपनी प्रोफाइल में उसने जो टैगलाइन लिखी है उससे भी उसके जातिवादी और ब्राह्मणवादी और हथियार पसंद हिंसक वृत्ति होने का पता चलता है। उसने लिखा है – ‘ जय दादा परशुराम, जय लंकेश, हम शास्त्र वाले ब्राह्मण नहीं शस्त्र वाले ब्राह्मण हैं।’

इतना ही नहीं उसकी हर पोस्ट में भगवा ध्वज की इमेज और जय श्री राम ज़रूर लिखा मिलता है। अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद उसने जय श्री राम का नारा क्यों लगाया। पुलिस रिमांड में पूछताछ में उसने बताया है कि डर पर क़ाबू पाने के लिए उसने जय श्री राम का नारा लगाया था।

एक पोस्ट में अपने बड़े भाई रोहित की फोटो साझा करके उसने उन्हें योगी रोहितनाथ जी कहकर सम्बोधित किया है। जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज़ पर है।

सख्त मिज़ाज पिता

यज्ञ तिवारी का पुश्तैनी निवास बांदा जिले के पैलानी थानाक्षेत्र के लौमर गांव में है। वो लवलेश तिवारी समेत चार बेटों के पिता हैं। जैसा कि एक पिता का अरमान होता है कि उसके बच्चे पढ़ें और नाम रौशन करें। कुछ ऐसा ही सोचकर क़रीब 15 साल पहले वो अपनी बूढ़ी मां को गांव में छोड़कर बीबी आशा देवी और बच्चों के साथ बांदा शहर चले आये। यहां वो एक प्राइवेट स्कूल में वैन चलाने लगे। फिलहाल उनका मौजूदा वेतन 12 हजार रुपये मासिक है। जैसा कि एक सामंतवादी ब्राह्मण पिता होता है, यज्ञ तिवारी भी बहुत सख्त क़िस्म के हैं।

लवलेश तिवारी के बड़े भाई रोहित से जुड़ी एक घटना है, बताया जाता है कि साल 2006-07 में रोहित ने हाईस्कूल की बोर्ड की परीक्षा दी और फेल हो गया। पिता ने बेटे को बहुत डाटा फटकारा। उसी रात रोहित तिवारी अपने मकान मालिक गौतम के घर से पैसे चुराते हुए पकड़ा गया। संभवतः वो पैसे का इंतजाम करके दूसरे शहर भागना चाहता था। पैसे चुराते पकड़े गये रोहित को पीटते हुए गुस्साये पिता ने उसे घर से बाहर निकाल कहा भाग जा। इस घर से और कभी अपनी शक्ल मत दिखाना।

कहते हैं फिर रोहित 10 साल तक अपने घर नहीं लौटा। 10 साल बाद वो घर लौटा तो जटा-जूट रखाये जोगिया रंगाये साधु भेष में। फिलहाल वो हरिद्वार या जबलपुर के किसी आश्रम से रहता है।

बड़े बेटे रोहित को चोरी करते पकड़े जाने के बाद यज्ञ तिवारी को वो घर छोड़ना पड़ा। पिछले क़रीब 7 साल से वो अधिवक्ता राम स्वरूप सिंह के मकान में किराये पर रहते आ रहे हैं। यज्ञ तिवारी का दूसरा बेटा मोहित लखनऊ में पुजारी है। वो घर का एकमात्र कमाऊ पूत है। उसी के दम पर छोटा बेटा वेद तिवारी बांदा कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई कर रहा है।

तीसरे नंबर के बेटे लवलेश तिवारी का जन्म 2 सितंबर 2000 को हुआ था। कुछ साल पहले उसने लखनऊ के एक कॉलेज में बीए में एडमिशन करवाया था लेकिन पहले साल ही फेल होने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी। लवलेश तिवारी लम्बे समय से बेरोज़गार था। 15 दिन पहले वो अपने मोहल्ले के एक दुकानदार के पास भी काम मांगने के लिए गया था। लेकिन उसे वहां काम नहीं मिला। फिर एक सप्ताह पहले नौकरी की तलाश करने जा रहा है कहकर ही घर से निकला था।

लवलेश का आपराधिक रिकॉर्ड

पुलिस के मुताबिक मार्च 2020 में लवलेश तिवारी के एक दोस्त ने एक नाबालिग लड़की पर फब्तियां कसीं। इस पर लड़की ने उस लड़के को फटकार लगायी, तो दोस्त के बचाव में लवलेश तिवारी ने आगे बढ़कर न सिर्फ़ लड़की को गालियां दी बल्कि उसे थप्पड़ भी मार दिया। लड़की के परिजनों की शिक़ायत पर उसे पॉक्सो एक्ट के तहत जेल में डाल दिया गया।

वहीं अभी हाल ही में एक विवाह समारोह में जश्न मनाने के लिए उसने किसी से मांगकर लाये हुए देशी कट्टे से दो राउंड गोलियां दाग़ दिया था। इसके बाद उसे विवाह समारोह से भगा दिया गया। 

लवलेश के ख़िलाफ़ कुल चार मामले दर्ज़ हैं। तीन कोतवाली नगर पुलिस स्टेशन में और एक बबेरू पुलिस स्टेशन में। इनमें लड़की से छेड़खानी, मार-पीट, अपमानजनक ऑनलाइन व्यवहार, तय सीमा से अधिक शराब के साथ पाये जाने के मामले शामिल हैं। 

बालाघाट कनेक्शन

तमाम मीडिया खबरों में इस बात की चर्चा है कि मध्यप्रदेश के बालाघाट में वो खनन माफियाओं और शराब कारोबारियों के संपर्क में भी रहा है। यहां से वो क्राइम की दुनिया में गया। खुद लवलेश ने अपने फेसबुक में बालाघाट की कई तस्वीरें पोस्ट की हैं। वह क़रीब 6 महीने बालाघाट में रहा।

यह वही समय था जब लवलेश तिवारी दोबारा जेल जाकर वापस बाहर निकला था। लवलेश तिवारी की फेसबुक अपडेट्स के मुताबिक मई 2021 में वो अपने 6 साथियों के साथ मध्यप्रदेश के बालाघाट में प्रवेश किया और मध्यप्रदेश के माफियाओं को हैशटैग करके लिखा कि साइड हो जाओ, क्योंकि तुम्हारा नया बॉस आ गया है।

मीडिया में यह ख़बर भी है कि बालाघाट के एक शराब कारोबारी ने ही उसे एक किराये के कमरे में ठहरने में मदद की। उस दौरान अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लवलेश तिवारी ने खुद को खनन माफिया को क़रीबी बताया था।  

हालांकि बालाघाट एसपी समीर सौरभ ने मीडिया से कहा है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। दरअसल बालाघाट के सबसे बड़े रेत और शराब कारोबारी राजेश पाठक और लवलेश तिवारी दोनों बांदा के निवासी हैं। हालांकि मीडिया में राजेश पाठक दावा करते हैं कि उन्हें बांदा छोड़े 30 साल हो गये हैं और वो किसी लवलेश तिवारी से न कभी मिले न फोन पर बात की है। 

बजंरग दल से कनेक्शन

अपनी फेसबुक प्रोफाइल में लवलेश तिवारी ने खुद को बजरंग दल का जिला सह सुरक्षा प्रमुख बताया है। लवलेश तिवारी की मां आशा देवी और छोटा भाई वेद तिवारी भी मीडिया से बताते हुए दावा करते हैं कि लवलेश तिवारी कुछ समय के लिए बजंरग दल से जुड़ा रहा है। वहीं घरवालों और खुद लवलेश तिवारी के दावे के उलट बजरंग दल के पूर्व प्रांत गौरक्षा प्रमुख प्रभाकर चंदेल ने मीडिया से बात करके लवलेश तिवारी से बजरंग दल के संबंधों का खंडन किया है।

प्रभाकर चंदेल ने कहा कि लवलेश तिवारी कभी भी बजरंग दल या विहिप से नहीं जुड़ा था। यह बात दीगर है कि रामनवमी जुलूस या अन्य कार्यक्रम में हजारों हिन्दू शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि लवलेश तिवारी ने जिस तरह से घटना को अंजाम दिया है उससे लगता है कि वह प्रशिक्षित शूटर है। प्रभाकर चंदेल का कहना है कि लवलेश तिवारी का नाम जोड़कर बजरंग दल को बदनाम करने का कुचक्र किया जा रहा है। बजरंग दल जिलाध्यक्ष अंकित पांडेय का दावा है कि लवलेश पदाधिकारी तो दूर बजरंग दल का सदस्य भी नहीं था।

लवलेश तिवारी की मोहल्ले के लड़कों और हिंदुत्ववादी महकमे में पहुंच रही है, इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है। क्योटरा मोहल्ले के ठीक बाहर चौराहे पर दीवार के आकार का एक बहुत बड़ा पोस्टर लगा है। खुद को ब्राह्मण समाज का कहने वाले एक स्थानीय समूह ने 26 जनवरी 2023 को विशाल तिरंगा यात्रा का पोस्टर लगाया था। इस कार्यक्रम के आयोजकों में 2 दर्जन लोगों के नाम और फोटो छपी हैं जिसमें लवलेश तिवारी का नाम और तस्वीर भी है।   

बांदा से 3 दोस्त हुए गिरफ्तार

वहीं यूपी पुलिस ने 20 अप्रैल को लवलेश तिवारी के 3 दोस्तों को बांदा से पूछताछ के लिये हिरासत में लिया है। पुलिस ने जिन 3 दोस्तों को पूछताछ के लिये उठाया है उनमें से दो तो क्योटरा मोहल्ले के ही हैं। मीडिया में दावा किया जा रहा है कि इन्हीं तीनों ने लवलेश तिवारी को मीडियाकर्मी बनने की ट्रेनिंग दी थी। हालांकि पुलिस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।

(प्रयागराज और बांदा से सुशील मानव की रिपोर्ट)

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