‘द रणवीर शो’: माइक्रोफोन से मोटी कमाई तक की कहानी, जानिए कैसे बदल रही है डिजिटल आवाजों की दुनिया

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रणवीर इलाहाबादिया विवाद के बाद ‘पॉडकास्ट’ चर्चा में है और रील्स के दिनों में यह आजीविका चलाने का नया जरिया बनकर सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल में रणवीर इलाहाबादिया को आंशिक राहत देते हुए उन्हें कुछ शर्तों के साथ अपना पॉडकास्ट ‘द रणवीर शो’ फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी। यह फैसला रणवीर इलाहाबादिया की उस याचिका पर आया है, जिसमें उन्होंने पॉडकास्ट को जारी रखने की अनुमति मांगी थी। रणवीर ने कहा था कि यह उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लेकर ‘किस्सागोई’ के नए मुकाम तक

‘पॉडकास्ट’ शब्द आज से पंद्रह साल पहले लोगों के लिए नया था, पर अब लोग इसे अपनी आजीविका का जरिया बनाने लगे हैं। इस बारे में हमने कुछ लोगों से बातचीत की, पर इससे पहले ‘पॉडकास्ट’ को समझें तो यह एक डिजिटल ऑडियो या वीडियो कंटेंट सीरीज होती है, जिसे इंटरनेट के माध्यम से कभी भी डाउनलोड या स्ट्रीम किया जा सकता है। पॉडकास्ट को Spotify, Apple Podcasts या YouTube जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।

यह लोगों में इसलिए लोकप्रिय है, क्योंकि स्मार्टफोन्स के माध्यम से लोगों तक आसानी से इसके जरिए ज्ञान या मनोरंजन की पहुंच बन रही है।

साल 2007 के दौरान भारत में जब लोग पॉडकास्ट को जानते भी नहीं थे, तब कला जगत के कुछ महत्वपूर्ण लोगों द्वारा ‘रेडियो प्लेबैक इंडिया’ पॉडकास्ट की शुरुआत की गई थी। इसके बारे में बात करते हुए इसके फाउंडिंग मेंबर्स में से एक सजीव सारथी कहते हैं, “हमने साल 2007 में ‘रेडियो प्लेबैक इंडिया’ नाम से पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म बनाया था। तब दिक्कत यह होती थी कि लोगों को पता नहीं होता था कि इसे चलाया कैसे जाए। आज का ‘हिंद युग्म’ प्रकाशन तब एक साहित्यिक ग्रुप था, इसके एक भाग के तौर पर ही रेडियो प्लेबैक इंडिया की शुरुआत की गई थी।” सजीव बताते हैं, “विविध भारती के जाने-माने उद्घोषक यूनुस खान जैसे बड़े नाम तब हमसे जुड़े थे। Spotify और इस तरह के अन्य ऐप्स आने के बाद हिंदी साहित्य और कहानी सुनाने वालों को अच्छा पैसा मिलने लगा। रेडियो प्लेबैक इंडिया ने भी कुछ समय मेंटजा ऐप के साथ काम किया।”

सजीव कहते हैं, “इन दिनों रील्स में कविताएं और कहानियां सुनना ट्रेंडिंग है। जिसके पास दमदार आवाज है और उसे पहचान मिलने लगे, तो आप पॉडकास्ट में अच्छा पैसा कमा सकते हैं।”

माइक्रोफोन ने बदली जिनकी जिंदगियां

मुरादाबाद की रहने वाली रिचा शर्मा कहती हैं, “बेटे और बेटी को जन्म देने के बाद परिवार को समय देने के लिए मैंने स्कूल में पढ़ाना छोड़ दिया था। बच्चों के बड़े होने पर मैंने फिर से अपने करियर के बारे में सोचा और साल 2022 में ‘मेंटजा’ ऐप से जुड़ी।” मेंटजा में वह 9 पॉडकास्ट चैनलों से जुड़ी थीं और सोशल मीडिया रिप्रेजेंटेटिव के पद पर रहीं। इसके साथ वह ‘रेडियो प्लेबैक इंडिया’ के साथ भी काम करती रही हैं। इन दिनों रिचा ‘किस्साठेल’ रेडियो ड्रामा चैनल से जुड़ी हैं। रिचा कहती हैं, “वह आने वाले समय में अपने पति के साथ उनके व्यापार में हाथ बंटाते हुए पॉडकास्ट की दुनिया में भी आगे बढ़ना चाहती हैं। उन्हें पॉडकास्ट में अपना बेहतर भविष्य दिखाई देता है।”

सुप्रिया पुरोहित को पॉडकास्ट से उम्मीद, तो शतदल रेडियो से पॉडकास्ट की दुनिया में सक्रिय प्रज्ञा

सुप्रिया पुरोहित इन दिनों दिल्ली में रहती हैं। साल 2019 में उन्होंने ‘रेडियो प्लेबैक इंडिया’ पॉडकास्ट में ‘कविता जंक्शन’ प्रोग्राम शुरू किया था। कविता जंक्शन को अब उन्होंने रजिस्टर करवा लिया है और उसकी वेबसाइट बनाकर उन्होंने अभी ‘वाग्मी’ नाम से पत्रिका भी निकाली है। इस वेबसाइट में पॉडकास्ट, ऑडियो बुक्स के साथ काफी कुछ देखा जा सकता है। सुप्रिया कहती हैं, “कविता जंक्शन के बेहतर भविष्य की उन्हें बहुत उम्मीदें हैं। सब कुछ उम्मीदों के मुताबिक रहा, तो वह कुछ सालों बाद पॉडकास्ट की दुनिया का जाना-पहचाना नाम होंगी।”

मुंबई की प्रज्ञा मिश्रा कहती हैं, “साल 2018 में मैंने ‘शतदल रेडियो’ की शुरुआत की थी। इसमें मैं सामाजिक विषयों पर बात करने के साथ कविताएं पढ़ती हूँ। यह Spotify और YouTube पर है।” प्रज्ञा कहती हैं, “मुझे किताबें पढ़ने का शौक है और शतदल रेडियो पर मैं किताबों की समीक्षा भी करती हूँ। पॉडकास्ट से मेरी छिटपुट आय होती रहती है।” प्रज्ञा आगे कहती हैं, “अपने दोनों बच्चों को पढ़ाने के साथ, मैं अपने पति की क्लास ‘बेंचमार्क ट्यूटोरियल’ में भी लगातार ऐक्टिव रहती हूँ। वहां मैं हिंदी और बायोलॉजी पढ़ाती हूँ। अपने काम के साथ पॉडकास्ट करते हुए मैं खुश हूँ।”

(पायल गुप्ता की रिपोर्ट।)

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