डर और उत्पीड़न का बहाना कर अमेरिका में अवैध तरीके से दाखिल हो रहे भारतीय

नई दिल्ली। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (यूसीबीपी) के नवीनतम रिपोर्ट से पता चलता है कि बीते एक साल में करीब एक लाख भारतीयों को अमेरिका में अवैध रुप से प्रवेश करने पर गिरफ्तार किया गया है। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2022 से लेकर सितंबर 2023 के बीच अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने के जुर्म में रिकॉर्ड 96,917 भारतीयों को गिरफ्तार किया है। अवैध रूप से अमेरिकी सीमा पार करते समय पकड़े गए भारतीयों की संख्या में कथित तौर पर पिछले वर्षों में पांच गुना वृद्धि देखी गई है।

2019-20 में अवैध प्रवेश करने वाले 19,883 भारतीयों को पकड़ा गया था। आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में 30,662 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया जबकि 2021-22 में यह संख्या 63,927 थी। इस साल अक्टूबर 2022 से सितंबर के बीच गिरफ्तार किए गए 96,917 भारतीयों में से 30,010 कनाडाई सीमा पर और 41,770 मेक्सिको की सीमा पर पकड़े गए।

गिरफ्तार किए गए लोगों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। साथ में रहने वाले नाबालिग (एएम), परिवार इकाई में एक व्यक्ति (एफएमयूए), एकल वयस्क, और अकेले बच्चे (यूसी)। इन गिरफ्तारियों में एकल वयस्क की संख्या सबसे ज्यादा हैं। वित्तीय वर्ष 2023 में 84,000 भारतीय वयस्क अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल हुए। गिरफ्तार किए गए लोगों में 730 अकेले बच्चे भी शामिल हैं।

अमेरिकी संघीय सरकार का वित्तीय वर्ष 1 अक्टूबर से 30 सितंबर तक चलता है।

इस बीच, सीनेटर जेम्स लैंकफोर्ड ने गुरुवार को सीनेट में कहा कि ये लोग निकटतम हवाई अड्डे मेक्सिको तक पहुंचने के लिए फ्रांस जैसे देशों से होकर लगभग चार उड़ानें लेते हैं। और फिर सीमा तक कार्टेल द्वारा किराए पर ली गई बस लेते हैं ताकि उन्हें उनकी अंतिम स्थान के लिए छोड़ा जा सके।

लैंकफोर्ड ने कहा कि मेक्सिको में आपराधिक कार्टेल दुनिया भर के प्रवासियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं कि क्या कहना है और कहां जाना है ताकि शरण प्रक्रिया में “खेल” किया जा सके और शरण की सुनवाई का इंतजार करते हुए देश में प्रवेश किया जा सके।

लैंकफोर्ड ने बताया कि इस साल अब तक हमारे पास भारत से 45,000 लोग हैं। जो हमारी दक्षिणी सीमा पार कर चुके हैं, कार्टेल का भुगतान कर चुके हैं, हमारे देश में घुस आए हैं, और जब पूछा जाता है कि शरण लेने की वजह तो कहते हैं कि उन्हें अपने देश भारत में डर लगता है।

शरण प्रणाली को लेकर लैंकफोर्ड ने बताया कि “दुनिया में हरेक के लिए इसका कोई मतलब नहीं है। हमारे अलावा दुनिया में लगभग हर कोई इस पर स्थानांतरित हो गया है। हम सचमुच दुनिया भर से लोगों को हमारी प्रणाली का फायदा उठाने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने अमेरिका की अव्यवस्थित शरण प्रणाली और उन क्षेत्रों के बारे में बात किया, जिन्हें नीति में संबोधित करने की आवश्यकता है।

लैंकफोर्ड ने कहा कि शरण और शरणार्थी की स्थिति एक समान है। अंतर्राष्ट्रीय कानून में भी ऐसा ही है। एक शरणार्थी डरे हुए स्थान से भाग जाता है और एक शरणार्थी केंद्र में पहुंच जाता है और संयुक्त राष्ट्र से कहता है, “मुझे अपने देश में उत्पीड़न का डर है।” और यदि वे ऐसा करते हैं, तो वे वास्तव में इसे संयुक्त राज्य सहित पूरी दुनिया में इसी तरह से करते होंगे।

उन्होंने कहा कि “हम यहां दुनिया भर से शरणार्थियों को लेते हैं। शरण चाहने वालों का एक ही मानक होना चाहिए। उन्हें अगले सुरक्षित स्थान पर जाना होगा, वहां पहुंचना होगा और शरण का अनुरोध करना होगा। यह अंतरराष्ट्रीय मानक है, लेकिन हम यहां ऐसा नहीं करते हैं।” 

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