मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल भी पूरा करने को है लेकिन नौजवानों से किए गए अपने किसी भी वादे को पूरा नहीं किया गया। उलटे नौजवानों के भविष्य और सपनों पर बुलडोजर चला दिया गया है। हमारे देश ने तबाही-बर्बादी का ऐसा आलम पहले कभी नहीं देखा था। ऐसे समय में देश के नौजवानों की क्रांतिकारी आवाज़ आरवाईए ने देश भर में नौजवानों के बीच व्यापक संपर्क-संवाद अभियान चलाकर संसद के मानसून सत्र में 01 अगस्त को दिल्ली में “यूथ पार्लियामेंट” का आह्वान किया है।
“संगठित हो- हल्लाबोल” अभियान के तहत आरवाईए नौजवानों के बीच “गांव यात्रा” के माध्यम से जा रहे हैं, नौजवानों से संवाद कर उन्हें संगठन में शामिल कर रहे हैं। इस अभियान के तहत देश भर में ब्लॉक और जिला स्तर पर हजारों “यूथ असेंबली” का आयोजन किया जा रहा है। “यूथ असेंबली” में अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को शामिल किया जा रहा है, उनकी समस्याएं सुनी जा रही हैं। 01 अगस्त को देश भर के नौजवानों की आवाज़ लेकर दिल्ली पहुंचकर “यूथ पार्लियामेंट” का आयोजन किया जाएगा।
नौजवानों के सपनों पर बुलडोजर: मोदी सरकार नौजवानों के सपनों पर बुलडोजर चला रही है। लाखों-लाख नौजवान जो सेना के अलग-अलग संस्थानों में बहाली के लिए तैयारी कर रहे थे, सरकार के “अग्निपथ” योजना की घोषणा ने उनके सपनों पर बुलडोजर चलाने जैसा काम किया। सत्ता में आने से पहले हर साल दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार की असलियत यह है कि संसद में एक सवाल का जबाव देते हुए सरकार ने खुद स्वीकार किया कि 8 साल में मात्र 7.2 लाख रोजगार ही सरकार दे पाई है जबकि 22 करोड़ नौजवानों ने इसके लिए आवेदन किया था। नौजवानों को रोजगार देने की इस सच्चाई के बीच प्रधानमंत्री मोदी ‘रोजगार मेला’ लगा कर कुछ हजार नियुक्ति-पत्र बांट कर गोदी मीडिया के माध्यम से रोजगार देने का ढोंग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा जितने नियुक्ति पत्र बांटे गए वह संख्या खाली पड़े पदों का महज 15 प्रतिशत भी नहीं है।
रोजगार के अवसरों की नीलामी: हम रोजगार के जिन अवसरों के दम पर रोजगार पाने का सपना देखते हैं आज उन्हीं अवसरों को अपने दुलारे पूंजीपतियों के हाथों नीलाम किया जा रहा है। रेलवे, जो हर साल 30-40 हजार नौजवानों को रोजगार देता था, को बेचा जा रहा है। रेलवे सहित तमाम सरकारी संस्थानों, संस्थाओं और कंपनियों को बेच कर रोजगार के अवसरों को खत्म किया जा रहा है। बीएसएनएल, एमटीएनएल, एलआईसी, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी, हेल, भेल, सेल, हाइवे, पाइपलाइन सहित देश के दर्जनों सरकारी संस्थानों को नीलाम किया जा रहा है जो बड़ी संख्या में नौजवानों को रोजगार देते थे। “अग्निपथ योजना” लाकर मोदी सरकार ने नौजवानों के भविष्य पर बुलडोजर चलाने जैसा काम किया है।
भारत का लाइफ लाइन रेलवे: भारतीय रेल से देश के नागरिकों का ना सिर्फ यातायात का रिश्ता है बल्कि यह करोड़ों नागरिकों को रोजी-रोटी-रोजगार देता है और उनके सपनों को भी ढोता है। इस शासन में रेलवे आज नीलामी के बाजार में रख दिया गया है। एक-एक कर इसके प्लेटफार्म बेचे जा रहे हैं, ट्रेने बेचीं जा रही, रूट बेचा जा रहा, स्टेडियम, हॉस्पिटल और स्कूल बेचा जा रहा है। नए पदों का सृजन करना तो दूर, पहले से मौजूद पदों को ख़त्म किया जा रहा है। हालात तो यह है कि कर्मियों के अभाव में रेलवे सुचारू रूप से चलने में असमर्थ है। ओडिशा की रेल दुर्घटना इस बात की मिसाल है। सिग्नल स्टाफ की कमी की वजह से दुर्घटना की सम्भावना के बारे में पहले से एलर्ट किया गया था लेकिन सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया और इतनी बड़ी दुर्घटना हुई जिसमें सैकड़ों लोगों ने अपनों को खो दिया।
परीक्षाओं में धांधली और भ्रष्टाचार: प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली तो इस सरकार की पहचान बन गई है। पेपर लीक और आरक्षण में घोटाले इन दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आम बात हो गई है। शायद ही कोई परीक्षा हो जिसका पेपर लीक न हुआ हो या उसमें किसी तरह की धांधली न हुई हो। आज यह बात सर्वविदित है कि “अगर नौकरी चाहिए तो भाजपा/आरएसएस नेताओं से अच्छे रिश्ते या पैसे होने चाहिए”। आज देश में जो थोड़ी-बहुत नौकरियां दी भी जा रही हैं वो भाई-भतीजावाद और अखंड भ्रष्टाचार की गिरफ्त में हैं।
सरकारी जुमलेबाजी: सरकारी लफ्फाजी का आलम यह है कि जिस काल में पूरी सत्ता और मीडिया ने मिल कर नफरत का जहर आम लोगों के सामने परोसा, उस काल का नाम “अमृतकाल” दिया गया। जिस पीढ़ी की पीठ पर इस मोदी शासन की लाठी सबसे ज्यादा जोर से लगी है उस पीढ़ी का नाम “अमृतपीढ़ी” दिया गया है। विनाश और विध्वंस को विकास बताया जा रहा है। देशी-विदेशी पूंजी पर निर्भरता को “आत्मनिर्भर भारत” बताया जा रहा है। जहां सत्ता द्वारा हर दिन लोकतंत्र का कत्लेआम किया जा रहा है उसे “मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी” कहा जा रहा है। अडानी जैसे अपने दुलारे पूंजीपतियों के विकास को “सबका साथ सबका विकास” कहा जा रहा है।
विरोध की आवाज का दमन: एक तरफ मोदी सरकार नौजवानों के भविष्य पर बुलडोजर चला रही है, दूसरी तरफ इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले नौजवानों के साथ लाठी-डंडों से पेश आ रही है। साथ ही साथ इनके ऊपर फर्जी मुकदमे लगा कर जेल भेज रही है। अभी भी सैकड़ों नौजवान रोजगार के सवाल पर आन्दोलन करने की वजह से सलाखों के पीछे धकेल दिए गए हैं। “अग्निपथ योजना” के खिलाफ आन्दोलन कर रहे हजारों नौजवानों को कठोर धाराएं लगा कर जेल में डाल दिया गया है। उमर खालिद सहित सैकड़ों नौजवान जो नागरिकता कानून के खिलाफ आन्दोलन में शामिल थे, आज भी जेल में हैं।
महिलाओं के सम्मान-सुरक्षा का सवाल: देश के लिए मेडल जितने वाली महिला पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया लेकिन 3 महीने के बाद सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जाकर FIR दर्ज हुआ। अभी तक भाजपा सांसद की गिरफ़्तारी नहीं हुई है। पूरी सरकार अपने दुलारे बाहुबली सांसद को बचाने में लगी है। महिलाओं के प्रति सरकार के रवैये का यह मिसाल ही है कि जब महिलाएं अपने दम पर किसी मुकाम को हासिल कर भी लेती हैं तो सरकार उनके सम्मान, सुरक्षा और न्याय की गारंटी नहीं करा रही है और साथ ही साथ इनके आवाज़ को भी खामोश कर देना चाह रही है।
नफरत का कारोबार और नौजवानों से गद्दारी: विकास का वादा करके सत्ता में आई मोदी सरकार, भाजपा, आरएसएस और मुख्यधारा की मीडिया ने इकट्ठे देश में नफरत का कारोबार शुरू कर दिया। कभी गौ-हत्या, कभी लव जिहाद, कभी कोरोना जिहाद, कभी मस्जिद का माइक के नाम पर तो कभी सीएए-एनआरसी के खिलाफ़ आन्दोलन कर रहे आन्दोलनकारियों के खिलाफ नफरत, अफवाह फैला कर देश के नौजवानों को गुमराह किया जा रहा है।
संगठित हो – हल्ला बोल अभियान: नौजवान दोस्तों, जब आप अपने भविष्य की रचना में तल्लीन हैं और अपने सपनों को नीलाम होते देख चिंतित हो रहे हैं, ठीक उसी समय नौजवान आन्दोलन की क्रान्तिकारी आवाज आरवाईए “संगठित हो- हल्ला बोल” अभियान चला रहा है। हमने ऐसे कठिन दौर में देश भर में नौजवानों को संगठित कर निर्णायक आन्दोलन करने की ठानी है। हम ‘गांव यात्रा’ के माध्यम से नौजवानों के बीच जा रहे हैं। पंचायत/ब्लॉक/जिला राज्य स्तर पर ‘यूथ असेंबली’ कर रहे हैं।
यूथ पार्लियामेंट: इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) नौजवानों के सपनों पर चल रहे मोदी सरकार के बुलडोजर के खिलाफ देश भर में नौजवानों से संवाद कर उन्हें संगठित आन्दोलन के साथ जोड़ने के लिए देशव्यापी अभियान चला रहा है। इस अभियान को चलाते हुए हम संसद के मानसून सत्र में 01 अगस्त को दिल्ली में संसद के समक्ष सड़कों पर “यूथ पार्लियामेंट” लगाएंगे।
(यह सूचना इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।)