सीपी कमेंट्री: मेहुल चोकसी को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, लगभग नामुमकिन है!

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पहली बार अमिताभ बच्चन (1978) और दूसरी बार शाहरुख खान (2006) अभिनीत क्राइम थ्रिलर हिन्दी फिल्म ‘डॉन‘ का एक डायलॉग कानून तोड़ने वालों और उसके रखवालों ही नहीं आम हिंदुस्तानी सिनेमा दर्शकों के बीच भी बहुत चर्चित रहा। दरअसल ये दो पक्षों के बीच का कोई डायलॉग नहीं बल्कि एकपक्षीय ‘मोनोलॉग‘ है, जो डॉन नाम के शातिर उस अपराधी का किरदार खुद ही खुद से कहता रहता है जिसे पकड़ने के लिए अपराधों के उसके खुद के रखे हिसाब-किताब के मुताबिक एक सौ से ज्यादा देशों की पुलिस लगी है। ये है:‘डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है‘।

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय और अन्य की पहल पर अविभाजित भारत के सर्वप्रथम स्वदेशी बैंक के बतौर लाहौर के अनारकली बाजार में 19 मई, 1894 को स्थापित ‘पंजाब नेशनल बैंक‘ (पीएनबी) से 13500 करोड़ रूपए लूट कर जनवरी, 2018 में विदेश फरार हो जाने वाला गुजराती मूल का हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी ‘डॉन’ तो नहीं है। लेकिन वह एक वास्तविक बहुत बड़ा अपराधी है जो उस काल्पनिक शातिर अपराधी ‘डॉन‘ से  कमतर भी नहीं है। यही कारण है कि उसे भारत की पुलिस तीन बरस से ज्यादा की उसकी फरारी के बाद भी अभी तक पकड़ नहीं सकी है।

चोकसी के भांजे नीरव मोदी की लंदन में ऐश

पीएनबी लूट में चोकसी के साथ शामिल उसका भांजा नीरव मोदी भी भारत से भागा था जो बाद में लंदन में ब्रिटिश पुलिस की हिरासत से जमानत पर छूट कर वहां प्रधानमंत्री मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य रहे भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या और इंडियन प्रिमियर लीग क्रिकेट (आईपीएल) के कमिश्नर रहे भगोड़े ललित मोदी की ही तरह ऐश कर रहा है। आईपीएल घोटाले में अभियुक्त ललित मोदी , मोदी सरकार की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (अब दिवंगत) और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से हासिल प्रमाण पत्रों और दस्तावेजों के सहारे भारत से भागा था। नीरव मोदी और चोकसी के बारे में हम पहले भी इसी ‘सीपी कमेंट्री‘ स्तम्भ में विस्तार से खबर और विश्लेषण दे चुके हैं।

भारत की पुलिस के हाथ लगना मुश्किल

स्पष्ट संकेत मिले हैं कि अभी भूमध्यसागर में करीब एक लाख की आबादी के कैरीबियाई देश ‘डोमोनिका गणराज्य‘ की पुलिस की गिरफ्त में वहां की राजधानी रोजिओ के आलीशान डोमिनिका चाइना फ्रेंडशिप होटल में ‘कैद‘ में स्वास्थ्य उपचार करा रहे मेहुल चोकसी का भारत की पुलिस के हाथ लगना मुश्किल ही नहीं बल्कि लगभग नामुमकिन है। आखिरकार ऐसा क्यों न लगे? ये वही आरोपित अपराधी है जिसे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उसकी फरारी से पहले सार्वजनिक रूप से ‘मेहुल भाई‘ कहते नहीं अघाते थे।

भारत की न्यूज़ एजेंसी, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ने सात जून, 2021 की सुबह खबर दी कि डोमोनिका गणराज्य के पड़ोसी देश एंटिगुआ के प्रधानमंत्री गास्तन ब्राउनी ने मेहुल चोकसी का उनके देश से अपहरण कर डोमोनिका ले जाने की शिकायत की जांच के आदेश दिये हैं। ये आदेश चोकसी के वकीलों की एंटिगुआ–बरबुडा की शाही पुलिस के कमिश्नर के पास दर्ज लिखित शिकायत पर जारी किया गया है। शिकायत में उसके कथित अपहर्ताओं के नाम भी लिये गये हैं। चोकसी 23 मई, 2021 को एंटिगुआ से ही बड़े ही रहस्यमय तरीके से ‘गायब‘ हो गया था, जहाँ उसने भारत से भागने के बाद पीएनबी लूट की रकम से ही कुछ पूंजी निवेश कर नागरिकता भी खरीद ली है।

डोमिनिका पुलिस

डोमिनिका पुलिस ने चोकसी के भारत से भागने के तुरंत बाद इटरपोल की जारी नोटिस का संज्ञान लेकर उसे एंटिगुआ से गैर-कानूनी तौर पर डोमिनिका में घुसने के अपराध के आरोप में गिरफ्तार कर रखा है।

स्थानीय मीडिया के असोसियेट्स टाइम्स ने डोमोनिका के विरोधी नेता लेनोक्स लिंटन के हवाले से प्रसारित इस खबर की सत्यता पर गहरा संदेह व्यक्त किया है कि चोकसी को एंटिगुआ से समुद्री नाव से करीब 120 मील की दूरी तय कर 23 मई को सुबह 10 बजे उनके देश लाया गया था। क्योंकि खुद चोकसी के परिवार ने कहा कि वह 23 मई की शाम पांच बजे तक एंटिगुआ में ही था। कस्टम विभाग के दस्तावेज के मुताबिक चोकसी की नाव एंटिगुआ से 23 मई को सुबह 10 बजे चली थी।

चोकसी के वकील के दावों का सच

चोकसी के वकील का ये दावा भी गलत लगता है कि उसको नाव से अपहरण के दौरान मारा पीटा गया जिसके निशान उसके शरीर पर हैं। उक्त स्थानीय मीडिया के अनुसार चोकसी का उपचार करने वाले डाक्टर ने इसे पुराना निशान बताया है। चोकसी के वकीलों ने ये भी दावा किया कि उसका अपहरण एंटीगुआ और भारत के लगने वाले लोगों ने किया।

चोकसी के वकीलों की याचिका पर डोमिनिका हाई कोर्ट ने उसकी जमानत नामंजूर कर दी लेकिन उक्त होटल में ‘ कैद ‘ में ही स्वास्थ्य उपचार कराने की अनुमति दे दी। कोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख जुलाई 2021 के बाद ही तय किये जाने की सम्भावना है।

मोदी सरकार ने दिखावे के लिये ही चोकसी को पकड़ कर भारत लाने के प्रयास का स्वांग किया। उसने चोकसी को डोमिनिका से प्रत्यर्पण पर भारत लाने के लिये कोई कानूनी तैयारी नहीं की। भारत और एंटिगुआ के बीच तो प्रत्यर्पण संधि है। लेकिन भारत की डोमिनिका से कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है। मोदी सरकार ने डोमिनिका गणराज्य से चोकसी को लाने के लिये अपने 8 बड़े अधिकारियों के साथ प्राइवेट जेट विमान भेजा था। वो अधिकारी खाली हाथ भारत लौट आये हैं। पूरी दुनिया में मोदी सरकार के नकारापन की किरकिरी हुई है। इस नकारेपन से सिर्फ प्राइवेट जेट विमान का भाड़ा भरने के लिये सरकारी खजाना को 10 करोड़ रुपये का चूना अलग से लगा है। चोकसी को पकड़ना सच में मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन है। कम से कम तब तक जब तक केंद्र में मोदी सरकार है!

(वरिष्ठ पत्रकार और लेखक चंद्र प्रकाश झा की रिपोर्ट।)

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