मानव-विकास सूचकांक के सभी पैमानों पर जम्मू-कश्मीर से काफी पीछे है, मोदी-शाह का मॉडल राज्य गुजरात

Estimated read time 1 min read

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने और केंद्र शासित प्रदेश की घोषणा करते समय गृहमंत्री ने बार-बार जम्मू-कश्मीर की गरीबी और पिछड़ेपन का हवाला दिया। जबकि सच्चाई यह है कि जम्मू-कश्मीर मानव-विकास सूचकांक के अधिकांश पैमानों पर नरेंद्र मोदी और शाह के मॉडल राज्य गुजरात से बहुत आगे है और बिहार तो कहीं ठहरता ही नहीं। यह तथ्य भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों पर आधारित है। जिसे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज पोस्टर के रूप में अपने हाथों में उठाए हुए हैं।

मानव विकास सूचकांक के अधिकांश पैमानों पर जम्मू-कश्मीर से पिछड़े होने के आधार पर क्यों न गुजरात और बिहार को तब तक के लिए केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए, जब तक वे  इन मामलों में जम्मू-कश्मीर के बराबर न आ जाएं?

औसत आयु

गुजरात में औसत आयु-69 वर्ष

जम्मू कश्मीर में औसत आयु- 74 वर्ष

यानी गुजरात से 5 वर्ष अधिक।

बाल मृत्यु-दर

प्रति 1000 बच्चों पर। गुजरात में पैदा होने वाले 1000 बच्चों में से 33 बच्चे 5 वर्ष की उम्र का होने से पहले मर जाते हैं। जबकि जम्मू कश्मीर में यह अनुपात 26 है यानी गुजरात की तुलना में 7 अधिक बच्चे जिंदा रहते हैं।

जन्मदर-

गुजरात में जन्म दर 2.2 प्रतिशत है, जबकि जम्मू-कश्मीर में जन्म-दर सिर्फ 1.7 प्रतिशत है।

लड़कियों की साक्षरता दर-

15 से 19 वर्ष की 87 प्रतिशत लड़कियां जम्मू-कश्मीर में स्कूल जाती हैं। जबकि गुजरात में सिर्फ 75 प्रतिशत लड़कियां ही स्कूल जाती हैं।

आवश्यक वजन से कम बच्चे-

गुजरात में 39 प्रतिशत बच्चों का वजन जितना होना चाहिए उससे कम है, यानी कुपोषित हैं लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह प्रतिशत सिर्फ 17 है।

कुपोषित महिलाएं-

गुजरात में 27 वयस्क महिलाएं कुपोषित हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर में सिर्फ 12 प्रतिशत महिलाएं कुपोषित हैं।

बच्चों का टीकाकरण-

जम्मू कश्मीर में 75 प्रतिशत बच्चों का पूर्ण टीकारण हो गया है, जबकि गुजरात में सिर्फ 50 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण हुआ है। बच्चों के सुरक्षित और स्वस्थ जीवन के लिए यह अनिवार्य होता है।

गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली ग्रामीण आबादी-

जम्मू-कश्मीर में ग्रामीण आबादी का सिर्फ 12 प्रतिशत गरीबी रेखा के नीचे है। जबकि गुजरात में 22 प्रतिशत ग्रामीण आबादी गरीबी रेखा के नीचे हैं।

गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली शहरी आबादी-

जम्मू में सिर्फ 7.2 प्रतिशत शहरी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है, जबकि गुजरात में 10.14 प्रतिशत है।

महिलाओं की मजदूरी-

जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की औसत मजदूरी 209 रूपया है, जबकि गुजरात में सिर्फ 116 रूपया है।

(लेखक डॉ. सिद्धार्थ फारवर्ड प्रेस के संपादक हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You May Also Like

More From Author