मध्य प्रदेश में बुरी तरह पिटे कमलनाथ ने ईवीएम की विसंगतियों पर उठाए सवाल

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करने के कुछ दिनों बाद, पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष कमल नाथ ने मंगलवार को 17 नवंबर के चुनावों में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में विसंगतियों का आरोप लगाया। ईवीएम की धांधली तो अपनी जगह है लेकिन उनके अहंकार का क्या?

कमलनाथ ने अपने अहंकार पर कोई सफाई नहीं दी। मध्य प्रदेश में कमलनाथ के अहंकार और नेताओं के साथ असहयोग ने सारा चौपट कर दिया। मध्य प्रदेश में राज्य इकाई के प्रमुख कमल नाथ ने स्वतंत्र फैसले लिए। नाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव को झिड़क दिया और सपा के इंडिया ब्लॉक का सदस्य होने के बावजूद किसी भी गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया।

मध्य प्रदेश के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रभारी जय प्रकाश अग्रवाल की जगह चुनाव से कुछ महीने पहले ही रणदीप सुरजेवाला ने ले ली, कमलनाथ ने नहीं बताया ऐसा क्यों और किसके कहने पर हुआ।

इसी तरह, उन्होंने डीएमके नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म पर विवादास्पद टिप्पणी के बाद भोपाल में इंडिया ब्लॉक की प्रस्तावित रैली को रद्द कर दिया।

एक असफल टिकट चाहने वाले के समर्थकों के लिए श्री नाथ की टिप्पणी ‘दिग्विजय के कपड़े पढ़ो’ ने विभाजन की भावना पैदा कर दी।

कमलनाथ ने यह नहीं बताया कि वे एक दिन में बमुश्किल एक सभा करते थे वहीं शिवराज सिंह चौहान 12 से 15 सभाएं करते थे, क्यों? मतदान से एक पखवाड़े पहले ही कांग्रेस का चुनाव प्रचार क्यों ठंडा पड़ गया था? सिर्फ बड़े नेताओं की रैलियों के सिवा स्थानीय स्तर पर होने वाली चुनाव सभाएं कम होती गईं और उम्मीदवारों को प्रदेश कांग्रेस से वो सहयोग और सहायता नहीं मिल रही थी जिसकी उन्हें जरुरत थी।

दिल्ली से गए कई नेता भोपाल और इंदौर में ही बैठे रहे और इंतजार करते रहे कि उन्हें कहीं भेजा जाए। होर्डिंग विज्ञापन और बैनर भी भाजपा के मुकाबले बहुत कम नजर आए। शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना के असर को आंकने में कांग्रेस बुरी तरह विफल रही और उसकी कोई ठोस काट नहीं खोज पाई।

हाल ही में संपन्न चुनावों में खराब प्रदर्शन के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने वाले नाथ ने दावा किया कि गिनती के समय कम से कम 100 ईवीएम 99% तक चार्ज पाई गईं। उन्होंने पूछा कि “मशीनें 99% कैसे चार्ज हो सकती हैं, अगर उन्हें वोटिंग के लिए 10 घंटे तक इस्तेमाल किया गया हो?”

पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि उन 100 ईवीएम से अधिकांश वोट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को गए, जिसने मध्य प्रदेश चुनाव में 230 विधानसभा सीटों में से 163 सीटें जीतकर जीत हासिल की। कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही।

कमल नाथ ने आगे आरोप लगाया कि ऐसे उदाहरण हैं जहां पार्टी के उम्मीदवारों को अपने ही गांवों से 50 वोट भी नहीं मिले। उन्होंने दावा किया कि “यह कैसे संभव है? भाजपा की मदद के लिए ईवीएम से छेड़छाड़ की गई।”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी ईवीएम की सटीकता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि “हमने (ईवीएम) बटन दबाया और पता नहीं चला कि वोट कहां गया। अब जब वीवीपैट आता है तो उसे 7 सेकेंड के लिए दिखाया जाता है। मूल बात यह है कि जिस मशीन में चिप लगी है उसे हैक किया जा सकता है।”

एमपी में कांग्रेस नेताओं ने चुनावों के ऐलान से पहले ही खुद को जीता हुआ मानकर टिकट बंटवारे में मनमानी की और सामाजिक और स्थानीय समीकरणों को बुरी तरह अनदेखा किया।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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