कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दायर नंदीग्राम से भाजपा नेता सुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनावी याचिका पर नोटिस जारी किया। जस्टिस शंपा सरकार की एकल पीठ ने भाजपा के निर्वाचित उम्मीदवार सुभेंदु अधिकारी, चुनाव आयोग और रिटर्निंग अफ़सर को नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि याचिका के लंबित रहने के दौरान पश्चिम बंगाल के जिस नंदीग्राम विधानसभा सीट से ममता बनर्जी शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हार गई थीं वहां इस्तेमाल की गई ईवीएम और कागजातों को संरक्षित किया जाए। इस मामले को 12 अगस्त, 2021 को सुना जाएगा।
ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम से चुने जाने को चुनौती दी थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि अधिकारी के निर्वाचन को निरस्त करने के लिए घूसखोरी समेत भ्रष्टाचार में लिप्त होने, नफ़रत और शत्रुता को बढ़ावा देने, धर्म के आधार पर वोट माँगने और बूथ पर कब्जा करने के आरोप लगाये थे। उन्होंने मतगणना की प्रक्रिया में गड़बड़ी और फ़ॉर्म 17 सी का पालन नहीं करने के आरोप भी लगाए थे जिसमें वोटों की गिनती का रिकॉर्ड रखा जाता है।
नंदीग्राम में मतगणना को लेकर विवाद भी हुआ था। मतगणना के दिन भी मीडिया में पहले तो ख़बर आई थी कि ममता बनर्जी चुनाव जीत गई हैं, लेकिन बाद में चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर कहा कि वहाँ से शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ जीत दर्ज की है। इस मामले में काफ़ी विवाद भी हुआ था। बाद में इस पूरी चुनाव प्रक्रिया और मतगणना को लेकर उन्होंने अदालत का रुख किया था। ममता बनर्जी आज की सुनवाई में ऑन लाइन अदालत में मौजूद रहीं।
जस्टिस शंपा सरकार ने निर्देश दिया कि चुनौती के तहत चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज, चुनाव पत्र, उपकरण, वीडियो रिकॉर्डिंग आदि संबंधित प्राधिकारी द्वारा संरक्षित किए जाने चाहिए जो कागजात और दस्तावेजों के संरक्षक भी हैं। रिटर्निंग ऑफिसर के साथ सीईओ और ईसी मामले में एक पक्ष होंगे। ममता बनर्जी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सौमेंद्र नाथ मुखर्जी ने पीठ से रिकॉर्ड के संरक्षण के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया क्योंकि अधिकारियों को चुनाव के बाद केवल 6 महीने की अवधि के लिए उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता होती है। एकल पीठ ने आदेश दिया कि मामले के निपटारे तक चुनाव से संबंधित सभी दस्तावेज, चुनाव दस्तावेज, उपकरण, वीडियो रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखा जाएगा।
सुनवाई के लिए ममता बनर्जी भी ऑनलाइन मौजूद थीं। वरिष्ठ वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले (2009) 8 एससीसी 736) के अनुसार याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहना होगा।जस्टिस सरकार ने कहा कि उक्त औपचारिकता (याचिकाकर्ता की पेश होने की) समाप्त हो गई है क्योंकि वह न्यायमूर्ति चंदा के समक्ष पेश हुई थीं, जो पहले मामले से निपट रही थीं। जस्टिस शंपा सरकार ने कहा कि नियम 23 का हिस्सा खत्म हो गया है क्योंकि याचिकाकर्ता ने एक बार ऑनलाइन इसमें भाग लिया है।
जस्टिस कौशिक चंद के अलग होने के बाद यह केस जस्टिस शंपा सरकार को सौंपा गया था। बनर्जी ने न्यायमूर्ति चंदा के याचिका पर सुनवाई करने पर आपत्ति जताई थी। जस्टिस चंदा ने पिछले हफ्ते मामले की सुनवाई से यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया कि “अगर वह पीछे नहीं हटे तो परेशान करने वाले विवाद को जीवित रखेंगे। जस्टिस चंदा ने जिस तरीके से उनका बहिष्कार करने की मांग की थी, उस पर आपत्ति जताते हुए बनर्जी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
जस्टिस कौशिक चंद के उस सुनवाई से हटने से पहले ममता बनर्जी ने चिट्ठी लिख कर कलकत्ता हाईकोर्ट से आग्रह किया था कि शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को रद्द करने की माँग करने वाली उनकी याचिका किसी और जज की बेंच को सौंपी जाए। ममता बनर्जी के वकील ने इस चिट्ठी में कहा था कि उनके मुवक्किल को आशंका है कि जज प्रतिवादी के प्रति झुकाव रख सकते हैं। चिट्ठी में कहा गया था कि अप्रैल महीने में ही मुख्यमंत्री ने जस्टिस कौशिक चंद को कलकत्ता हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त करने का विरोध किया था। कलकत्ता हाई कोर्ट को लिखी चिट्ठी में कहा गया था, ‘न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए, न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए’।
बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में नंदीग्राम विधानसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को दो हजार से भी कम मतों के अंतर से पराजित कर दिया था जस्टिस ममता बनर्जी ने तब अपनी हार स्वीकार कर ली थी, लेकिन बाद में उन्होंने चुनाव परिणाम को हाइकोर्ट में चुनौती दी। ममता बनर्जी ने पहले ही कह रखा था कि वह बाद में कोर्ट जाने पर विचार करेंगी। कलकत्ता हाइकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी पर मतगणना में हेराफेरी करने के आरोप लगाये हैं। साथ ही मतगणना केंद्र पर तैनात चुनाव पदाधिकारियों पर भी तृणमूल सुप्रीमो ने गंभीर आरोप लगाये थे।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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