Saturday, April 20, 2024

लखीमपुर किसान हत्याकांड:  पहली बरसी पर काली पट्टी बांधकर केंद्र सरकार का पुतला दहन करेंगे किसान

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड के एक साल पूरे होने के मौके पर देश भर में किसानों द्वारा केंद्र सरकार का पुतला दहन किया जायेगा। इस आशय की जानकारी संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा प्रधानमंत्री के नाम सौंपे गये ज्ञापन से मिली है। लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टैनी को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त करना, निर्दोष किसानों की जेल से रिहाई और उनके ऊपर लगाए झूठे केस वापस लेने के संदर्भ में संयुक्त किसान मोर्चा ने जिलाधिकारी व एसडीएम के मार्फ़त प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। 

ज्ञापन में सबसे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पिछले साल की घटना याद दिलाते हुए बताया है कि पिछले साल आज ही के दिन तिकोनिया, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण आंदोलन कर वापस लौट रहे किसानों पर थार गाड़ी चढा़ दी थी। इस घटना में चार किसान और एक पत्रकार शहीद हो गए, 13 से अधिक किसान बुरी तरह घायल हुए। 

संयुक्त किसान मोर्चा ने उस घटना की साजिश की परतें उधेड़ते हुए कहा है कि इस घटना के पीछे सुनियोजित षड़यंत्र था जिसे बाहुबली अजय मिश्र टैनी ने अपने बेटे आशीष मिश्र के साथ मिलकर रचा। देश भर में इस कुकृत्य के ख़िलाफ़ विरोध -प्रदर्शन हुआ, शहीद किसानों के अंतिम संस्कार के दौरान किसान नेताओं के साथ सरकार का कुछ मांगों पर समझौता हुआ, लेकिन उन मांगों पर न तो केन्द्र सरकार ने और न ही राज्य सरकार ने कोई ध्यान दिया। किसान मोर्चा ने आगे सरकार की असंवेदनशीलता पर रोष जताते हुए कहा है कि आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर लखीमपुर महापड़ाव में भी इन मांगों को दोहराया गया, तब जिला प्रशासन ने अगस्त के अंत तक राज्य सरकार से बैठक कराने का वादा भी किया, लेकिन आज तक मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार को या उस समझौते में शामिल अधिकारियों को किसान नेताओं के साथ मीटिंग करने की फुर्सत नहीं मिली।

संयुक्त किसान मोर्चा ने 3 अक्टूबर को काली पट्टी बांधकर केंद्र सरकार का पुतला फूंकने के कार्यक्रम की घोषणा करते हुये प्रधानमंत्री से कहा है कि लखीमपुर के उन पांच किसानों की सुनियोजित हत्या को एक साल हो गया है, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला।  मजबूरन आज देश भर में किसान और इस घटना से आहत अन्य तमाम वर्गों के न्यायपसंद लोग काली पट्टी बांधकर, शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट करते हुए, केन्द्र सरकार का पुतला फूंकते हुए आपकी सरकार के किसानों के प्रति इस शत्रुतापूर्ण रवैये के विरोध में अपना रोष जाहिर कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री के नाम सौंपे गये ज्ञापन के दूसरे हिस्से में लखीमपुर के शहीद किसानों के लिए न्याय की मांग दोहराते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी मांगों को बिंदुवार विस्तार पूर्वक रखा गया है। जोकि क्रमवार इस तरह से है- 

1.लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टैनी को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त किया जाए और उसको तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा  जाए। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि 3 अक्टूबर की घटना के संबंध में हमने जो शिकायत, एफआईआर संख्या 219/21 दर्ज कराई थी, उसके विभिन्न पहलुओं पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। अजय मिश्र टैनी ही वे दोषी है जिनके आपत्तिजनक बयान की वजह से किसानों ने 3 अक्टूबर को तिकोनिया में विरोध दर्ज किया था। उन्होंनें ही 25 सितंबर 2021 में एक सभा में खुले मंच से एक धर्म विशेष के किसानों को लखीमपुर खीरी से खदेड़कर कर बाहर करने की धमकी दी थी, जो पूरी तरह असंवैधानिक जुर्म था। एसआईटी की जांच के निष्कर्षों में भी 120 बी  यानी हत्या का सुनियोजित षड़यंत्र किए जाने की बात स्वीकार की है। इसके बावजूद आपकी सरकार द्वारा अजय मिश्र टैनी को बचाने के प्रयास जारी है, और सबसे ज्यादा शर्मनाक उनका आज तक केन्द्रीय मंत्री बने रहना है। इतना ही नहीं अजय मिश्र टैनी की किसानों के प्रति अपमानजनक और शत्रुतापूर्ण बयानवाजी आज भी जारी है। आपसे आग्रह है कि अजय मिश्र टैनी को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करते हुए लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता के दोष में जेल भेजें। 

2.जेल में बंद किसानों की तत्काल रिहाई और फर्जी केसों की वापसी 4अक्टूबर, 2022 को हमारे शहीद हुए 5 साथियों के अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस कमिश्नर लखनऊ निरंजन कुमार, वरिष्ठ आई जी पुलिस लक्ष्मी सिंह, तत्कालीन डी एम,  एस.  एस. पी.  से हमारे नेताओं की जो बातचीत हुई थी कि हमलावरों की ओर से किसानों के ख़िलाफ़ लगाए जा रहे हत्या के आरोपों के संदर्भ में पुलिस प्रशासन इसे घटना को गंभीर व एकाएक उकसावे से पैदा हुई कार्रवाई समझकर किसानों को गिरफ्तार नहीं करेगी और जिन किसानों का नाम हमलावरों ने हत्या करने में लिखवाया है, उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाकर उन्हें तुरंत ज़मानत दे देगी। आश्वासनों के विपरीत हमारे चार साथियों को धारा 302 आईपीसी के तहत आज तक जेल में डाला हुआ है और इन्हें जमानत न मिल सके, इसके लिए सरकारी वकील लगातार कोर्ट में पैरवी करते हैं। हम आपसे एकबार फिर कहना चाहते हैं कि अपनी जान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। किसी कारण से आपकी सरकार इसको मान्यता देने को तैयार नहीं है और किसानों को भयभीत करने की मंशा से उन पर यह दमन कर रही है। हमारा आपसे आग्रह है इन चार साथियों के ऊपर लगाए गएआरोपों की सही विवेचना कर उन्हें शीघ्र जमानत दिलाने और दोषमुक्त करें। 

 3.शहीद किसानों और घायलों के परिवारों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी का वायदा पूरा करो। तीसरे बिंदु में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सरकार के प्रतिनिधि अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार प्रत्येक शहीद हुए साथी के परिजनों को 45 लाख रूपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी और सभी घायलों को 10 लाख रूपये का मुआवजा देगी। बड़े खेद का विषय है कि सरकार ने केवल 5 शहीद हुए साथियों के परिवारों को 45 लाख रूपये मुआवजा दिया है। बाक़ी सभी आश्वासनों को पूरा करने में आपकी सरकार लगातार मुकर रही है। राज्य सरकार ने इस घटना में घायल हुए 13 साथियों को अभी तक कोई मुआवजा  नहीं दिया और न ही शहीद हुए 5 किसान साथियों के परिवार में किसी को सरकारी नौकरी दी। ज्ञापन के आखिर में संयुक्त किसान मोर्चा ने इस घटना से संबंधित गवाहों पर हुए जानलेवा हमले, पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फ़र्जी मुक़दमें थोपने और डराने धमकाने की साजिशों का जिक्र करते हुए आग्रह किया है कि इस घटना के सभी गवाहों और पैरवी कर रहे किसान नेताओं की मजबूती से सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है जो की जानी चाहिए, ताकि शहीद किसानों को न्याय मिल सके। 

(सुशील मानव जनचौक में विशेष संवाददाता हैं।)

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