नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक पत्रकार के सवाल पूछने पर इतना खफा हुई कि अखबार के मालिक से शिकायत करने की धमकी देने लगीं। मंत्री की त्यौरियां टेड़ी होते देख दैनिक भास्कर ने उक्त पत्रकार से किनारा कर लिया। लेकिन किसी मंत्री, सांसद या नौकरशाह से सवाल पूछने के लिए पत्रकार होना जरूरी नहीं है। देश का कोई भी नागरिक प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री और निगम पार्षद तक से सवाल पूछ सकता है।
सोशल मीडिया पर स्मृति ईरानी के पत्रकार को धमकी देने का वीडियो वायरल हो रहा है। हर कोई ‘रिपोर्टर’ द्वारा पूछे गए प्रश्न को जानने के लिए उत्सुक था। वीडियो वायरल होने के बाद ट्विटर पर बहस छिड़ गई। कई लोगों ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस समेत कई पत्रकारों ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
कांग्रेस ने ट्वीट किया- “स्मृति ईरानी जी पत्रकार को धमका रही हैं। मालिक को फोन करके नौकरी खाने का विचार है। लगता है पत्रकार ने पूछ लिया होगा- 13 रुपए में चीनी कब मिलेगी? या गैस सिलेंडर के दाम कम कब होंगे? या बेटियों के साथ हुए अत्याचार पर चुप क्यों हैं? जवाब देते न बना तो धमकी पर उतर आईं। स्मृति ईरानी जी क्योंकि आप समझना चाह रही थीं- यह मोहब्बत नहीं है।”
वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने ट्वीट किया- “दैनिक भास्कर के एक रिपोर्टर के किसी सवाल से मैडम इतना बौखला गईं कि उसे धमकी देने लगीं। अख़बार के मालिक को फ़ोन करने की चेतावनी देने लगीं। पैंतरा ये देने लगीं कि मेरे क्षेत्र की जनता का अपमान मत करिए। सवाल पूछना क्षेत्र की जनता का अपमान कब से हो गया मैडम? अमेठी के एक अदने से रिपोर्टर को आप उसके मालिक का नाम लेकर धौंस दिखा रही हैं….इतना ग़ुस्सा क्यों हैं मैडम जी?”
वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने ट्वीट किया कि “पुरानी आदत है स्मृति ईरानी की। एक बार इनका इंटरव्यू किया था मैंने। तब चैनल के मालिकों तक पहुंच गईं थी स्मृति ईरानी शिकायत लेकर। शिकायत ये के अभिसार मेरे सवालों के जवाब पर कुछ जगह मुस्करा रहा था। सबसे असुरक्षित सांसद और मंत्री हैं इस सरकार की! इस वीडियो ने पुष्टि की है इसकी।”
उत्कर्ष सिंह ने ट्वीट किया-“मैं दैनिक भास्कर का संपादक होता तो आज ही इस रिपोर्टर का प्रमोशन कर देता। सवाल पूछने पर भड़कीं स्मृति ईरानी की तमाम धमकियों को रिपोर्टर ने बड़ी शालीनता से हैंडल किया।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों को सवाल पसंद नहीं है। सवाल चाहे विपक्ष करे या जनता या पत्रकार, उनसे किए गए सवाल गुस्ताखी की श्रेणी में आते हैं। तभी तो अमेठी से सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक पत्रकार के सवाल पूछने पर इतना नाराज हुईं कि अखबार के मालिक से शिकायत करने की धमकी देने लगीं। और आइंदा सवाल न पूछने की नसीहत दे डाली। स्मृति ईरानी ने पत्रकार के सवाल पूछने को उनके क्षेत्र की जनता का अपमान बताया।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें उन्हें एक रिपोर्टर को उनके निर्वाचन क्षेत्र अमेठी के लोगों का ‘अपमान’ करने के खिलाफ ‘चेतावनी’ देते देखा जा सकता है।
कार में बैठते समय हाथ में कुल्हड़ चाय लिए स्मृति ईरानी मुस्कुराती हैं और एक रिपोर्टर से कहती हैं, “मेरे निर्वाचन क्षेत्र का अपमान मत करो। सलोन सीट मेरे निर्वाचन क्षेत्र अमेठी का हिस्सा है। मुझे पता है कि मैं कौन हूं (जब आदमी कहता है कि वह ‘मुखर सांसद और राजनीतिज्ञ’ है)। मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का अपमान मत करो। और मैं उस रिपोर्टर से क्यों बात करूं जो मेरे निर्वाचन क्षेत्र का अपमान करता है?”
फिर रिपोर्टर कहता है कि चूंकि केंद्रीय मंत्री “पहली बार ऐसा कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने सवाल पूछा।” इस बातचीत में यह नहीं समझ में आ रहा है कि रिपोर्टर ने क्या सवाल पूछा है? बातचीत के पृष्ठभूमि का विवरण नहीं मिल सका। लेकिन ईरानी ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दिए जा रही हैं।
वह कहती है कि “यदि आप मेरे निर्वाचन क्षेत्र का अपमान करते हैं, तो मैं आपके प्रकाशन के मालिक को फोन करूँगी और शिकायत करुंगी। एक पत्रकार को किसी निर्वाचन क्षेत्र का अपमान करने का अधिकार नहीं है। भैया, आगे से मेरे क्षेत्र का अपमान नहीं करोगे, बहुत प्यार से अनुरोध कर रही हूं, फिर जनता जवाब देगी। केंद्रीय मंत्री ने ‘स्मृति ईरानी दीदी जिंदाबाद’ के नारों के बीच चेतावनी दी और अपनी कार का दरवाजा बंद कर दिया।
इस वायरल वीडियो को कांग्रेस पार्टी द्वारा साझा किया गया। लेकिन इस खबर के बीच का सबसे दुखद पहलू यह है कि जिस अखबार या प्रकाशन से वह रिपोर्टर जुड़ा है, उसने कहा कि इस नाम को कोई रिपोर्टर उनके संस्था से नहीं जुड़ा है। बताया जा रहा है कि रिपोर्टर का नाम विपिन यादव है।
मीडिया आउटलेट ने कहा कि अमेठी में उनका कोई स्थायी रिपोर्टर नहीं है और इस क्षेत्र में स्ट्रिंगर्स के अपने नेटवर्क के माध्यम से रिपोर्ट प्रकाशित करता है, और विपिन नाम का कोई भी व्यक्ति इसका हिस्सा नहीं है।
(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)
लोकंत्र नहीं तानाशाही पसंद है आरएसएस। इसलिए सवालों से डर लगता है। बस, सुनते जाएं एजेंडा। अध्ययन ने सवाल कर लिया तो जवाब की जगह धमकी से काम।