महाकुंभ 2025: आस्था के संग हादसों की स्याह परछाई, अब तक चार बड़े हादसे, प्रशासन की तैयारियों पर उठे सवाल

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प्रयागराज। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 अपनी भव्यता के साथ-साथ लगातार हो रहे हादसों की वजह से भी सुर्खियों में बना हुआ है। महज 16 दिनों में चार बड़े हादसे हो चुके हैं, जिनमें सैकड़ों टेंट जलकर खाक हो गए, भगदड़ में 30 से ज्यादा श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके, कई लोग गंभीर रूप से झुलस चुके हैं, और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

आस्था के इस महापर्व में दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु संगम की पावन धारा में स्नान करने पहुंच रहे हैं, लेकिन इन हादसों ने मेले की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है।

19 जनवरी पहला हादसा, तमाम टेंट जले

महाकुंभ की तैयारियों के बीच पहला बड़ा हादसा 19 जनवरी को हुआ, जब सेक्टर 19 में एक गैस सिलेंडर के ब्लास्ट से आग लग गई। आग इतनी तेजी से फैली कि देखते ही देखते तमाम टेंट जलकर खाक हो गए।

सुबह 8:30 बजे एक टेंट में नाश्ता बनाने के दौरान गैस सिलेंडर में अचानक लीकेज हुआ। चिंगारी से आग भड़की और कुछ ही मिनटों में कई टेंट चपेट में आ गए। आग से मची अफरा-तफरी में श्रद्धालुओं ने भागकर अपनी जान बचाई। दमकल विभाग की टीम ने काफी मुश्किल के बाद काबू पाया, लेकिन तब तक कई टेंट खाक हो चुके थे।

इस हादसे में कोई हताहत तो नहीं हुआ, लेकिन सैकड़ों श्रद्धालुओं का सामान जलकर राख हो गया। प्रशासन ने टेंट लगाने वाली एजेंसी पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया।

दूसरा हादसा: 29 जनवरी – भगदड़ में 30 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत

सबसे दर्दनाक हादसा 29 जनवरी को हुआ, जब तीन अलग-अलग स्थानों पर भगदड़ मच गई। लाखों की भीड़ और अव्यवस्थित प्रशासन की वजह से 30 से ज्यादा श्रद्धालु कुचलकर जान गंवा बैठे, जबकि 100 से ज्यादा घायल हो गए।

रात दो बजे सेक्टर 14 में अधिक भीड़ होने की वजह से बैरिकेड्स टूट गए। अचानक हुए धक्का-मुक्की से लोग नीचे गिरने लगे और भगदड़ मच गई। संगम नोज के पास हलचल हुई और कई श्रद्धालु कुचल गए। सेक्टर 10 के मुख्य प्रवेश द्वार पर अव्यवस्था के कारण पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दी, जिससे भीड़ और बेकाबू हो गई।

हादसे के बाद घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। प्रशासन ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की, लेकिन इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी भीड़ नियंत्रण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

तीसरा हादसा: 30 जनवरी – छतनाग घाट पर भीषण आग

भगदड़ के ठीक अगले दिन 30 जनवरी को छतनाग घाट पर भीषण आग लग गई, जिसमें कई दुकानें और अस्थायी शिविर जलकर राख हो गए।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, एक बिजली के तार में शॉर्ट सर्किट हुआ। चिंगारी से आग लगी और आसपास के टेंट्स में फैल गई। हादसे में 18 से ज्यादा टेंट जल गए, कई दुकानें खाक हो गईं। दमकल की 5 गाड़ियां पहुंची और डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझाई जा सकी।

इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए कि इतनी बड़ी दुर्घटनाओं के बावजूद बिजली और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए।

चौथा हादसा: 4 फरवरी – हॉट एयर बैलून हादसा, 6 श्रद्धालु झुलसे

अभी आग की तपिश ठंडी भी नहीं हुई थी कि 4 फरवरी को सेक्टर 20 में हॉट एयर बैलून हादसे ने प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया।

दोपहर 3:15 बजे श्रद्धालुओं से भरा हॉट एयर बैलून हवा में उठा। कुछ ही सेकंड बाद तेज धमाके के साथ बैलून फट गया। बास्केट में बैठे 6 श्रद्धालु गंभीर रूप से झुलस गए और जलते हुए नीचे गिर पड़े। घायलों को तुरंत एसआरएन अस्पताल पहुंचाया गया, जहां 4 की हालत नाजुक बताई जा रही है।

पांचवां हादसा, 7 फरवरी महाकुंभ में अगलगी की ताज़ा घटना

प्रयागराज में 7 फरवरी शुक्रवार सुबह सेक्टर 18 स्थित अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के शिविर के पास भीषण आग लग गई। आग करीब सुबह 11 बजे शिविर के किचन से शुरू हुई और तेज हवा के कारण पूरे शिविर में फैल गई। देखते ही देखते आश्रम के वीआईपी टेंट सिटी में आग की ऊंची लपटें उठने लगीं। आग की भयावहता को देखते हुए लोग चीख-पुकार करते हुए शिविर से बाहर भागने लगे।

सूचना मिलते ही दमकल विभाग की कई गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं और काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। प्रशासन ने राहत की सांस ली कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। हालांकि, 20 से 22 टेंट जलकर खाक हो गए।

इसी दिन एक और आग लगने की घटना सामने आई, जब ओल्ड जीटी रोड स्थित महाकुंभ नगर में स्वामी हरिहरानंद और सुखदेवानंद के शिविर में भीषण आग लग गई। इस घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की एक दर्जन गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और तुरंत आग पर काबू पा लिया। दोनों घटनाओं के बाद प्रशासनिक अमला सतर्क हो गया है और पूरे क्षेत्र में सुरक्षा उपायों को और कड़ा किया जा रहा है।

चीफ फायर ऑफिसर प्रमोद शर्मा के अनुसार, आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी, जिसने देखते ही देखते टेंट्स को अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि, दमकलकर्मियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आग को फैलने से रोक दिया। घटना की जानकारी मिलते ही उत्तरी झूंसी के जोनल पुलिस ऑफिसर, एडिशनल एसपी सर्वेश कुमार मिश्रा, स्थानीय पुलिस और मेला मजिस्ट्रेट भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और आग लगने के ठीक कारणों की जांच शुरू कर दी।

प्रशासन की तैयारियों पर उठ रहे सवाल

महाकुंभ 2025 में अब तक पांच बड़े हादसे हो चुके हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि इतने भारी बजट और तैयारियों के बावजूद सुरक्षा इंतजाम क्यों नाकाफी साबित हो रहे हैं?

मेले में 50 फायर स्टेशन, 20 फायर पोस्ट और 4,300 फायर हाइड्रेंट तैनात हैं। सुरक्षा पर 131.48 करोड़ का बजट, जिसमें अग्निशमन वाहन और आधुनिक उपकरण शामिल। प्रत्येक अखाड़े के टेंट्स को फायर फाइटिंग इक्विपमेंट्स से लैस करने का दावा। लेकिन हकीकत ये है कि हादसे एक के बाद एक होते जा रहे हैं और प्रशासन घटना के बाद ही हरकत में आता है।

351 से अधिक अग्निशमन वाहन और 2,000 से अधिक प्रशिक्षित कर्मियों को मेले में तैनात किया गया है। इसके अलावा, प्रत्येक अखाड़े के टेंट्स में फायर फाइटिंग इक्विपमेंट्स भी लगाए गए हैं ताकि किसी भी हादसे को तुरंत रोका जा सके।

प्रशासन ने श्रद्धालुओं और शिविर प्रबंधकों से अपील की है कि वे सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन करें। किसी भी आपात स्थिति में तुरंत अधिकारियों को सूचित करने और फायर ब्रिगेड की मदद लेने का निर्देश दिया गया है।

लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बावजूद श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ डटे हुए हैं। लाखों की संख्या में लोग संगम में डुबकी लगाने आ रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रशासन आने वाले दिनों में हादसों पर लगाम लगाने में सफल होगा?

तीर्थयात्रियों के मुताबिक महाकुंभ 2025 सिर्फ आस्था का पर्व रहेगा या फिर इन हादसों की छाया इस पवित्र आयोजन को बदनाम करती रहेगी? प्रशासन को अब सिर्फ दावे नहीं, बल्कि ठोस सुरक्षा उपायों पर ध्यान देना होगा, वरना ये हादसे और बढ़ सकते हैं।

मुख्य मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने कहा कि “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। जो भी इस हादसे के लिए जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

महाकुंभ में बढ़ती अव्यवस्थाएं: न्यायपालिका की कार्यवाही भी प्रभावित

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में उत्पन्न भीषण यातायात जाम न केवल आम नागरिकों बल्कि न्यायपालिका की कार्यवाही को भी प्रभावित कर रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में 6 फरवरी 2025 को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि “न्यायालय के समय में अधिवक्ताओं की आवाजाही में किसी भी तरह की बाधा न्याय वितरण में बाधा डालती है।”

यह टिप्पणी हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केस नंबर WRIT – B नंबर – 29/2025 की सुनवाई के दौरान की। यह मामला हरखू और दो अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार और आठ अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ दायर किया गया था।

मामले की सुनवाई के दौरान, यह देखा गया कि तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ के कारण शहर में गंभीर यातायात अव्यवस्था उत्पन्न हो गई है, जिसके चलते अधिवक्ताओं को समय पर न्यायालय पहुंचने में कठिनाई हो रही है। इसी कारण, यह मामला पहले दो बार स्थगित किया जा चुका था और तीसरी बार भी कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाई।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रशांत गौर और सौरभ कुमार पांडे ने पक्ष रखा, जबकि प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व सी.एस.सी., आर.के. परमहंस सिंह और रामेश्वर प्रसाद शुक्ला ने किया।

न्यायालय की कड़ी टिप्पणी और पुलिस प्रशासन को निर्देश

न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर ने इस अव्यवस्था को “असामान्य स्थिति” करार देते हुए पुलिस प्रशासन को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि “यह एक हाईकोर्ट है, जहां आकस्मिकताओं के कारण न्याय के कामकाज को रोका नहीं जा सकता है।”

हाईकोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया कि:

  1. यातायात प्रबंधन में सुधार किया जाए, ताकि अधिवक्ता बिना किसी बाधा के अदालत तक पहुंच सकें।
  2. महाकुंभ के दौरान न्यायिक कार्यवाही प्रभावित न हो, इसके लिए विशेष उपाय लागू किए जाएं।
  3. रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आदेश दिया गया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रयागराज के माध्यम से यह निर्देश पुलिस आयुक्त को संप्रेषित करें।

इन घटनाओं ने महाकुंभ में प्रशासनिक विफलता को उजागर किया है। अब अदालत की सख्ती के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वह यातायात व्यवस्था को सुधारकर न्यायिक कार्यवाही में बाधा डालने वाली स्थितियों को रोके।

मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी 2025 को सुबह 10:00 बजे निर्धारित की गई है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासन यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने में विफल रहता है, तो आगे और कड़े निर्देश जारी किए जा सकते हैं।

(प्रयागराज से आराधना पांडेय की रिपोर्ट)

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