Friday, March 29, 2024

महाराष्ट्र राजभवन होगा कैप्टन अमरिंदर सिंह का अगला ठिकाना                      

राज्यपाल होकर किसी प्रदेश के राजभवन में चले जाना भारत में राजनेताओं का आखिरी सियासी मुकाम होता है। इस फेहरिस्त में जो नया नाम जुड़ने जा रहा है, वह हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह का। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह को महाराष्ट्र का राज्यपाल किसी भी समय नियुक्त किया जा सकता है।

वहां के मौजूदा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पद मुक्त होने की इच्छा सार्वजनिक रूप से जाहिर की है। केंद्र की नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी चाहता है कि किसी ‘अनुभवी’ और बड़े कद के नेता को राज्यपाल बनाकर महाराष्ट्र भेजा जाए। कैप्टन अमरिंदर सिंह को महाराष्ट्र के बनते-बिगड़ते राजनीतिक समीकरणों में अहम भूमिका निभाने के लिए उपयुक्त पाया जा रहा है। भाजपा एक तीर से कई निशाने लगाना चाहती है।               

कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला रियासत के वंशज हैं और उनका प्रसिद्ध मोती महल भी पटियाला में ही है। वहां के कुछ सूत्र बताते हैं कि ‘महाराजा साहिब’ का कुछ जरूरी सामान पैक किया जा रहा है। इस सामान में अधिकांश किताबें हैं। गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को किताबें पढ़ने का बहुत शौक है और वह खुद भी लिखते हैं। मोती महल की लाइब्रेरी में दुनिया भर की पुस्तकें हैं। कुछ और चीजें भी पैक की जा रही हैं। किसलिए? इसका जवाब कोई नहीं देता। 

खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनकी सांसद पत्नी परनीत कौर इस सब पर जानकारी देने के लिए उपलब्ध नहीं हैं। उनका बेटा और राजनीति में काफी सक्रिय उनकी बेटी जयइंदर कौर भी। पहले कैप्टन से संबंधित मामलों की पुष्टि उनकी किचन कैबिनेट के कुछ सदस्य किया करते थे लेकिन वे सब धीरे-धीरे गायब हो गए हैं। जब से भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार पंजाब में सत्ता में आई है, तब से कैप्टन की सलाहकार मंडली तितर-बितर है। कोई विदेश चला गया है तो कोई देश में ही लापता है।       

इस बात की सरगोशियां कई महीनों से थीं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को किसी राज्य का गवर्नर बनाया जा सकता है लेकिन कैप्टन की मंशा थी कि वह किसी बड़े राज्य में इस पद पर जाना चाहेंगे। इस बाबत महाराष्ट्र उनके अनुकूल है। भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है। इस पर फिलवक्त भाजपा में भी खामोशी है कि वह जिम्मेदारी कौन-सी है?                                                   

यह भी कुछ महीने पहले साफ हो गया था कि अब कैप्टन और उनकी पत्नी शायद ही कोई चुनाव लड़ें। अलबत्ता अपनी बेटी और बेटे को वे जरूर राजनीति में सक्रिय तौर पर लाना चाहते हैं। बेटी जय इंदरकौर तो पूरी तरह सक्रिय है ही। वह भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में भी हैं। बेटे रणइंदर सिंह को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुद पटियाला आकर कर पार्टी में शामिल करना था। शाह और नड्डा को पहले जनवरी के आखिरी हफ्ते पटियाला आना था और अब यह कार्यक्रम फरवरी के पहले हफ्ते का है।                          

फिलहाल परनीत कौर पटियाला संसदीय सीट से कांग्रेसी सांसद हैं। कांग्रेस अब उन्हें ‘अपना’ नहीं मानती और परनीत कौर, जिन्हें उनके समर्थक ‘रानी साहिबां’ कहकर संबोधित करते हैं, ने अमित शाह के पटियाला दौरे के दौरान संसदीय सीट से इस्तीफा देना है। तय बताया जाता है कि उसी दिन शाह और नड्डा घोषणा करेंगे कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की बेटी पटियाला से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगीं।                                             

लगभग डेढ़ साल पहले तक कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के सर्वशक्तिमान व कद्दावर कांग्रेसी नेता थे। कांग्रेस आलाकमान की खुली आलोचना के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर कांग्रेस ने तब पंजाब में चुनाव जीता था और वह सीएम की कुर्सी पर बैठे थे। साढ़े चार साल बाद उन्हें हटाकर, दलित कार्ड खेलते हुए पार्टी ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। कैप्टन ने इसे अपना अपमान तो समझा लेकिन दिल्ली दरबार में कोई गुहार नहीं लगाई। वह खामोश भी रहे लेकिन सामान्य नहीं। वजह थी कि वह अपना अगला रास्ता बहुत पहले-बहुचर्चित किसान आंदोलन के दौरान चुन चुके थे। उन्होंने दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों और भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थता करने की भी कोशिश की। कांग्रेस को उनका यह रुख बर्दाश्त नहीं हुआ। खासतौर से राहुल गांधी को। 

राहुल गांधी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जेहनी नफरत करते हैं, यह किसी से छिपा नहीं। किसान आंदोलन के वक्त कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से कुछ ज्यादा ही मिलने लगे थे। एक बार तो कैप्टन ने यहां तक कह दिया था कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह से उनके मधुर संबंध हैं और दोनों नेता पंजाब हितैषी हैं। उनके इस कथन को भी कांग्रेस में बहुत बुरा माना गया।

कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री थे तो पंजाब कांग्रेस की कई धड़े उनके खिलाफ खड़े हो गए। इनकी तादाद बढ़ती ही गई। कैप्टन के खिलाफ पहली खुली बगावत नवजोत सिंह सिद्धू ने की थी जिन्हें उन्होंने अहम महकमा सौंपते हुए अपनी वजारत में रखा था। कई मसलों पर दोनों में ठन गई और नवजोत सिंह सिद्धू मंत्रिपरिषद् से अलविदा होकर कोप भवन में चले गए। अन्य गुट काम करते रहे लेकिन कैप्टन को कोई हिला नहीं पाया। वह अपनी मस्त चाल के साथ पंजाब को चलाते गए।

यह दीगर चर्चा का विषय है कि इससे पंजाब को कितना ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। अपने कार्यकाल में रहे आम लोगों से तो क्या अपने मंत्रियों और विधायकों तक से कई-कई दिन नहीं मिलते थे। तत्कालीन पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ को भी लंबा इंतजार करना पड़ता था और इन सब का दर्द कई बार जुबां पर आया भी लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह बेपरवाह रहे। आखिरकार आलाकमान ने उन्हें हटा दिया और वह बड़े आराम से हट भी गए।                                           

मंझे हुए सियासतदान कैप्टन अमरिंदर सिंह बखूबी जानते थे कि उनके कार्यकाल की नाकामियों का ठीकरा नए मुख्यमंत्री के सिर फूटेगा। ऐसा हुआ भी। चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री तो बने लेकिन उनके सिर पर कांटों का ताज था। पंजाब में कांग्रेस की करारी हार हुई।                                            

इस बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने कुछ खास समर्थकों के साथ मिलकर एक नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) बना ली और भाजपा के साथ गठजोड़ कर लिया। आनन-फानन में बनी पीएलसी एक भी सीट नहीं जीत पाई। खुद कैप्टन को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। तब कैप्टन ही क्यों बल्कि आम आदमी पार्टी की आंधी में बड़े-बड़े सियासी पेड़ गिर गए।   

उनके कभी समर्थक और कभी विरोधी रहे ‘बीच के नेता’ सुनील कुमार जाखड़ ने भाजपा को अपना नया सियासी ठिकाना बना लिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी वही कदम उठाया। अपनी पंजाब लोक कांग्रेस को पूरी तरह भाजपा के साथ नत्थी करते हुए कमल का फूल हाथों में पकड़ लिया। उनकी पत्नी सांसद परनीत कौर जरूर औपचारिक तौर पर कांग्रेस का अंग बनी रहीं लेकिन पार्टी घोषित रूप से उन्हें पराया मानती है। 

कांग्रेस के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग कहते हैं, “कैप्टन और परनीत कौर ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है। परनीत कौर तो उसी दिन भाजपाई हो गईं थीं, जिस दिन कैप्टन भाजपा का हिस्सा हो गए। कांग्रेस का नीतिगत तौर पर सांसद परनीत कौर से कोई वास्ता नहीं है।” कुछ साल पहले जब ईडी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह, उनकी पत्नी, बेटी, दामाद और बेटे के खिलाफ फाइलें खोली थीं तो भाजपा के साथ ‘मधुर संबंधों’ की कवायद शुरू हुई थी। धीरे-धीरे वे फाइलें धूल चाटने लगीं और अब नतीजा सामने है।                                

कैप्टन अमरिंदर सिंह जब भाजपा में गए तो सुनील कुमार जाखड़ सरीखे उनके पुराने साथी नहीं चाहते थे कि भाजपा उन्हें इतनी तरजीह के साथ ले। शंका यह थी कि पंजाब भाजपा में कैप्टन का खुला हस्तक्षेप होगा और इससे नए-पुराने भाजपा नेता असहज होंगे। भाजपा को पंजाब से सिख चेहरे चाहिए थे और आज भी चाहिए। इसी नीति के तहत उन्हें पार्टी में लिया गया लेकिन अब उन्हें पंजाब से दूर करने का रास्ता भी निकाल लिया गया है।             

लगभग तय है कि किसी भी वक्त कैप्टन मुंबई के लिए उड़ सकते हैं और पंजाब में परनीत कौर तथा उनके बच्चे राजनीति करेंगे जो अपेक्षाकृत किसी के लिए भी दिक्कत का सबब नहीं बनेंगे। ऐसा राज्य के कई भाजपा नेता भी दबी जुबान में कह रहे हैं। भाजपा एक तरफ महाराष्ट्र में कैप्टन के ‘अनुभवों’ का फायदा लेगी और दूसरी तरफ ‘मिशन पंजाब’ के तहत जमकर प्रचारित करेगी कि एक कद्दावर सिख राजनेता का सम्मान करते हुए उन्हें एक अति महत्वपूर्ण राज्य का राज्यपाल बनाया गया है। इस तरह एक तीर से कई निशाने होंगे।                                        

प्रसंगवश, पंजाब में भाजपा का ‘कांग्रेसीकरण’ हो रहा है। राहुल गांधी ने तो भारत जोड़ो यात्रा के पंजाब पड़ाव के दौरान खुलेआम कहा था कि कांग्रेस के नेताओं को केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में भाजपा काबू कर रही है। वैसे, भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक दलबदल का सिलसिला कांग्रेस तक सीमित नहीं रहेगा।

आने वाले कुछ दिनों में शिरोमणि अकाली दल और यहां तक कि आम आदमी पार्टी के कुछ नंबर चेहरे भी भाजपा के पोस्टर पर हो सकते हैं। सबके लिए थैलियां और वादों के पिटारे तैयार हैं। सभी को इंतजार है तो माकूल वक्त का! फिलहाल तो पंजाब से देखा जा रहा है कि कब ‘महाराजा साहिब’ राज्यपाल कैप्टन अमरिंदर सिंह कहलाएंगे!

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं पंजाब में रहते हैं)

जनचौक से जुड़े

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles