भाकपा माओवादी संगठन ने अपने केंद्रीय कमेटी सदस्य का. प्रशांत बोस तथा पत्नी एवं पार्टी की केंद्रीय कमेटी सदस्या शीला मरांडी की गिरफ्तारी व जेल यातनाओं के विरुद्ध में 21 से लेकर 26 जनवरी तक प्रतिरोध दिवस तथा 27 जनवरी को 24 घंटे के लिए झारखण्ड बिहार बंद का आह्वान किया है। यह आह्वान भाकपा माओवादी की बिहार झारखण्ड स्पेशल एरिया कमेटी की ओर से किया गया है।
इस बाबत बिहार झारखण्ड स्पेशल एरिया कमेटी द्वारा कहा गया है कि प्रशांत बोस तथा शीला मरांडी दोनों जीवन साथी हैं। दोनों कई बीमारियों से पीड़ित हैं। लेकिन इन लोगों की गिरफ्तारी के दो माह बाद तक सरकार की ओर से उन्हें कोई बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी है। जिसके विरोध में 21 जनवरी से 26 जनवरी तक प्रतिरोध दिवस और 27 जनवरी को एक दिवसीय बिहार झारखंड बंद का ऐलान किया गया है।
भाकपा माओवादी केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो सदस्य तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो सचिव 77 वर्षीय प्रशांत बोस तथा उनकी पत्नी केंद्रीय कमेटी सदस्या 65 वर्षीय शीला मरांडी की गिरफ्तारी चांडिल स्थित टोल प्लाजा से की गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत बोस तथा शीला मरांडी लकवा, शुगर, गठिया वात, पीठ दर्द से ग्रसित हैं। इतना ही नहीं वो बगैर सहारे के उठ भी नहीं पाते हैं न ही बैठ पाते हैं और न ही चल पाते हैं।
भाकपा माओवादी की ओर से घोषित प्रतिरोध दिवस के तीसरे व आज चौथे दिन किसी घटना की सूचना नहीं है, जबकि प्रतिरोध दिवस के पहले ही दिन 21 जनवरी की रात को झारखंड गिरिडीह जिला अंतर्गत मधुबन थाना क्षेत्र में दो मोबाइल टावरों को विस्फोट कर उड़ा दिया गया था। दूसरे दिन 22 जनवरी की रात दस्ते के सदस्यों ने गिरिडीह जिले के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के सिंदवरिया पंचायत के बरागढ़हा बराकर नदी पर स्थित पुल पर ब्लास्ट कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया था। इस तीसरी घटना को रात लगभग 2:30 बजे अंजाम दिया गया।
तीसरी घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस की टीमें मौके पर पहुंची। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। घटनास्थल से नक्सलियों के पर्चे बरामद किए गए हैं। इसमें नक्सली नेता प्रशांत बोस व शीला मरांडी की बिना शर्त रिहाई की मांग की गई है। इसके अलावा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ देने की मांग की गई है।
इससे पहले 21 जनवरी की देर रात को भाकपा माओवादी द्वारा खुखरा व मधुबन थाना क्षेत्र में दो मोबाइल टावर को विस्फोट कर उड़ा दिया गया था। इसके तहत मधुबन बाजार से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित आईडिया के टावर को निशाना बनाया गया, तो वहीं खुखरा स्थित जमुआ टांड सड़क के किनारे एयरटेल के टावर को नक्सलियों द्वारा उड़ा दिया गया। खुखरा के जमुआ टांड के एयरटेल टावर के आस पास रहने वाले ग्रामीण बताते हैं कि धमाका इतना शक्तिशाली था कि एक बार के लिए सब घबरा गए। रात्रि के 10 बजे के आस-पास हुए इस धमाके से पूरे खुखरा क्षेत्र के लोगों के बीच दहशत का माहौल है। वहीं मधुबन थाना क्षेत्र के मधुबन बाजार से जयनगर गांव जाने वाले मार्ग में नक्सलियों द्वारा रात के एक बजे आइडिया टावर को विस्फोट कर उड़ाया गया विस्फोट की आवाज बहुत दूर तक सुनाई दी थी।
विस्फोट के पश्चात नक्सलियों द्वारा पर्चा भी छोड़ा गया था, जिसमें प्रशांत बोस व शीला मरांडी को रिहा करने व राजनीतिक बन्दी का दर्जा देने की बात कही गई है।
प्रतिरोध दिवस के पहले दिन ही विस्फोट की घटना से पूरा पीरटांड़, मधुबन व खुखरा क्षेत्र दहशत में है। क्योंकि नक्सल उन्मूलन के नाम पर पुलिसिया दमन का भय भी आम आवाम की जेहन में एक बार फिर दिखाई पड़ने लगा है।
विस्फोट की घटना के बाद पूरे क्षेत्र में सीआरपीएफ व जिला प्रशासन नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त छापामारी अभियान चला रहा है। पारसनाथ क्षेत्र के तमाम थाना व पुलिस पिकेट को अलर्ट कर दिया गया है।
मधुबन पीरटांड़ व खुखरा क्षेत्र के टावर के विस्फोट के बाद क्षतिग्रस्त होने के चलते आइडिया व एयरटेल का नेटवर्क पूर्ण रूप से प्रभावित हो चुका है। एयरटेल व आइडिया के उभोक्ताओं को परेशानी हो रही है। आइडिया व एयरटेल के कर्मियों ने बताया कि इस विस्फोट से कंपनी का लाखों का नुकसान हुआ है।
कहना ना होगा कि पारसनाथ मधुबन क्षेत्र में प्रतिरोध दिवस के पहले दिन ही नक्सलियों ने एक बार फिर से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी है। अभी तो छह दिन बाकी है, इन बाकी के छह दिनों को पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। नक्सलियों को बैक फुट पर पहुंचाने की प्रशासन की मंशा को नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम देकर सोचने पर विवश कर दिया है। लिहाजा एक बार फिर पारसनाथ क्षेत्र में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी अपना वर्चस्व कायम करते दिख रहे हैं। अब देखना है कि प्रशासन इन बाकी के छह दिनों में नक्सलियों के तांडव पर अंकुश लगा पाने में कितना कामयाब होता है।
बता दें कि 21 जनवरी की रात लगभग 11:30 बजे माओवादी दस्ता सबसे पहले जमुनियाटांड के पास पहुंचा और विस्फोटक लगाकर टॉवर उड़ा दिया। इसके बाद रात डेढ़ बजे वे मधुबन पहुंचे और यहां भी मोबाइल टॉवर उड़ा दिया। घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस को रात में ही मिल गई। लेकिन घटनास्थल पर पुलिस दूसरे दिन 22 जनवरी को सुबह पहुंची। बताया जा रहा है कि जमुनियाटांड का इलाका पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है।
एसपी ग्रामीण रिश्मा रमेशन ने कहा है कि गिरिडीह में नक्सली कार्रवाई को देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है। सशस्त्र बल के साथ ही पेट्रोलिंग करने का निर्देश दिया गया है। कोई भी सूचना मिले तो उसकी पूरी जांच के बाद ही क्षेत्र में निकलने का निर्देश दिया गया है। माओवादियों के मंसूबे को सफल होने नहीं दिया जाएगा।
वहीं सीआरपीएफ से जुड़ीं विनिता कुमारी ने बताया कि सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध किया गया है।
पारसनाथ पहाड़ का तलहटी इलाका चाहे वह धनबाद जिले में हो या फिर गिरिडीह में माओवादियों का प्रभाव क्षेत्र है। माओवादियों पर इस इलाके में काबू पाना पुलिस एवं सीआरपीएफ के लिए आज भी चुनौती बना हुआ है। गिरिडीह जिले का पीरटांड़ एवं डुमरी प्रखंड माओवादियों का गढ़ है। इन दोनों प्रखंडों से सटे धनबाद जिले के मनियाडीह, तोपचांची, टुंडी, राजगंज एवं बरवा अड्डा थाना क्षेत्र में माओवादियों की सक्रियता है।
(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)