किसानों को मनाने में कामयाब रहे अधिकारी, एक सप्ताह में मांगों को हल करने का वादा, किसान अभी भी सड़कों पर

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नई दिल्ली/नोएडा। नोएडा और ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर दिनभर हंगामा चलता रहा। किसान दिल्ली कूच करना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने बड़ी मुस्तैदी से उन्हें बार्डर पर रोके रखा। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर नोएडा के किसान दिल्ली कूच किए थे।

दरअसल किसान सरकार से दो मांग कर रहे हैं। पहला, जो जमीन किसानों से अधिग्रहित की गई है, उसका 10 प्रतिशत डेवलप एरिया किसानों को दिया जाए। दूसरा, जो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में पास किया गया था, उसे नोएडा और आसपास के इलाकों में भी लागू किया जाए ताकि किसानों को ज्यादा मुआवजा मिले।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में काफी पहले जमीनों का अधिग्रहण हुआ था। नए भूमि अधिग्रहण कानून से किसानों को ज्यादा लाभ मिलता है। इसलिए अब किसान भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के अधिकारी दिनभर किसानों से बात करते रहे। और अंत में किसानों ने एक सप्ताह के लिए दिल्ली कूच को टाल दिया है। किसानों से बातचीत करने वाले अधिकारियों ने कहा कि इसी सप्ताह किसानों और मुख्य सचिव स्तर की वार्ता होगी।  

फिलहाल दिल्‍ली कूच के कार्यक्रम को किसानों ने कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है, लेकिन वे नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर ही प्रदर्शन करते रहेंगे। किसानों की तरफ से यह बताया जा रहा है कि प्राधिकरण ने आश्वासन दिया है और अभी 7 दिनों तक इंतजार किया जाएगा। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो फिर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

सोमवार को हजारों किसानों के पैदल मार्च से दिल्ली और ग्रेटर नोएडा के बीच एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक पूरी तरह बंद पड़ा हुआ था। किसानों की बातचीत 1 दिसंबर को अथॉरिटी के साथ विफल हुई, तो उन्होंने ऐलान किया कि 2 दिसंबर को वे अपनी बात केंद्र सरकार को सुनाने के लिए दिल्ली कूच करेंगे।

ठीक 12 बजे किसानों का जमावड़ा दिल्ली बॉर्डर से लगभग 4 किलोमीटर दूर महामाया फ्लाईओवर के पास लगना शुरू हो गया। देखते-देखते हजारों किसान इकट्ठे हो गए, जिनमें बड़ी तादाद में महिलाएं भी थीं। थोड़ी देर आपस में विचार-विमर्श करने के बाद सारे किसान दिल्ली की तरफ आगे बढ़ने लगे।

नोएडा में प्रदर्शन कर रहे किसानों के कारण लंबा जाम लग गया। अधिकारियों ने किसानों को मनाने की कोशिश की। प्रदर्शनकारी किसान, नोएडा के दलित प्रेरणा स्‍थल से आगे बढ़ गए थे।

इससे पहले किसानों और ग्रेटर नोएडा, नोएडा और यमुना प्राधिकरण के अफसरों के बीच चर्चा हुई। किसानों को आश्वासन मिला और वे एक हफ्ते के इंतजार पर तैयार हो गए हैं।  

पहलवान बजरंग पुनिया ने ट्वीट किया कि “सरकार किसानों की जमीन कौड़ियों के भाव खरीदकर उन्हें पूंजीपतियों को सौंप देना चाहती है। पूंजीपति इन जमीनों पर गगनचुंबी रिहायशी टावर बनाकर, फैक्ट्री लगाकर अरबों कमाएंगे। लेकिन किसान को उसकी जमीन का वाज़िब दाम मिल जाए ये कोई नहीं चाहता न सरकार ना कॉरपोरेट।

नोएडा गाजियाबाद के किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए है। नोएडा विकास प्राधिकरण और योगी सरकार किसानों की परीक्षा ना ले। अपने हक और तानाशाही के खिलाफ किसान इतिहास में भी लड़ा, आज लड़ रहा है और कल भी लड़ेगा। सरकार शायद भूल गई है कि हल हाथ में लेने वाले कभी हार नहीं मानते।

MSP का गारंटी कानून, फसलों के उचित दाम, जमीनों के वाजिब मूल्य बस इतनी सी मांग है, लेकिन जवाब में बैरिकेड, लाठीचार्ज, वादाखिलाफ़ी और नजरअंदाज करने की राजनीति। ये सिर्फ ट्रैक्टर का शोर नहीं, गांवों की हुंकार है। किसान ना झुका था, ना झुकेगा।”

(जनचौक की रिपोर्ट)

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