Saturday, April 27, 2024

यूपी में बिजलीकर्मियों की हड़ताल से चारों तरफ हाहाकार, तीन दिन से अंधेरा

योगीराज में अंधेरा, पानी के लिए हाहाकार  

टैगोर टाउन बिजली घर में हड़ताल का जायजा लेने गये इस रिपोर्ट के पत्रकार को वहां मौजूद भीड़ ने घेर लिया। पत्रकार ने जब पूछा कि क्या यहीं धरना प्रदर्शन हो रहा है। इस पर लाल शर्ट और काली कुर्ती जिस पर महाकाल लिखा था पहने एक युवक ने गुस्से में पूछा क्या तुम भी धरना देने वाले बिजलीकर्मी हो।

पत्रकार ने कहा नहीं वो भी पीड़ित जनता है। इस पर वहां मौजूद लोगों ने कहा –“सब यहां से भाग गये वर्ना आज उनमें से एक भी नहीं बचता सबको फोड़ देते।” वहां मौजूद व्यक्ति अपने परिचित बिजलीकर्मी को फोन कर रहा था वो कुछ कर सकता हो तो पॉवर हाउस आ जाये। 

गौरतलब है बिजलीकर्मी अपनी मांगों को लेकर 15 मार्च से कार्य बहिष्कार करने के बाद 16 मार्च रात 10 बजे से 72 घंटे के हड़ताल पर हैं। बिजलीकर्मियों और ऊर्जा मंत्री के बीच हुए समझौते को लागू करने की मांग पर अ़ड़े हुए हैं। इससे पहले मंगलवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के बीच बातचीत विफल हो गई थी।

समिति के संयोजक ए.के. सिंह ने बताया कि बिजली कर्मचारियों के कई दिनों तक चले जुझारू आंदोलन के बाद 3 दिसम्बर 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार से 14 सूत्रीय समझौता हुआ था, जिसे अब बेशर्मी दिखाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार लागू करने से इंकार कर रही है, जिससे मजबूर होकर बिजली कर्मचारी और बिजली संविदा कर्मचारी देश हित और जनता के हित में शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से हड़ताल करने को मजबूर हो गए है।

हड़ताल पर बिजलीकर्मी

प्रयागराज में उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में 14 मार्च को मेडिकल चौराहे से सिविल लाइन्स तक मशाल जुलूस निकाला गया। इसके बाद 15 मार्च को सुबह 10 बजे से कार्य बहिष्कार करके 16 मार्च रात 10 बजे से 57, जॉर्ज टॉउन पॉवर परिसर में हाउस में धरने पर बैठे हैं। उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारियों के जारी हड़ताल को आईआरईएफ ने समर्थन दिया।

राज्य स्तरीय हड़ताल का समर्थन करने के लिए इंडियन रेलवे इम्प्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. कमल उसरी पहुंचे और बिजली कर्मचारियों द्वारा आयोजित आम सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि योगी-मोदी सरकार बिजली, रेलवे, सेल, भेल, कोल, ऑर्डिनेंस कारखाने सहित सब कुछ बेचने पर उतारू हो गई है।

विद्युतकर्मियों की सभा को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा इलाहाबाद के महासचिव राजकुमार पथिक ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार बिजली विभाग का निजीकरण करने में कामयाब हो जायेगी, तो आम आदमी को बिजली मंहगी दर पर मिलेगी।

हड़ताल पर बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति

चारो तरफ हाहाकार

बाबा बिजली राखिए, बिनु बिजली सब सून। शहर से लेकर गांवों तक में यही मनोभाव है। इलाहाबाद के चौक, सिविललाइन्स, धूमनगंज, जॉर्जटाउन, दारागंज, अल्लापुर, कर्नलगंज सलोरी, बघाड़ा, तेलियरगंज, फाफामऊ, झूंसी आदि तमाम मोहल्लों में अंधेरा छाया हुआ है। केवल पानी की सप्लाई के लिए मुख्य मोहल्लों में कुछ देर के लिए बिजली आपूर्ति की जाती है लेकिन उतने में सब पानी नहीं भर पाते हैं। शहरों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है।

सलोरी, बघाड़ा, तेलियरगंज में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं भी चल रही हैं। इनवर्टर बैटरी डिस्चार्ज हो चुके हैं जिससे बोर्ड परीक्षा दे रहे छात्रों की तैयारी पर बुरा असर पड़ रहा है। बिजली कटौती से परेशान होकर सलोरी से अपने गांव लौट रहा एक प्रतियोगी छात्र बताता है कि 16 मार्च से ही बिजली नहीं है।

टंकी से पानी खत्म होने के बाद शौच आदि के लिए भी बहुत परेशानी हो रही है। सरकार के न मानने पर बिजलीकर्मियों का आंदोलन और लंबा हो सकता है इसी वजह से वो गांव लौट रहा है। गांव में हैंडपम्प आदि के चलते कम से कम पानी की किल्लत तो नहीं होगी।

अस्पतालों में बढ़ रहा संकट

बिजली व्यवस्था ठप्प होने से शहर के तमाम अस्पतालों में विशेषकर आईसीयू में भर्ती मरीजों को तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है। बिजली का संकट पैदा होने के चलते बिजली से चलने वाली तमाम मशीनों को सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए जेनरेटर का सहरा लिया जा रहा है जिसका चार्ज मरीज़ की जेब पर पड़ना तय है। वहीं हड़ताल के दौरान शुक्रवार को ट्रांसफॉर्मर में फॉल्ट होने के चलते मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय यानि कॉल्विन और तेज बहादुर सप्रू अस्पताल में बिजली आपूर्ति ठप्प हो गई।

पोथौलॉजी एक्सरे और ऑपरेशन थियेटर में काम बुरी तरह प्रभावित रहा। दूर दराज से जांच कराने आये सैकड़ों मरीजों को मायूस होकर लौटना पड़ा। कॉल्विन अस्पताल में तो ऑपरेशन और एक्सरे तक प्रभावित हुए। अंधेरे के चलते डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिये। एक्सरे, डिजिटल एक्सरे, अल्ट्रासाउंड केंद्र में मशीनों का संचालन ठप्प रहा। ऑपरेशन थियेटर में सीआर जैसी बड़ी मशीनें नहीं चल सकीं। बिजली की कम खपत वाली मशीनों से ऑपरेशन का संचालन हुआ।

तेज बहादुर सप्रू अस्पताल के जनसूचना अधिकारी राजेश कुमार सिंह के मुताबिक डीजल का इंतजाम करके रखा गया था ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके। लेकिन लगातार कई घंटे बिजली गुल रहने से स्थिति बिगड़ सकती है। ज्यादातर आईसीयू वार्ड में मरीजों को बड़ी मशीनों पर रखा गया है। यह सभी मशीनें बिजली पर निर्भर हैं। ऐसे में जेनरेटर पर ज्याद देर तक चल पाना मुश्किल है। वो बताते हैं कि एक्सरे के औसतन 70 मरीज प्रतिदिन आते हैं। और पैथोलॉजी के औसतन 200 मरीज आते हैं। शुक्रवार को इन सबको बिना जांच के ही लौटना पड़ा।

उप खण्ड अधिकारी कार्यालय

शहर से ग़ायब हो रहे ई-रिक्शा

तीन दिन से बिजली की आपूर्ति ठप्प होने के चलते शहरों में बैटरी रिक्शा दिन ब दिन कम होते जा रहे हैं। एक रिक्शाचालक दिनेश बताते हैं कि जब बिजली ही नहीं आ रही है तो रिक्शा कहां से चार्ज करें। अधिकांश रिक्शा पहले दिन के बाद ही खड़े हो गये थे। ऐसे में शहर की यातायात व्यवस्था अब डीजल-पेट्रोल से चलने वाली ऑटो चालकों पर निर्भर है।

कल 18 मार्च को वरिष्ठ साहित्यकार मार्कण्डेय जी की पुण्यतिथि पर इलाहाबाद म्युजियम के बृजमोहन व्यास सभागार में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान कई बार कहा गया कि बिजली आपूर्ति बंद होने के चलते जेनरेटर से काम लिया जा रहा है। अतः कार्यक्रम को 2 घंटे के अंदर खत्म किया जाये।  

गांवों में तीन दिनों से बिजली गुल

प्रयागराज और आस-पास के तमाम जिलों में पिछले तीन दिनों से बिजली गुल है। सुल्तानपुर जिले से इलाज के लिए प्रयागराज आये एक बुजुर्ग बताते हैं कि गांवों में बिजली की हालत तो वैसे ही बदतर है। अब ऐसा लगता है कि सरकार ने मान लिया है कि गांववालों को बिजली की ज़रूरत ही नहीं है। 

घर रहकर एक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के लिए वर्क फ्रॉम होम करने वाले विवेक मिश्रा बताते हैं कि बिजली न आने से उनका काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले राजेश बताते हैं कि बॉस नामक प्राणी इस ग्रह के सबसे क्रूर  जीव होते हैं कि रोज़ अख़बारों में निकल रहा है कि पूरे प्रदेश की बिजली गुल है लेकिन तब भी वो अपने कर्मचारी को प्रताड़ित करने का मौका नहीं छोड़ते।

गांव के गांव अंधेरे में डूबे हैं। एक ग्रामीण महिला अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहती है कि योगी बाबा पूरे देश की मिट्टी का तेल पी गये हैं। और अब बिजली भी काट के बैठ गये हैं। तो अंधेरे में काम–धंधा कैसे हो। आखिर कितनी मोमबत्ती ख़रीदें। वो भी तो इतना महंगा है और आधौ घंटा नहीं चलता।

गांवों में अंधेरा

एक और महिला बताती हैं कि गांव के लोग जब से सुने हैं कि तीन दिन बिजली नहीं आएगी वो लोग दिन में ही खाना बना लेते हैं। लेकिन फिर भी बहुत से काम बिना बिजली के नहीं हो सकते। अधिकांश लोगों की मोबाइल की बैटरी खत्म होकर बंद हो चुकी है। चार्जर वाली टॉर्च का चलन होने के बाद से बैटरी वाली टॉर्च खत्म हो गई। रात में छोटे-मोटे काम के लिए भी लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दुकानों पर लोग मोमबत्ती ख़रीदने के लिए उमड़ रहे हैं। 

आलम यह है कि दुकानों में मोमबत्तियां तक नहीं बची हैं। सहसों बाज़ार में किराने की दुकान चलाने वाले साहू जनरल स्टोर संचालक बताते हैं कि मोमबत्तियों की बिक्री सिर्फ़ दीपावली पर होती है। तो जो मोमबत्ती उस समय बच जाती है वही दुकानदार बेच रहे हैं। वो बताते हैं कि गर्मियों में मोमबत्तियां टेढ़ी होकर खराब हो जाती हैं इसलिए भी वो लोग ज़्यादा मोमबत्तियां नहीं रखते।

बिजलीकर्मियों की हड़ताल से तीन दिन से क्षेत्र में बिजली नहीं आ रही है इसलिए मोमबत्तियों की खपत इतनी ज़्यादा बढ़ गई है। दुकानदार बताता है कि कोई गारंटी नहीं है कि कब बिजली आ जाये। वो मोमबत्ती मंगाये और बिजली आ जाये तो कौन ख़रीदेगा। पूंजी फंस जायेगी।

सरकार सख़्त, 1332 संविदाकर्मी बर्खास्त, 29 के खिलाफ़ एस्मा

इलाहबाद हाईकोर्ट और सरकार बिजलीकर्मियों के ख़िलाफ़ सख़्त रुख अख्तियार किये हुए है। अब तक 1332 संविदाकर्मी बर्खास्त किये जा चुके हैं। छः अधिकारी कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। जबकि 29 कर्मचारी नेताओं पर आवश्यक सेवा अनुरक्षण क़ानून (एस्मा) लगाया जा चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार दोपहर हालात की समीक्षा की और बिजली आपूर्ति में बाधा डालने वालों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए।

बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा ऊर्जा मंत्री ए. के. शर्मा और पॉवर कार्पोरेशन अध्यक्ष एम. देवराज और तमाम प्रबंध निदेशक शामिल हुए। पॉवर ऑफीसर एसोसिएशन का दावा है कि उनके आन्दोलन के साथ 10 संगठन हैं जिनसे जुड़े अभियंता और कर्मचारी बिजली व्यवस्था बनाये रखने के लिए कार्य कर रहे हैँ।  

वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त रुख अपनाते हुए कर्मचारी नेताओं के ख़िलाफ़ जमानती वारंट ज़ारी किया है। कोर्ट ने सीजेएम लखनऊ के जरिए जमानती वारंट तामील कराने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने 20 मार्च को सुबह 10 बजे कर्मचारी संघ के पदाधिकारी शैलेंद्र दुबे और अन्य को तलब किया है।    

दमनात्मक कार्रवाई से हड़ताल बेमियादी हो सकती है

कर्मचारी संघर्ष समिति के नेताओं ने एलान किया है कि वो लोग राजधानी लखनऊ में ही हैं और हड़ताल ज़ारी रखेंगे, सरकार जब चाहे उन्हें गिरफ्तार कर ले। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि यदि सरकार हड़ताल कर रहे बिजलीकर्मियों के ख़िलाफ़ दमनात्मक कार्रवाई करेगी तो यह हड़ताल बेमियादी भी हो सकती है और जेल भरो आन्दोलन में बदल सकती है।

बता दें कि क़रीब एक लाख बिजलीकर्मी 16 मार्च से हड़ताल पर हैं। वहीं संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा है कि वो ऊर्जामंत्री से बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। वहीं लोगों को हो रही परेशानी के चलते सरकार भी दबाव में है। ऊर्जामंत्री ए. के. शर्मा शनिवार रात आन्दोलनरत संयुक्त संघर्ष समिति से दोबारा वार्ता शुरु किये हैं।

भाजपा नेताओं ने दर्ज़ कराया केस

भाजपा नेता घूम घूमकर बिजलीकर्मियों के खिलाफ़ नफ़रती अभियान में लग गए हैं। अपनी मांगों के लिए आंदोलन कर रहे बिजलीकर्मियों को भी किसानों की तर्ज पर विलेन और देशद्रोही साबित करने का हथकंडा अपनाया जा रहा है। भाजपा नेताओं ने मऊआईमा थाने में बिजलीकर्मियों के ख़िलाफ़ तहरीर देकर मऊआईमा फीडर के लाइनमैनों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया है।

वहीं जिले के मांडा तहसील में बिजलीकर्मियों के हड़ताल से बिजली सप्लाई की जिम्मेदारी क़ानूनगो और लेखपाल के कंधों पर डाल दी गई है। पुलिस बल के साथ इंसपेक्टर भी मांडा बिजली केंद्र पर डेरा डाले हुए हैं। वहीं नवाबगंज क्षेत्र के तमाम गांवों में बिजली गुल है। यहां बिजली आपूर्ति की बहाली के लिए सिंचाई विभाग के जेई और क़ानूनगो की ड्युटी लगाई गई है। मंसूराबाद और शृंग्वेरपुर में बिजली उपकेंद्र बंद पड़े हैं। नारीबारी गौरा बिजली उपकेंद्र तीन दिन से बंद पड़ा है। इस उपकेंद्र से बारा, मेजा और करांव तहसील के सैकड़ों गांवों की बिजली आपूर्ति होती है। 

गौहनिया विद्युत उपकेंद्र, कौंधियारा विद्युत उपकेंद्र पर पुलिसकर्मी और लेखपाल, क़ानूनगो की ड्युटी लगाई गई है जिनका आपूर्ति से कोई लेना देना नहीं है। यहां तैनात बिजलीकर्मी जनता से कह रहे हैं कि बिजली की सप्लाई ऊपर से ही नहीं हो पा रही है। कौड़िहार के मंसूराबाद फीडर की विद्युत आपूर्ति 60 घंटे से बंद है। जबकि उपकेंद्र पर शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है।

इसी तरह मऊ आईमा उपकेंद्र, गदाईपुर, और मऊदोस्तपुर बिजली उपकेंद्र की बिजली आपूर्ति ढाई दिनों से ठप है। इसी तरह कोरांव फीडर, देवघाट फीडर, लालतारा फीडर से जुड़े गांवों में अंधेरा है। गांव वालों को डर है कि इन उपकेंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। यदि कोई हादसा हो जाता है तो कौन संभालेगा। प्रतापगढ़ जिले के लालगोपालगंज की बिहार बिजली फीडर बंद पड़ा है।  

तमाम गांवों में बिजली व्यवस्था ठप्प हो जाने के चलते पेयजल का संकट खड़ा हो गया है। शहरों में पीने की बोतलबंद पानी के दामों में बढ़ोत्तरी हो गई है। जबकि पेयजल की आपूर्ति भी बिजली नही होने के चलते ठप्प पड़ी है।

क्या है बिजलीकर्मियों की मांग

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मुताबिक, 3 दिसम्बर 2022 को योगी सरकार और बिजलीकर्मियों के बीच कई बिन्दुओं पर सहमति बनने के बाद एक लिखित समझौता हुआ था। इनमें ऊर्जा निगमों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन समिति द्वारा किया जाना, तीन प्रमोशन पदों के समयबद्ध वेतनमान का आदेश किया जाना, बिजली कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉईज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना, विद्युत उपकेन्द्रों के परिचालन और अनुरक्षण की आउटसोर्सिंग को बंद करना समेत कई बिंदु शामिल थे।

समिति के मुताबिक, सरकार ने समझौते में आश्वासन दिया था कि बिजली कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति के जरिए ही किया जाएगा। लेकिन इस व्यवस्था को बंद करते हुए अब इन पदों पर स्थानांतरण के आधार पर तैनाती की जा रही है। यही बिजलीकर्मियों के हड़ताल करने का एक बड़ा मुद्दा है।

यूपी के बिजलीकर्मियों की हड़ताल के समर्थन में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स (NCCOEEE) भी उतर आया है। NCCOEEE के आह्वान पर देश भर के करीब 27 लाख बिजलीकर्मी सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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