Friday, April 19, 2024

बिहार के 10 लाख लोगों को तबाही से बचाने के लिए जरूरी है, कोशी का समग्र विकास 

कोशी नदी के दोनों तटबंधों के बीच निवास करने वाले करीब दस लाख लोगों की बदहाली के किस्से परत-दर-परत उजागर हुए। अवसर कोशी जन आयोग की रिपोर्ट को जारी करने के लिए हुए दो दिवसीय सम्मेलन का था। सम्मेलन में नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर के अलावा कई पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता व कोशी क्षेत्र के पीडित लोग शामिल हुए।

सम्मेलन में कोशी क्षेत्र की समस्याओं को चिन्हित किया गया, उनका विश्लेषण किया गया और फिर समाधान के वैकल्पिक उपाय बताए गए। सम्मेलन में आए भाकपा, माले के विधायक सुनील सौरभ ने यहां उठाए गए मुख्य मुद्दों पर विधानसभा के आगामी सत्र में  चर्चा करने का आश्वासन दिया।

उनकी पार्टी के केन्द्रीय नेता केडी यादव ने कहा कि माले विधायक इस मसले पर चर्चा करेंगे और समुचित कार्रवाई के लिए सरकार पर दबाव बनाएगे। माले का समर्थन वर्तमान सरकार को है, इसलिए सार्थक परिणाम की उम्मीद की जा सकती है। 

कोशी तटबंधों के बीच लाखों लोग हर साल आने वाली बाढ़ के बीच निवास करते हैं। वे लोग नीति-जनित अन्याय के शिकार हैं। इसलिए कोशी समस्या के समाधान की बात करना न्याय का सवाल है। तटबंध के बीच गाद जमा होने से जमीन लगातार ऊंची होती गई है जिससे बाढ़ व कटाव अधिक मारक होती जा रही है।

कई जगहों पर सुरक्षा तटबंध और पुलों के निर्माण से नदी की चौड़ाई घट गई है। नदी की चौड़ाई कम होने से तटबंधों और सुरक्षा बांधों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इससे भविष्य में प्रलयंकारी होने की आशंका उत्पन्न हो गई है। 

भीमनगर बराज व तटबंधों को 25 वर्षों के लिए अल्पकालीन उपाय के तौर पर बनाया गया था। बराज व तटबंध अब 60 वर्ष पुराने हो गए हैं। इसकी वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करने के बजाए नए तकनीकी हस्तक्षेप स्थिति को खराब करने वाले हैं।  बढ़ते जोखिमों का आंकलन करना जरूरी है।

तलछट कोशी बेसिन की मुख्य समस्या है जो नदी पथ के विचलन और बाढ़-कटाव में भूमिका निभाती है। दीर्घ कालीन समाधान के लिए ‘लक्षण’ के बजाए ‘कारण’ के इलाज पर ध्यान देना आवश्यक है। कोशी के तलछट की ड्रेजिंग होनी चाहिए। जलधारण क्षमता बढ़ाने और बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिए तलछट की निकासी आवश्यक है।

अभी जो लोग तटबंधों के बाहर तथाकथित सुरक्षित क्षेत्र में रहते हैं, उनकी तबाही का खतरा भी बढ़ता जा रहा है, जैसाकि 2008 में कुसहा त्रासदी के समय हुआ था।

सम्मेलन में प्रस्तुत जन आयोग की आरंभिक रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि तटबंधों के बीच रहने वाले पुनर्वास से वंचित लोगों को नया सर्वेक्षण कराकर पुनर्वासित करना और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देना आवश्यक है।

तटबंधों के बीच तत्काल सर्वेक्षण कराकर आपदा प्रबंधन विभाग की मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार सहायता और मुआवजा दिया जाए। जिनके घर कटे हैं, उन्हें सरकारी जमीन पर बसाया जाए। चल रहे भूमि सर्वेक्षण में नियमों का संशोधन करके रैयतों के खतियान में रकबा अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए।

चार हेक्टेयर तक जमीन का लगान माफ होने के नियम को अनिवार्य रूप से लागू किया जाए और अब तक हुई वसूली को वापस किया जाए। तटबंधों के बीच शिक्षा,चिकित्सा व परिवहन की सुविधा एकदम नहीं है, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। 

सरकार को किसी नए तटबंध के निर्माण को तुरंत रोक देना चाहिए। पहले से बने तटबंध व स्परों को बनाए रखना चाहिए। हर साल बरसात के बाद तटबंधों के बीच की बस्तियों का सर्वेक्षण कराया जाए। तटबंधों के भीतर अलग शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता पर विचार किया जाए।

कोशी तटबंधों के बीच बसी आबादी के कल्याण को लिए 1987 में स्थापित कोशी पीड़ित विकास प्राधिकरण को बहाल किया जाए और उसके प्रावधानों को लागू किया जाए।

किसानों की उपज की खरीद की गारंटी हो, खाद-बीज की समुचित व्यवस्था हो। मनरेगा के माध्यम से रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराए जाएं। कोशी घाटी से मजदूरों का पलायन सर्वाधिक है। उन मजदूरों को किसी तरह की सुविधा नहीं मिलती।

इसलिए अंतराज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम 1979 सहित विभिन्न श्रम कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। नाव को ठेके पर रखने में होने वाली अनियमितता व भ्रष्टाचार को रोकने का प्रभावी तरीका अपनाते हुए अनुबंध करते समय ही लाइसेंस व लागबुक  नाव वाले को थमा दिया जाए।

यही नहीं, सरकार को नेपाल व तिब्बत में भी कोशी नदी पर होने वाले संरचनात्मक हस्तक्षेपों की समीक्षा करनी चाहिए। कोशी नदी से जुडे विभिन्न मुद्दों से निपटने में बहु-आयामी रणनीति कारगर हो सकती है।

जैसे- कोशी नदी में इट्रा बेसिन रीवर लिंकेज अर्थात कोशी की पुरानी धाराओं से नदी का संबंध स्थापित करना, बाढ़ का स्थानांतरण, नियंत्रित बाढ़ व जल निकासी की अच्छी व्यवस्था आदि।

नदी पर किसी तरह के संरचनात्मक हस्तक्षेप करते समय नदी के प्राकृतिक अधिकार, उसकी निकासी की पर्याप्त सुविधा दी जानी चाहिए। कोशी की पुरानी धाराओं पर किसी तरह के अतिक्रमण को रोका जाना चाहिए। 

आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण सिफारिश की गई कि कोशी बेसिन के समग्र, टिकाऊ और जन-केंद्रीत विकास के लिए अलग विकास बोर्ड की स्थापना की जाए जिसमें प्रभावित लोगों के प्रतिनिधि, इस मुद्दे पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता व संबंधित विभागों के प्रतिनिधि शामिल हों।

जन आयोग के सदस्य मेधा पाटकर, अजय दीक्षित, गोपाल कृष्ण, राजेन्द्र रवि, राजीव सिन्हा, रंजीव कुमार, रवि चोपड़ा व सौम्य दत्ता हैं। डॉ दिनेश मिश्रा, गजानन मिश्रा, नचिकेत केलकर, शवाहिक सिद्दीकी, महेन्द्र यादव व राहुल यादुका सलाहकार व सहयोगी रहे। 

(अमरनाथ झा वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल पटना में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।