Saturday, April 20, 2024

सिवान का पंजवार बना हॉटस्पॉट

सिवान जिले का पंजवार गांव कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया है। इस पंजवार में पिछले कई वर्षों से कई स्तरों पर परिवर्तन के प्रतिमान कायम हुए हैं। पर सरकारी व्यवस्था की मामूली सी गड़बड़ी या कोरोना के विकट संक्रमणकारी लक्षण की वजह से यह गांव संकट से घिर गया है। एक ही घर के 14 लोगों के संक्रमित होने से गांव में हडकंप मच गया है। इस गांव के निवासी संजय सिंह से स्थिति की भयावहता का पता चला है।

गांव का एक व्यक्ति 21 मार्च को ओमान से आया था, पटना एयरपोर्ट पर उसे होम क्वारंटाइन की मुहर लगाई गई। उसे मुहर लगाकर घर भेज दिया गया। प्रशासन ने उसे उसके बथान में रखवा दिया। मगर उसकी नियमित निगरानी में लापरवाही बरती गयी। उसने भी अपनी स्थिति के बारे में लोगों को जानकारी नहीं दी। 

लोगों से मिलता जुलता रहा, क्रिकेट खेलता रहा। शादी ब्याह में आता जाता रहा। सरकार ने उसका टेस्ट कराने में लापरवाही बरती। 3 अप्रैल को टेस्ट के लिए सैंपल लिया गया। जांच रिपोर्ट आई तो वह पॉजिटिव पाया गया। अब उसके परिवार का सैंपल लिया गया और पूरे 14 लोग संक्रमित पाए गए हैं। अब 97 लोगों की पहली सूची बनी है, सबका टेस्ट होगा। उसके वार्ड नम्बर 6 को पूरी तरह सील करके हर घर में होम क्वारंटाइन का पर्चा चिपकाया गया है। सरकारी आंकड़े के अनुसार सिवान जिले में 3105 लोगों को होम क्वारंटाइन में रहने के लिए कहा गया है। पर यह व्यवस्था दुरुस्त नहीं है, यह इस मामले में स्पष्ट हो गया है। दूसरे निगरानी रखने में प्रशासन बुरी तरह नाकाम रहा है। 

बिहार में जब कोरोना-संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया था, तभी (17 मार्च) इसे महामारी घोषित कर दिया गया और डेढ़ सौ साल पुराने कानून महामारी अधिनियम-1897 को लागू करके प्रशासन को असीमित अधिकार दे दिए गए। लेकिन कोरोना जांच के लिए पूरा राज्य पटना स्थित केंद्रीय शोध संस्थान (आरएमआरआई) पर निर्भर रहा। उस दिन तक इस केन्द्र में 35 नमूनों की जांच हुई थी, सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। पखवाड़े भर बाद भी केवल चार जांच केन्द्र बन पाए हैं।

यद्यपि आरएमआरआई और आईजीएमसीएच के अलावा कोई जांच केन्द्र ठीक से चल नहीं पा रहे। ऐसे पता चला है कि आईएमआरआई ने बिहार में छह जांच केन्द्र बनाने की अनुमति बहुत पहले दे दी थी। पर आवश्यक उपकरण और प्रशिक्षित कर्मचारी के अभाव में एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर और जेएलएनएमसीएच, भागलपुर में जांच शुरू नहीं हो सकी है। अभी बिहार के किसी निजी अस्पताल में भी यह जांच नहीं हो रही है। हालांकि पटना के पारस अस्पताल और सेन डायग्नोस्टिक में जांच शुरु करने की बात चल रही है।

पर वर्तमान हालत यही है कि आरएमआरआई, आइजीआइएमएस और डीएमसीएच के बाद पीएमसीएच में जांच आरंभ हो पाई है। हालांकि आरएमआरआई के अलावा सभी जगहों पर जांच की गति काफी सुस्त है। वर्तमान हालत में सिवान में अलग से जांच केन्द्र खोलना संभव नहीं दिखता। वहां के सैंपल को  आईजीआईएमएस लाया जाना ही संभव लगता है। लेकिन मोबाइल जांच केन्द्र खोलने की गुंजाइश खोजने की जरूरत जरूर दिख रही है। जिला प्रशासन के अनुसार सिवान में 208 लोग हाल में विदेश यात्रा से वापस आए हैं। इनमें से 160 को होम आइसोलेशन में रखा गया है। बाकी पंचायत आइसोलेशन में हैं। लेकिन क्या इन सबों पर निगरानी रखने की कोई व्यवस्था की गई है तो उत्तर नकारात्मक है।

उल्लेखनीय है कि बिहार में महामारी कानून पहली बार लागू किया गया है। इसके अंतर्गत संक्रमण के संदेह पर किसी व्यक्ति को बलपूर्वक आइसोलेशन वार्ड में रख सकता है। जांच से इनकार करने पर दंड संहिता की धारा-188 के तहत मुकदमा दर्ज कर सकता है। हालांकि अभी तक इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है। लेकिन सरकारी सूत्रों के अनुसार राज्य में 3356 लोग विदेश से आए हैं। इनमें केवल 2254 लोगों को ही खोजा और चिन्हित किया जा सका है। बाकी के बारे में सरकार के पास कोई सूचना नहीं है। विभिन्न सरकारी अस्पतालों के आइसोलेशन वार्डों में केवल 33 लोग ही हैं।

अलग-अलग बने क्वारंटाइन सेंटरों में 998 लोग रह रहे हैं। पंचायतों के क्वारंटाइन सेंटरों में 31,996 लोगों के होने का दावा किया जा रहा है। पर दूसरे राज्यों से करीब दो लाख लोगों के आने की जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री की ओर से दी गई थी। तो प्रश्न है कि बाकी लोग कहां हैं, कैसे हैं, उनकी निगरानी कैसे की जा रही है। उल्लेखनीय है कि अब तक 5040 लोगों के सैंपल लिए गए हैं जिनमें 51 की रिपोर्ट पाजिटिव आई है। अभी कोरोना के केवल 33 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। बाकी स्वस्थ्य होकर घर लौट गए हैं। 

(अमरनाथ वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल पटना में रहते हैं।)

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