राज्यसभा सदस्य परिमल नाथवानी गुजरात हाईकोर्ट का झूठा हवाला देकर बना रहे हैं सांप्रदायिक माहौल

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आंध्र प्रदेश से राज्यसभा के सांसद और गुजरात के जामनगर के निवासी मुकेश अम्बानी के करीबी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर परिमल नाथवानी वैसे तो वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य हैं लेकिन वो भाजपा तथा मोदी के नजदीकी माने जाते हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज और मुकेश अम्बानी ने कभी भी राजनैतिक बयान नहीं दिया न कभी खुलेआम किसी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा लिया लेकिन वास्तविकता यही है कि देश में सरकार किस की बनेगी वो देश के पूंजीपति तय करते हैं।

परिमल नाथवानी को मुकेश अम्बानी ने रिलायंस में 1995 में लिया, बदले में नाथवानी ने जामनगर के मोटी खावड़ी गांव के नजदीक 10000 एकड़ जमीन रिलायंस रिफाइनरी के लिए बिना कोई विवाद के आवंटित करवा ली। गुजरात के तमाम गांवों को जिओ के फाइबर केबल से जोड़ने के लिए पूरा गुजरात खुदवा देने का काम नाथवानी ने किया था। नाथवानी दो बार झारखंड से और अब आंध्र से राज्यसभा के सदस्य हैं। उन्होंने अभी तक कोई विवादित बयान नहीं दिया था।

लेकिन अब गुजरात में भाजपा की सरकार को चुनाव हारने का खतरा है। लॉकडाउन में प्रदेश के मध्यम वर्ग को बहुत परेशान होना पड़ा था। 2022 के गुजरात विधायकी चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा मिल जाता है तब जाकर सरकार बच पायेगी ये भाजपा वाले जानते हैं। इस लिए अभी से हर एक घटना में मुस्लिम एंगल ढूंढने की कोशिश होती हैं। गुजरात भाजपा को मजलिसियों का भी सपोर्ट रहा तो अगला चुनाव हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे पर होगा।

इस कड़ी में परिमल नाथवानी ने भी अपना योगदान दिया। उन्होंने ट्वीट कर के कहा कि बेट द्वारका के दो टापू पर वक्फ बॉर्ड ने दावा किया है, और गुजरात हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर फिर से एप्लिकेशन देने को कहा है। परिमल नाथवानी ने जो फोटो लगाया हुआ है वो बेट द्वारका का नहीं, बल्कि तुर्की का है।

परिमल नाथवानी राज्यसभा के सदस्य हैं, रिलायंस इंडस्ट्रीज में बड़ी जिम्मेदारी लेकर चलते हैं फिर भी ऐसा बेतुका बयान और फर्जी फोटो डालते हैं तो इस का मतलब ये नहीं कि वो बेवकूफ हैं, ये एक सोची समझी तरकीब है ताकि वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी के माध्यम से गुजरात के दो मुख्य समुदायों के बीच में नफ़रत फैलाई जा सके। नाथवानी के ट्वीट को 48 घण्टे होने को हैं, अगर गलती से ट्वीट किया होता तो अब तक डिलीट हो जाता लेकिन अब तक उन्होंने ट्वीट को लाइव रखा है तो इस का मतलब यही है कि ये एक साजिश है।

वास्तव में गुजरात हाईकोर्ट के सामने या कहीं और सत्ता मंडल के समक्ष वक्फ बोर्ड ने कभी भी बेट द्वारका के तथाकथित दो टापू पर अपना हक जताया ही नहीं है। परिमल नाथवानी ने गुजरात हाईकोर्ट का उल्लेख कर के सरासर झूठ ट्वीट किया है। अब कानून के ज्ञाता वकील ही बता सकते हैं कि राज्यसभा के सदस्य अगर हाईकोर्ट को चिन्हित कर के कोई झूठ फैलाते हैं तो उन पर क्या कार्रवाई की जा सकती है।

लेकिन एक बात साफ है! परिमल नाथवानी को जो करना था, उहोंने कर दिया! मेरी इस पोस्ट को अगर गुजरात हाईकोर्ट संज्ञान में लेती है तो जो कार्रवाई करनी होगी वो करेगी मगर गुजरात वक्फ बोर्ड इस पर खामोश क्यों है? क्यों वक्फ बोर्ड ने ये नहीं कहा कि परिमल नाथवानी ने जो कहा है वो गलत है, वक्फ बोर्ड की तरफ से गुजरात हाईकोर्ट में ऐसी कोई याचिका नहीं है जिस में बेट द्वारका के दो टापू पर दावा किया हो।

कोई कह रहा था कि वक्फ बोर्ड में मुसंघी बैठे हैं, मनमोहन सरकार ने जाते-जाते वक्फ एक्ट को संशोधित किया था वो अब भी भाजपाई और मुसंघियों को राश नहीं आ रहा है। अगर ऐसा है तो क्या ये मान लिया जाए कि वक्फ बोर्ड भी गुजरात भाजपा से मिला हुआ है जो प्रदेश में मुस्लिमों के खिलाफ हिंदुओं को उकसाने के षड्यंत्र में शामिल है?

(सलीम हफेजी स्वतंत्र पत्रकार हैं और आजकल अहमदाबाद में रहते हैं।)

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