वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में कमीशन खोरी और लूट के कई किस्से हैं। हाल ही में सिटीस्कैन और एमआरआई के टेंडर में बड़े पैमाने पर अपने लोगों को फायदा पहुंचाने और कमीशनखोरी के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ केके गुप्ता के खिलाफ लंका थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। नया मामला कार्डियो वैस्कुलर सर्जरी विभाग (CTVS) से जुड़ा है। जो विभाग कभी पद्मश्री से सम्मानित डॉ टीके लाहिड़ी के कर्त्तव्य निष्ठता, निष्काम सेवा भाव के लिए जाना जाता रहा है, उसी विभाग में सर्जरी के नाम पर मरीजों को लूटा जा रहा है।
अगर सर्जरी का औसत खर्च निकालें तो यहां निजी अस्पतालों से भी दोगुनी कीमत मरीजों से वसूली जा रही है। इस लूट का हिस्सा कइयों तक पहुंच रहा हो इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता। हृदय रोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. ओम शंकर कहते हैं मरीज चाहे गरीब हो, निरीह हो, निर्बल हो, बीमार हो, लाचार हो, मुख्यमंत्री – प्रधानमंत्री से सहायता प्राप्त हो अथवा आयुष्मान कार्ड धारक, उनको ऑपरेशन से पहले लंका के खास दवा की दुकान पर जमीन-जायदाद बेचकर अथवा कर्ज लेकर 2-3 लाख रुपए जमा करना होता है।
उसके बाद जब वो भर्ती हो जाते हैं, तो उनके शोषण का एक नया खेल शुरू होता है। यह खेल है कमीशन के लिए बिना जरूरतों के ऑपरेशन से पहले दवाइयां चढ़ाना। रोज मरीजों को बेवजह 25-25 हजार रुपयों तक की फर्जी दवाएं चढ़ाई जाती हैं। बेचारे मरीजों को समझा दिया जाता है, कि ये आपकी जान बचाने के लिए किया जा रहा है। वो अब कहीं भाग भी तो नहीं सकता है। कई मामलों में तो यह थाने तक भी पहुंचा, लेकिन आवाज उठाने वालों के विरुद्ध ही कार्रवाई हो गई।
बेचारा! मरता क्या न करता। लूट का यह खेल यहीं पर नहीं रुकता जिस वाल्व की कीमत अन्य सरकारी संस्थानों में एक-सवा लाख होती है, यहां उसी वाल्व के लिए दो से ढाई लाख वसूले जाते हैं। अथवा दोगुनी कीमत!
डॉ ओमशंकर बताते हैं कि ऑपरेशन के बाद फिर दवाओं में कमीशन का खेल शुरू हो जाता है और तब तक जारी रहता है जब तक वो सारी जमीन जायदाद बेचकर सड़क पर नहीं आ जाता है। यहां वाल्व बदलने अथवा किसी अन्य ऑपरेशन पर आने वाला खर्च, देश के किसी भी सबसे अच्छे निजी अस्पतालों से भी कम से कम दो गुना है। मरीजों को जब तक यह एहसास होता है कि इससे बेहतर तो किसी निजी संस्थान में ऑपरेशन करवा लेता, तब तक तो वह लुट चुका होता है।
यह खेल पूरे संगठित तौर पर चलता है, जिसमें चिकित्सा अधीक्षक डॉ केके गुप्ता संपूर्ण रूप से शामिल हैं। इस भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी उच्च पदस्थ अधिकारियों को भी है, जो मौन रहकर इनको संरक्षण दे रहे हैं। उनको इससे आर्थिक लाभ हो रहा है या नहीं, इसके प्रमाण अभी मेरे पास नहीं हैं!
डॉ ओमशंकर ने बताया कि इस विभाग में भर्ती और ऑपरेशन होने वाले मरीजों की संख्या, हमारे हृदय विभाग की तुलना में एक बटे दसवां है। विभाग के किसी भी डिग्री/इकाई को अब तक NMC से मान्यता भी प्राप्त नहीं है, फिर भी इस विभाग को केके गुप्ता ने मानकों के हिसाब से तीन गुने बिस्तर दिए हुए हैं। मतलब दस गुने काम करने वाले हृदय विभाग को 41 बिस्तर और दस गुने कम काम करने वाले विभाग को 60 बिस्तर, जिसमें ज्यादातर खाली पड़े रहते हैं।
इसके अलावा CTVS विभाग के खुद के पास तीन ऑपरेशन थियेटर हैं, जिसमें से आज तक कभी भी डेढ़ से ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुए। उन सालों से बंद पड़े CTVS विभाग के ऑपरेशन थियेटर को चालू करने की जिम्मेदारी चिकित्सा अधीक्षक केके गुप्ता की है, जिसे छोड़कर वो कमीशन खाने में मस्त हैं।
केके गुप्ता अपने प्रशासनिक दायित्वों को निभाने के बदले CTVS विभाग के चिकित्सकों को सह देकर अपनी OT चलाने के बदले सालों से मेरे एक ओटी पर ताला लगवाया हुआ है, जो अभी भी जारी है। केके गुप्ता ने, इसके अलावा हृदय विभाग, जिसको आज बिस्तरों की सबसे ज्यादा जरूरत है, उससे 49 बेड छीनकर दूसरे विभाग को दे दिया है, जिससे हृदय विभाग के पास आज NMC मानकों के अनुसार मात्र 41 बेड उपलब्ध हैं। जो हर महीने हजारों लोगों की जान जाने की वजह बनी हुई है। ज्ञात हो कि इसी के लिए मैंने मई महीने में 21 दिनों तक आमरण अनशन भी किया था।
CTVS विभाग के चिकित्सकों के संग शोषण का आलम यह है कि एक महिला चिकित्सा हाल ही में प्रताड़ना से तंग आकर इस्तीफा देने को मजबूर हुई और दूसरे के ऊपर प्रशासन संग मिलकर छोड़कर भागने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, ताकि खुलकर मरीजों का शोषण कर पाएं।
डॉ ओमशंकर को उम्मीद है कि BHU प्रशासन द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी केके गुप्ता के विरूद्ध FIR दर्ज होने के बाद उन्हें अब तुरंत प्रभाव से पद से हटाया जाएगा, ताकि उनकी भ्रष्टाचार की निष्पक्षता से जांच हो सके। साथ ही और विभागों में फैले भ्रष्टाचार पर भी रोक लगे।
डॉ ओमशंकर ने मांग की है कि पद्मश्री लाहिड़ी साहब और उनके CTVS विभाग में जारी भ्रष्टाचार और मरीजों के शोषण के विरुद्ध जांच कमेटी बैठाकर जांच करवाकर दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि वहां जारी गरीब मरीजों का शोषण बन्द हो और विभाग की गरिमा पुनः स्थापित हो पाए। इस सिलसिले में डॉ. केके गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन संपर्क नहीं हो सका। जैसे ही उनका पक्ष सामने आता है। अपडेट के साथ इस स्टोरी को आगे प्रकाशित किया जाएगा।
(वाराणसी से भाष्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट।)
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