Tuesday, May 30, 2023

अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में गरमाई सियासत

अमृतपाल सिंह खालसा की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में सियासत गरमा गई है। अलबत्ता माहौल शांत है। दस मई को जालंधर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने हैं, गिरफ्तारी को उससे जोड़कर भी राजनीतिक चश्मा पहनाने की कवायद शुरू हो गई है। राजनैतिक दल इस पर भी बंटे हुए हैं कि अमृतपाल ने आत्मसमर्पण किया या पुलिस ने उसे गिरफ्तार। हालांकि सरकार और पुलिस का दावा है कि उसे गिरफ्तार किया गया है। 

बादलों की सरपरस्ती वाला शिरोमणि अकाली दल खुद को सिख हितों का सबसे बड़ा अभिभावक और प्रवक्ता मानता है। इसके अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि अमृतपाल सिंह खालसा ने आत्मसमर्पण किया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिस शांतिपूर्ण तरीके से ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया ने खुद को पुलिस के हवाले किया, इसके मद्देनजर आम आदमी पार्टी सरकार को उसके खिलाफ कानून के अनुसार ही कार्रवाई करनी चाहिए।

सुखबीर बादल बोले कि बेगुनाह सिखों पर मुकदमे दायर करने और परेशान करने का सिलसिला फौरन बंद होना चाहिए। पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता हैं। उनके अनुसार, “अमृतपाल को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सलाह दी थी कि वह आत्मसमर्पण कर दे। अब राज्य सरकार को बताना चाहिए कि उसने इस मुद्दे पर खौफ का माहौल क्यों बनाया? इससे दुनिया भर में सिखों की बदनामी हुई है।” 

अमृतपाल सिंह खालसा की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान मीडिया और आम लोगों से मुखातिब हुए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मान ने कहा कि उनकी सरकार सूबे में अमन-चैन कायम रखने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं को धर्म के नाम पर चलने वाली नफरत की फैक्ट्रियों का कच्चा माल नहीं बनने दिया जाएगा।

मान ने कहा कि युवाओं के हाथ में किताबें, लैपटॉप, नौकरी और मेडल होने चाहिए। कुछ लोगों के मंसूबे हैं कि युवा हथियार उठाकर विपथगा हो जाएं। ‘आप’ सुप्रीम और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी भगवंत मान सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी का मिशन पूरी परिपक्वता के साथ पूरा किया है। 

पटियाला के पूर्व सांसद डॉ धर्मवीर गांधी अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान के करीबी रहे हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी को जमीनी स्तर पर खड़ा करने में उनकी अहम भूमिका रही। अब उनके सुर अलहदा हैं। अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी पर उनका कहना है कि, “इस गिरफ्तारी के साथ ही दिल्ली से निर्देशित ड्रामे के पहले भाग का पर्दा गिर गया। सिखों को बदनाम कर देशभर से वोट लेने के लिए ऑपरेशन अमृतपाल के दूसरे एपिसोड का इंतजार कीजिए।” यानी गांधी का सीधा इशारा है कि समूचा अमृतपाल सिंह प्रकरण साजिशन रचा गया।

कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अमृतपाल सिंह खालसा की गिरफ्तारी पर सवाल खड़ा करते हुए इसके लिए केंद्र सरकार और पंजाब की आप सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने अमृतपाल के फरार होने की घटना को बड़ी साजिश करार देते हुए कई सवाल उठाए।

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भारत विरोधी प्रचारक और आतंकवादियों के समर्थक अमृतपाल सिंह को पहली बार भागने में किसने मदद की? वह इतने दिनों तक कहां छुपा था, किसने उसे पनाह दी। क्या वे सभी भारत विरोधी ताकते नहीं हैं? अमृतपाल के साथी कौन हैं? एनआईए, सीबीआई और पंजाब पुलिस खुलासा क्यों नहीं कर रही? गिरफ्तारी के बाद केंद्र चुप क्यों है? क्या अमृतपाल सिंह खालसा का सीधा कनेक्शन केंद्र सरकार या पंजाब सरकार में से किसी के साथ है? 

गौरतलब है कि सक्रियता के वक्त अमृतपाल सिंह ने लुधियाना से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू को लगातार धमकियां दी थीं। उसकी गिरफ्तारी पर बिट्टू का कहना है कि ऐसे लोग पंजाबी नहीं हो सकते बल्कि पंजाबी तो वे हैं जो देश की हिफाजत करते हुए सरहदों पर शहीद हो रहे हैं। उनकी शहादत पर फौज और देश सलाम करता है। गांवों से लेकर चौराहों तक में उनके पुतले लगते हैं। युवाओं को नई सीख मिलती है। दूसरी तरफ अमृतपाल जैसे लोग देश के दुश्मनों से फंड लेते हैं।

रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि जब ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया के करीबी साथी पकड़े गए तो वह खुद आत्मसमर्पण के लिए आगे नहीं आया; भगोड़ा हो गया। अमृतपाल पीड़ित परिवारों का तमाशा देखता रहा। जब उसकी पत्नी को विदेश जाने से रोका गया तो वह खुड्ड से बाहर आ गया। ऐसा शख्स सिख नहीं हो सकता। पंजाब भाजपा के प्रधान अश्विनी शर्मा ने अमृतपाल सिंह खालसा की गिरफ्तारी के लिए राज्य सरकार की सराहना की है और कहा कि उसे कानून के तहत गिरफ्तार करके असम कि डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है। 

आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता व पंजाब सरकार में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा का कहना है कि इतिहास गवाह है कि जिसने भी पंजाब के अमन-सद्भाव को ठेस लगाने की कोशिश की, वह कभी कामयाब नहीं हुआ। अजनाला प्रकरण के दौरान एक व्यक्ति को पुलिस हिरासत से छुड़ाने के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के स्वरूप को ढाल बनाया गया। पंजाब पुलिस ने पूरी गंभीरता, संवेदनशीलता और सूझबूझ के साथ हालात सामान्य किए हैं।

चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशानुसार पंजाब पुलिस ने किसी तरह की फायरिंग या लाठीचार्ज नहीं किया। मुख्यमंत्री ने किसी की भी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करने के आदेश स्पष्ट रूप से दिए थे। वित्त मंत्री ने कहा कि पूरे ऑपरेशन के दौरान कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं हुई।

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता बलविंदर सिंह कंग कहते हैं कि पूर्ववर्ती सरकारों में जितने भी पुलिस के बड़े ऑपरेशन हुए उसमें भारी खून खराबा और हिंसा होती थी तथा कई बेगुनाह लोग कार्रवाई का शिकार हो जाते थे। पंजाब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि इतना बड़ा ऑपरेशन बिना किसी खून-खराबे के कामयाब हुआ। 1978, 84, 86, 2009 और 2012 को पुलिसिया कार्रवाई में कई बेगुनाह लोग मारे गए। 

इस बीच अमृतपाल सिंह खालसा के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि परिवार उसका केस कानून के अनुसार लड़ेगा। वे उससे मिलने डिब्रूगढ़ जाएंगे। तरसेम सिंह का कहना है कि उनके बेटे के विदेश में संपर्क हैं तो यह कोई अपराध नहीं। भारत में यह मानसिकता बन गई है कि हर बात को पाकिस्तान के साथ जोड़ दिया जाता है।

अमृतपाल की मां का कहना है कि हम खुश हैं कि वह सही-सलामत है। आशंका थी कि पुलिस फर्जी मुकाबला बनाकर उसे मार न दे। फिलहाल अमृतपाल सिंह खालसा के गांव जल्लूपुर खेड़ा को पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने घेर हुआ है। हासिल जानकारी के मुताबिक इक्का-दुक्का लोग ही अमृतपाल के घर आ-जा रहे हैं। इनमें भी ज्यादा तादाद मीडिया से वाबस्ता लोगों की है। सब पर नजर रखी जा रही है।

जल्लूपुर खेड़ा के ही मूल बाशिंदे ने इस पत्रकार को बताया कि रविवार और सोमवार दोपहर तक गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। ज्यादातर लोग घरों से नहीं निकल रहे। सिर्फ खेतों में कामकाज के लिए जाने वाले किसान ही नजर आ रहे हैं। 

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट)                                                             

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