Saturday, April 27, 2024

आधे रास्ते में रोका गया 18 विपक्षी दलों का ‘विरोध मार्च’, खड़गे बोले- सरकार दबा रही आवाज़

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण चल रहा है और बुधवार को तीसरे दिन भी विपक्षी दल अडानी के मसले पर हमलावर दिखे, हालांकि विपक्ष के तेवरों की हवा तब निकल गई जब 18 दलों के विपक्षी सांसदों के विरोध मार्च को बीच में ही रोक दिया गया।

विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर से लेकर ईडी के दफ्तर जाकर एक ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम बनाया था। लेकिन भारी तादाद में मौजूद पुलिस फोर्स ने इन सांसदों को विजय चौक पर ही रोक दिया।

पुलिस ने धारा 144 लागू होने का हवाला दिया, जिसके बाद ये सभी नेता संसद परिसर वापस लौट आए। हाथों में सरकार विरोधी तख्तियां लिए नारेबाज़ी कर रहे इन सांसदों को वापस संसद परिसर लौटना पड़ा।

इस मामले को लेकर विपक्ष की अगुवाई कर रहे कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सरकार पर खासे आक्रामक दिखे। वो बोले- “करीब 18 दलों के विपक्षी सांसद अडानी मुद्दे पर प्रवर्तन निदेशालय को एक ज्ञापन देना चाहते हैं, लेकिन सरकार हमें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दे रही है और पुलिस ने हमें विजय चौक पर रोक दिया है। उन्होंने कहा कि अडानी मामले की विस्तृत जांच के लिए ईडी को अपना मामला पेश करने के लिए हम आगे बढ़ने की कोशिश करते रहेंगे।”

खड़ने ने सरकार पर हमला बोलते हुए ये भी कहा कि “उन्होंने हमें रोक दिया। हम 200 लोग थे लेकिन 2000 पुलिस वाले मौजूद थे। ये हमारी आवाज़ दबाना चाहते हैं और फिर लोकतंत्र की बात करते हैं और जब ये बात कोई डिबेट या फिर सेमिनार में कह दें तो उसे एंटी नेशनल कह दिया जाता है।”

दरअसल खड़गे का इशारा राहुल गांधी के लंदन वाले बयान पर था जिसे लेकर सत्तापक्ष तीन दिन से कांग्रेस पर हमलावर है।

हालांकि, 18 दलों के इस विरोध प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया। TMC नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि पार्टी मार्च में भाग लेने के बजाय अपना खुद का विरोध करेगी। LPG की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर TMC के कई सांसद केंद्र के खिलाफ नारेबाजी करते देखे गए।

इससे पहले बुधवार सुबह ही इन सभी दलों ने आपस में मुलाकात की और अडानी के मसले पर सरकार को घेरने को लेकर एक रणनीति बनाई। वहीं शिवसेना नेता संजय राउत का बयान इस मामले में खासा महत्व रखता है, वो बोले- “बीजेपी और उनकी सरकार विरोधियों को ऐसे निशाना बना रहे हैं, जैसे वह खुद पाक-साफ हैं। जो सरकार पर सवाल उठाता है, उसे ही निशाना बनाया जाता है।”

संजय राउत ने आगे कहा कि “विपक्षी नेताओं को फर्जी मामलों में जेल भेजा जा रहा है। गौतम अडानी जो इतने बड़े घोटाले में शामिल है, उसे समन भी जारी नहीं किया जाता। हम सबूत पेश करेंगे और पूछेंगे कि कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?”

दरअसल अडानी को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से ही केंद्र की मोदी सरकार अब डिफेंडिंग फील्ड पर है। संसद सत्र शुरू होने के पहले ही सरकार को इस बात की आशंका हो गई थी कि विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर उसे घेरने की कोशिश करेंगे। माना जा रहा है इसी के तहत बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले ही दिन पीयूष गोयल और राजनाथ सिंह जैसे मंत्रियों ने राहुल गांधी के बयान के मुद्दे को उछाला।

विपक्ष भी बार-बार कह रहा है कि अडानी पर जेपीसी की जांच से बचने के लिए सरकार ने राहुल गांधी के बयान को हवा दी है।

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसमें उसने अडानी समूह पर “स्टॉक में हेरफेर” और “धोखाधड़ी” करके पैसा कमाने के आरोप लगाए थे। इसके बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट देखी गई। विपक्ष भी तभी से सरकार पर हमलावर है और लगातार संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से इस मामले की जांच कराने की मांग कर रहा है।

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