बनारस में नितेश मौर्य की हत्या में पुलिस की भूमिका और मंत्री की कथित संलिप्तता पर सवाल…!

Estimated read time 5 min read

बनारस। “मेरे भाई की नितेश मौर्य की हत्या के बाद हमें लगातार यह धमकियां दी जा रही हैं कि हम अपनी जुबान बंद रखें, अन्यथा निपटा दिया जाएगा।” 07 अक्टूबर 2024 को बनारस के शास्त्री घाट पर अपने परिजनों से घिरे अनिल मौर्य ने पुलिस की नजरों से बचते हुए पत्रकारों से यह डर जाहिर किया।

वह आगे कुछ कहते, तभी वहां मौजूद अनिल की मां ममता देवी ने एलानियां तौर पर कहा, “उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री अनिल राजभर के इशारे पर मेरे बेटे की हत्या की गई है।”

18 वर्षीय नितेश मौर्य बनारस शहर से जुड़े दानूपुर गांव का नौजवान था। शिवपुर थाना क्षेत्र में 21 सितंबर 2024 को रिंग रोड से कुछ दूर झाड़ियों में उसका अधजला शव मिला था। बाद में बनारस कमिश्नरेट पुलिस ने इसे आत्महत्या करार दे दिया।

नितेश के भाई अनिल मौर्य कहते हैं, “हमारे गांव का लड़का रितिक गोंड और एक लड़की भाग गए थे। इस मामले में 20 सितंबर की रात रितिक के परिवार के संजय गोंड़ की रात करीब 11:30 बजे दो पुलिसकर्मियों अजीत गोंड और एक अन्य को लेकर हमारे घर पहुंचे थे।

हमारे भाई नितेश को बुलाकर उन्होंने उसके साथ गाली-गलौज की और उसे जान से मारने की धमकी दी। यह भी कहा कि इसने दो-दो लड़के-लड़कियों को भगाने में मदद की है। डर की वजह से मेरा भाई घर से भाग गया था। अगले दिन शव मिलने के बाद पुलिसकर्मी मेरे घर आए और कहा कि किसी से कुछ बताया अथवा शोर-शराबा किया, तो जान से मार दिए जाओगे।”

बनारस जिला मुख्यलय पर पहुंची मृतक की मां ममता देवी पत्रकारों से रुबरु हुईं और खुलेआम आरोप लगाया कि, “श्रम मंत्री अनिल राजभर के इशारे पर मेरे बेटे की हत्या की गई है। जिस लड़की के भागने की बात कही जा रही है, वो मंत्री अनिल राजभर के यहां काम करती थी।

हमें बेटे के लिए इंसाफ चाहिए। उसने आत्महत्या नहीं की है। उसकी हत्या की गई है।” सोमवार को समाजवादी पार्टी ने इस हत्याकांड को लेकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए और “नितेश मौर्य को न्याय दो” के नारों से मुख्यालय गूंज उठा।

पूर्व सांसद रामकिशुन यादव और जिलाध्यक्ष सुजीत यादव उर्फ लक्कड़ पहलवान ने इस हत्या को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

इस मौके पर, उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर को जिम्मेदार ठहराते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीबीआई जांच की मांग की गई।

नितेश मौर्य की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई हत्या के लिए एसीएम अशोक कुमार यादव को दिए पत्रक में ममता देवी का आरोप है कि, उनके बेटे की हत्या एक सोची-समझी साजिश के तहत की गई, जिसमें स्थानीय पुलिस और कुछ गुंडों का भी हाथ है। ममता देवी ने बिलखते हुए मुख्यमंत्री से इंसाफ की मांग की। उनका कहना था कि, “संजय गोंड़ ने उनके बेटे को दो दिन पहले पीटा था। मेरे बेटे की हत्या हुई है और मुझे उसके लिए न्याय चाहिए।”

बनारस के एसीएम को ज्ञापन देते सपा के नेता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित ज्ञापन के अनुसार, ममता देवी का छोटा बेटा नितेश मौर्य 21 सितंबर 2024 को घर से कुछ दूरी पर स्थित रिंग रोड के पास झाड़ियों में मृत पाया गया था।

ममता देवी ने बताया कि उनके बेटे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट 12 दिन बाद जारी की गई, जिसमें मौत का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है, जिससे उन्हें शक है कि पुलिस ने दबाव में आकर हत्या को आनन-फानन में आत्महत्या करार दे दिया।

ममता देवी ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन कहा है कि, “उनके बेटे पर जिस लड़की को भगाने का आरोप लगाया गया था, उसके और मंत्री अनिल राजभर बीच अवैध संबंध थे, और इसी डर से मंत्री ने नितेश मौर्य की हत्या करवाई। इस हत्या में संजय गोंड़, सुनील गोंड़, संदीप गोंड़, अनिल गोंड़ और प्रदीप गोंड़ के साथ दो पुलिसकर्मी भी शामिल थे।”

ममता देवी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उनके बेटे की हत्या की जांच सीबीआई से करवाई जाए, ताकि उन्हें न्याय मिल सके। इस पूरे मामले में स्थानीय पुलिस पर दबाव है और सही साक्ष्यों को दबाया जा रहा है।

ममता देवी का यह भी कहना है कि उनके परिवार को जान का खतरा है और उन्हें पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता है। ज्ञापन के साथ ममता देवी ने एफआईआर की कॉपी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और शव के फोटोग्राफ्स भी संलग्न किए हैं।

क्या कहते हैं श्रम मंत्री?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक नितेश मौर्य की मां का वीडियो और बयान सामने आने के बाद श्रम मंत्री अनिल राजभर ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कड़ा रुख अपनाते हुए इन्हें पूरी तरह से निराधार और असत्य बताया है।

उन्होंने कहा, “मेरे बनारस स्थित कैंप कार्यालय और सकलडीहा स्थित आवास पर कोई भी लड़की या महिला काम नहीं करती है। मैं इस तरह की किसी भी महिला को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता, जिसका जिक्र इन आरोपों में किया जा रहा है”।

“यह आरोप सिर्फ मेरी साख और राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए गढ़े गए हैं। नितेश मौर्य की मौत से हम मर्माहत हैं। इस घटना और आरोपों से मेरा कोई संबंध नहीं है और यह उनके खिलाफ एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।”

राजभर ने यह भी कहा, “मैंने हमेशा कानून का पालन किया है और अपने पूरे राजनीतिक करियर में पारदर्शिता और ईमानदारी को प्राथमिकता दी है। इन आरोपों का उद्देश्य सिर्फ मेरे और मेरे परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करना है। नितेश मौर्य के मौत के मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए”।

“कानून को अपना काम करने देना चाहिए। हमें भरोसा है कि जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी और इस तरह के असत्य आरोपों की पोल खुलेगी। जो लोग इन झूठे आरोपों के माध्यम से मुझे और मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा।”

मंत्री ने यह भी कहा कि वह कानून और न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और वे इस मामले में जांच में पूरा सहयोग करेंगे। उनके अनुसार, “यह मामला जल्द ही पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा, और सच्चाई सभी के सामने आ जाएगी। राजभर ने अंत में यह भी कहा कि उनकी छवि को खराब करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में कोई इस तरह के भ्रामक आरोप न लगा सके।”

आखिर किसे बचा रही पुलिस?

दानूपुर निवासी नितेश मौर्या की मौत के लेकर पुलिस द्वारा चल रही जांच ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस जहां इसे आत्महत्या मान रही है, वहीं परिवार वाले पुलिस की इस थ्योरी को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं। नितेश के परिवार वालों का स्पष्ट कहना है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है। 

मृतक नितेश मौर्य

जिसमें किसी और का नहीं, बल्कि एक बीजेपी नेता का हाथ है। नितेश की हत्या के पीछे कैबिनेट मिनिस्टर अनिल राजभर की संलग्नता से इनकार नहीं किया जा सकता है। परिवार का आरोप है कि शिवपुर थाना पुलिस मंत्री को बचाने जुटी हुई है, जिसके कारण सही जांच नहीं हो रही है।

नितेश मौर्या की मौत की गुत्थी सुलझने के बजाय दिन-प्रतिदिन उलझती जा रही है। नितेश की मां ममता देवी के अनुसार, नितेश की हत्या एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उनके बेटे की मौत के मामले में शिवपुर पुलिस ने कितने लोगों को गिरफ्तार किया है, यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा है?” 

“यही नहीं जिस लड़की के गायब होने की बात कही जा रही है, उसके बारे में भी पुलिस मीडिया को कुछ भी बताने से क्यों बच रही है? परिजनों का आरोप है कि नितेश की हत्या के असली गुनहगार अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, और पुलिस उन्हें पकड़ने का प्रयास नहीं कर रही है”।

पुलिस पर क्यों उठ रहे सवाल?

नितेश का अधजला नग्न शव उसके घर से करीब सौ मीटर की दूरी पर रिंग रोड के किनारे झाड़ी में गत 21 सितंबर 2024 को मिला था। शव की स्थिति इतनी भयानक थी कि उसके हाथ-पैर कटे हुए थे और पूरा शरीर जला हुआ था।

गले पर भी चोट के गंभीर निशान थे। इस स्थिति में लाश मिलने पर परिवार के लोग बेसुध हो गए और उन्होंने इसे हत्या करार दिया। शिवपुर थाना पुलिस ने शव के पोस्टमार्टम के बाद दावा किया कि यह मामला आत्महत्या का है।

अपने दावे की पुष्टि करते हुए पुलिस का कहना है कि नितेश को सीसीटीवी फुटेज में पेट्रोल खरीदते हुए देखा गया था, और उसी पेट्रोल का इस्तेमाल उसने खुद को आग लगाने के लिए किया होगा।

हालांकि, नितेश का परिवार पुलिस की इस थ्योरी पर विश्वास नहीं कर रहा है। उनका कहना है कि नितेश ने कभी आत्महत्या के संकेत नहीं दिए थे, और उसकी जिंदगी में ऐसा कोई तनाव नहीं था, जिससे वह ऐसा कदम उठाता। परिवार ने साफ तौर पर कहा कि यह हत्या है और पुलिस इसे आत्महत्या साबित करने में लगी है, ताकि असली अपराधी बच सके।

नितेश के चाचा राम सकल मौर्य जनचौक से कहते हैं, “आखिर यह कैसे संभव है कि कोई इंसान अपने पहला हाथ-पैर काटे, गला रेते और खुद ही अपने ऊपर पेट्रोल छिड़कर आग लगा ले? क्या यह संभव है कि खुले आसमान के नीचे पेट्रोल से इंसान क्या इतना जल सकता है कि उसके हाथ-पैर राख में बदल जाएं और  बाकी शरीर के सभी हिस्से सही सलामत रहें? “

नितेश मौर्य दानूपुर गांव का निवासी था। यह गांव कुछ साल पहले ही नगर निगम के हिस्से से जुड़ा है। नितेश का परिवार गांव से गुजरने वाली सड़क से कुछ कदम के फासले पर रहता है। घर में एक छोटा का कमरा है, जिसमें उनके बड़े भाई अनिल और उनकी पत्नी व एक साल की बेटी रहती हैं।

नितेश के परिवार के ऐसे हैं हालात

कमरे के आगे एक छोटा सा छाजन है जिसमें नितेश के अलावा परिवार के दूसरे लोग रहते थे। परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। नितेश के पिता कैलाश मौर्य का देहांत हो चुका है।

नितेश के चाचा संतोष मौर्य के मुताबिक,  “उनका भतीजा चांदमारी में एक आभूषण की दुकान में नौकरी करता था। दुकानदार आशीष सेठ का यह चहेता कर्मचारी था, जिसके भरोसे कई बार वो अपनी पूरी दुकान छोड़कर चले जाया करते थे।

नितेश का गुनाह सिर्फ इतना था कि रितिक नामक जिस नाबालिग लड़के के साथ लड़की भागी थी, वो उसका दोस्त था। रितिक गांव के पास रिंग रोड के किनारे गाड़ियों की धुलाई करने वाली एक फर्म में काम करता था।”

परिजनों का आरोप है कि, “हत्या के दो दिन पहले रितिक के चाचा संदीप ने दानूपुर गांव में नागा बाबा मंदिर के पास नितेश मौर्य के साथ मारपीट की थी। इस मामले में बीजेपी के एक नेता का हाथ है, जो नितेश की हत्या के पीछे हैं।

उनके मुताबिक, पुलिस इस नेता को बचाने के लिए मामले को आत्महत्या का रूप देने का प्रयास कर रही है। ग्रामीणों के मुताबिक, दानूपुर गांव के सामने करीब दो सौ मीटर के फासले पर श्रम मंत्री अनिल राजभर की एक नई इमारत खड़ी की जा रही है।”

नितेश के बड़े भाई अनिल मौर्या ने इस संबंध में शिवपुर थाने में तहरीर दी है। तहरीर के आधार पर पुलिस ने दांनूपुर निवासी संजय, सुनील, संदीप, अनिल गोंड़ और प्रद्युम्न गोंड़ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (शव को छुपाने के प्रयास) के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

नामजद पांच आरोपियों सहित 13 लोगों से लंबी पूछताछ के बाद भी शिवपुर थाने की पुलिस और एसओजी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

इस संबंध में वरुणा जोन के डीसीपी चंद्रकांत मीना मीडिया से कहते हैं, “किशोरी के साथ लापता हुए रितिक गौड़ (नितेश का दोस्त) को अलीगढ़ से लाकर पुलिस ने पूछताछ की, लेकिन कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा।

पुलिस अब जमीन विवाद और आशनाई को भी वारदात की वजह मानकर पड़ताल कर रही है। पुलिस की पूछताछ और सर्विलांस की मदद से अब तक की पड़ताल में ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिल पाया है, जिसके आधार पर पांचों नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सके।”

12 दिन बाद सौंपी रिपोर्ट

नितेश के भाई अनिल मौर्या ने इस पूरे मामले की जड़ एक किशोर और किशोरी के भागने की घटना को बताया। उन्होंने कहा कि इस घटना में नितेश का नाम जोड़कर पहले उसे मारा-पीटा गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई।

भाई के खोने के बाद उदास नितेश मौर्य का भाई अनिल मौर्य

इस हत्या में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है, क्योंकि वह कुछ भी साफ-साफ कहने से बच रही है। अब उन्हें पुलिस की किसी भी कार्रवाई पर भरोसा नहीं है।

अनिल कहते हैं, “शिवपुर थाना पुलिस नितेश की हत्या को आत्महत्या का मामला बता रही है, जो कि पूरी तरह से गलत है। पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट उन्हें 12 दिनों बाद सौंपी। इस मामले का मुख्य सूत्रधार बीजेपी नेता और वार्ड नंबर-20 का पार्षद अभय प्रजापति है”।

मृतक नितेश का घर

“पुलिस ने इस नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, और उनके अनुसार पुलिस पर ऊपर से राजनीतिक दबाव है, जिसके चलते निष्पक्ष जांच नहीं हो पा रही है।” हालांकि पार्षद अभय प्रजापति का कहना है कि इस घटना के उनका कोई लेना-देना नहीं है।

वह कहते हैं, “इस केस से हमारा संबंध सिर्फ इतना है कि यह वारदात जिस जगह हुई है वह हमारे वार्ड का हिस्सा है। घटना के बाद हम मौके पर पहुंचे थे और हर संभव मदद देने का वादा किया था।

नितेश की बहन अनीता मौर्या ने बताया कि जब पुलिस नितेश को खोजते हुए उनके घर आई थी, तभी उन्होंने यह बात कही थी कि “तुम्हारा भाई अब कभी वापस नहीं आएगा।” इस कथन ने परिवार को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि पुलिस पहले से ही यह मानकर चल रही थी कि नितेश की मौत हो चुकी है।

अनीता का कहना है कि इस बयान के बाद उन्हें पुलिस पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं रहा।” अनीता ने बताया कि कचहरी प्रदर्शन से एक दिन पहले शिवपुर के थानाध्यक्ष उदयवीर सिंह हमारे परिवार के लोगों को नौकरी का प्रलोभन देकर आंदोलन-प्रदर्शन रुकवाने आए थे।

नितेश मौर्य की मौत से पहले उसका दोस्त रितिक एक किशोरी को लेकर गत 19 सितंबर को लापता हो गया था। कहा जा रहा है कि एक साथ दो किशोरियां घर से भागी थीं। दोनों किशोरियों को पुलिस ने अलीगढ़ से बरामद कर लिया है।

रितिक को भी पकड़ लिया गया है। इसी मामले में बुलंदशहर के खुर्जा के निवासी विनय गिरि को पकड़ा है। किशोरी के पिता की तहरीर पर विनय गिरि के खिलाफ शिवपुर थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया था।

सूत्र बताते हैं कि, नितेश की हत्या के नेपथ्य में जिस किशोरी का नाम बीजेपी नेताओं से जोड़ा जा रहा है वह लोढ़ान गांव की रहने वाली बताई जा रही है। नितेश मौर्य की हत्या के मामले में नामजद अभियुक्त संजय गोंड़ एक बीजेपी नेता की गाड़ियां चलाया करता था।

यूपी के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर से उस नेता के करीबी संबंध बताए जा रहे हैं। इन्हीं नजदीकियों के चलते इस मामले में श्रम मंत्री अनिल राजभर का नाम उछाला जा रहा है।

हत्या का कारण संदिग्ध

नितेश की मौत के मामले में पुलिस की जांच पर तल्ख सवाल उठाए जा रहे हैं। परिवार का आरोप है कि पुलिस महकमे के तहत सही तरीके से जांच नहीं की जा रही है और इस मामले से आत्महत्या करार देकर बंद करने की कोशिश कर रही है।

नितेश की मौत को लेकर परिवार के सवालों और आरोपों का अब तक पुलिस ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। परिवार द्वारा बार-बार सीबीआई जांच की मांग की जा रही है, ताकि नितेश की मौत के असली कारणों का पता लगाया जा सके और दोषियों को सजा मिल सके।

नितेश मौर्य की मौत के मामले पर शिवपुर थाने से घटना के कारणों के बारे में पूछा गया, तो पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। पुलिस ने यह भी कहा कि सीसीटीवी फुटेज में नितेश को हाथ में पेट्रोल लिए देखा गया है, जो आत्महत्या के दावे को पुष्ट करता है।

प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन पुलिस ने यह भी कहा कि अभी उनकी जांच जारी है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, तथ्यों का खुलासा होगा।

पुलिस के अनुसार, हाल ही में एक किशोरी के अपहरण के मामले में शिवपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें नितेश संदिग्ध था। पुलिस की छानबीन के दौरान, नितेश पर शक गहराया, जिसके बाद 20 सितंबर की रात वह रिंग रोड के किनारे स्थित एक पेट्रोल पंप पर पहुंचा और वहां से तीन बोतल पेट्रोल खरीदा।

उसी रात, जब पुलिस नितेश के घर उसके एक दोस्त के परिजनों के साथ पहुंची, तो वह डरकर बाउंड्री वॉल फांद कर भाग गया। पुलिस का दावा है कि इसके बाद नितेश ने आत्मघाती कदम उठाया।

पुलिस के मुताबिक ये पार्टिकल तभी अंदर जाते हैं, जब इंसान की जलकर मौत हुई हो, अगर मरने के बाद उसे जलाया जाए तो ये पार्टिकल अंदर नहीं जा सकते। जांच से लग रहा है कि ये ‘हादसा है।’

लाश जलती रही, किसी को पता नहीं चला

पुलिस की कहानी में कई तरह के पेंच हैं। नितेश मौर्य की लाश जिस स्थान पर झाड़ी में बरामद हुई थी वह स्थान रिंगरोड के किनारे हैं। शरीर करीब 90 फीसदी जल चुका था। नितेश के चाचा संतोष मौर्य “जनचौक” से कहते हैं,

“जिस तरह से नितेश जला है, वो दस-पांच मिनट या आधे घंटे में नहीं जला होगा। उसको जलने में घंटों लगे होंगे। कोई भी जलता है तो चिल्लाता है और लोग कह रहे हैं हमें पता नहीं चला? यह कैसे हो सकता है? पहले नितेश को मारा गया होगा और बाद में उसे जलाया गया होगा?”

“ऐसा कैसे हो सकता है कि एक इंसान इतनी बुरी तरह जल जाए और चिल्लाए भी नहीं और किसी को पता भी न चले? दानूपुर बस्ती के पास घटना हुई। आग लगी, पर किसी ने तो देखा और न ही जलने की दुर्गंध आई। घटना स्थल को देखने से घटना सुसाइड नहीं प्रतीत होती है”।

“हमें लगता है कि नितेश को मारने के बाद जलाया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नितेश की मौत का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है। यह रिपोर्ट 12 दिन बाद परिजनों को क्यों सौंपी गई? दलितों और पिछड़ों पर अत्याचार होता है तो शासन-प्रशासन उसे दबाने की कोशिश करता है और वही नीतियां यहां चल रही हैं।”

नितेश के परिवार को पुलिस के इस बयान और प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों पर विश्वास नहीं है। उनका कहना है कि नितेश की हत्या को पुलिस जानबूझकर आत्महत्या बताने की कोशिश कर रही है। उनका आरोप है कि पुलिस यह सब सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों के दबाव में कर रही है।

उन्होंने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। फिलहाल, पुलिस ने जांच का हवाला देते हुए इस पर कोई और टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

नितेश के परिवार का यह भी आरोप है कि पुलिस की जांच में पारदर्शिता की कमी है और वास्तविक दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। इस बीच, नितेश के परिवार और स्थानीय लोगों द्वारा इस मामले की गहराई से जांच और न्याय की मांग की जा रही है।

परिजनों का कहना है कि उनका बेटा किसी भी सूरत में हत्याकांड में एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी से जुड़े नेताओं का हाथ है, और इसी वजह से पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है।

हालांकि, पुलिस का कहना है कि वह मामले की हर कोण से जांच कर रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ-साथ फोरेंसिक जांच की मदद भी ली जा रही है, ताकि मामले की सच्चाई का खुलासा हो सके।

फिलहाल नितेश मौर्या की मौत एक रहस्यमय घटना बन चुकी है, जिसमें पुलिस और परिवार के बीच गंभीर मतभेद हैं। पुलिस जहां इसे आत्महत्या मान रही है, वहीं परिवार इसे हत्या करार दे रहा है और बीजेपी नेताओं को इस मामले में संलिप्त बता रहे हैं। इस घटना को लेकर मृतक नितेश मौर्य के परिजनों में गहरा दुख और भारी आक्रोश व्याप्त है।

राजनीतिक चर्चा का विषय बना केस

नितेश की मौत का मामला अब राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का एक प्रमुख विषय बन गया है, और परिवार की लगातार सीबीआई जांच की मांग ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। पीड़ित परिजनों से मिलने पहुंचे चंदौली के सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा कि-

“पुलिस की कहानी में बहुत झोल है। पुलिस जो कुछ बता रही है, वो किसी के गले से नीचे नहीं उतर रही है। आखिर वह क्यों नहीं बताती कि रितिक नामक जिस लड़के के साथ नाबालिक लड़की गायब हुई है वो कहां है? अगर कहीं गिरफ्तार किया गया है तो पुलिस उन्हें बनारस लेकर क्यों नहीं आ रही है”? 

न्याय के लिए प्रदर्शन करतीं महिलाएं

“इस साल शिवपुर थाना क्षेत्र में कई लड़कियां लापता हुई हैं, जिनमें से कई का अभी तक सुराग नहीं लग सका। पुलिस ने उन घटनाओं से संबंधित फाइलें दफ्तर दाखिल कर दी हैं। हमें लगता है कि बनारस कमिश्नरेट पुलिस न्यायदर्शी नहीं है, अन्यथा नितेश के कातिल घटना के तत्काल बाद पकड़ लिए गए होते।”

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर सांसद बाबू सिंह कुशवाहा के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम नितेश के घर जाकर घटना और पुलिस की कार्रवाई की जानकारी ले चुकी है। इससे पहले यूपी के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य वासुदेव मौर्य पीड़ित परिवार से मिल चुके हैं।

वासुदेव ने शिवपुर थानाध्यक्ष उदयवीर सिंह से बात की तो बताया गया कि सीसी कैमरों की फुटेज और सर्विलांस के साथ ही मुखबिरों की मदद से वारदात की गुत्थी सुलझाने का प्रयास जारी है।

कुशवाहा मौर्य शाक्य सैनी कल्याण एसोसिएशन ने नितेश मौर्य हत्याकांड और प्रिया देवी मौर्य आत्महत्या मामले में समाज के नेताओं की घटिया मानसिकता के खिलाफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजने की घोषणा की है। एसोसिएशन इन दोनों दर्दनाक घटनाओं की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष गिरीश चंद्र कुशवाहा ने बनारस के नितेश हत्याकांड पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि सरकार और प्रशासन में कुछ दबंग लोग कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहे एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया तो सड़कों पर आंदोलन किया जाएगा। 

इस मुद्दे पर 15 नवंबर को लखनऊ में एक बैठक भी बुलाई गई है, जिसमें पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए चर्चा की जाएगी।

खुशी पाल केस में भी हुआ था खेल

इसी साल दानियालपुर गांव की नाबालिग छात्रा ख़ुशी पाल के गायब होने के मामले में भी शिवपुर थाना पुलिस लीपापोती कर रही है। इस लड़की की बरामदगी के लिए कुछ महीने पहले ऐपवा और दखल संगठन ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए प्रदर्शन किया था। 

खुशी पाल की बरामदगी के लिए प्रदर्शन

17 वर्षीया खुशी पाल शिवपुर स्थित राघव राम बालिका इंटर कालेज में 11वीं की छात्रा थी। मां अभिलाषा पाल गांव में ही खेतिहर मज़दूर हैं और उसके पिता संतोष पाल बढ़ई का काम करते हैं।

खुशी की मां अभिलाषा रह-रहकर सिहर उठती हैं और रोते हुए कहती हैं, “पुलिस ने कहा था कि हमें पचास हजार रुपये दे दो। हम एक हफ्ते के अंदर तुम्हारी लड़की को ढूंढ लाएंगे। हम पैसे नहीं जुटा सके तो हमारी बेटी भी नहीं मिली।”

“खुशी पाल 12 अप्रैल 2024 को गायब हुई। काफी भाग-दौड़ के बाद भी शिवपुर थाना पुलिस ने रपट नहीं लिखी। बाद में चार हजार रुपये सुविधा शुल्क लेने के बाद 22 अप्रैल 2024 को हमारी बेटी के लापता होने की सूचना गुमशुदगी में दर्ज की। लड़की को गायब करने वाले अभियुक्तों के बारे में हमने पुलिस को पुख्ता जानकारी दी, लेकिन उनके खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज नहीं किया गया”।

“इतना ही नहीं, हमारे घर से शिवपुर तक जाने वाले सभी रास्तों पर कई जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें भी खंगालने की जरूरत नहीं समझी। सिर्फ पैसे की डिमांड की जाती रही। हमें झूठा आश्वासन दिया जाता रहा कि जल्दी ही तुम्हारी लड़की को ढूंढकर ला देंगे। पता नहीं खुशी कहां और किस हाल में है? वो जिंदा है अथवा उसकी हत्या कर दी गई है?”

खुशी पाल प्रकरण में कोताही बरतने और इस मामले को पेचीदा बनाने पर शिवपुर के पूर्व थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर रविशंकर मिश्र, चौकी इंचार्ज बालक राम को निलंबित किया जा चुका है। इस मामले की जांच अब दरोगा अनिल सिंह को सौंपी गई है।

खुशी केस में ढेरों अबूझ पहेलियां हैं, जिनका पुलिस और प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है। छात्रा की मां अभिलाषा ने जनचौक से कहा-

“हम खेतिहर मजदूर हैं। अगर खुशी बड़े घर की बेटी होती तो पुलिस उसे न जाने कब की ढूंढ चुकी होती। दरोगा बालक राम चौकी में बैठे थे और बाहर सिपाही मनोज पांडेय हमारी बेटी को ढूंढने के लिए हमसे सौदा कर रहा था। इसी सिपाही के जरिये दरोगा बालक राम ने हमसे पहले पचास हजार रुपये और दबिश देने के लिए गाड़ी का पेट्रोल व अन्य खर्च की डिमांड की थी।”

वरिष्ठ पत्रकार विनय मौर्य कहते हैं, “नितेश की हत्या को शिवपुर थाना पुलिस ने एक तरफ संदिग्ध बना दिया है, वहीं खुशी पाल के मामले में भी यहां की पुलिस को अभी तक कुछ भी नहीं मिल पाया है। इस तरह की घटनाएं उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रही हैं, जिनमें से कुछ की रिपोर्ट दर्ज होती हैं और कुछ पीड़ित परिवारों को पुलिस डांट-फटकार कर भगा देती है”।

“अगर किसी वारदात में किसी मंत्री-नेता का हाथ उजागर होता है तो पुलिस द्वारा हत्या को आत्महत्या करार दे दिया जाना बेशर्मी की पराकाष्ठा है। प्रदेश सरकार की नाक के तले इतनी बड़ी संख्या में लड़कियां कैसे गायब हो रही हैं? इन सवालों का जवाब तो सरकार और पुलिस प्रशासन को ही ढूंढ़ना होगा। साथ ही नितेश मौर्य जैसे पेचीदे मामले में योगी सरकार को सीबीआई जांच की संस्तुत करनी चाहिए, ताकि असली कातिल पकड़े जा सकें।”

(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author