ड्रग्स मामले में गिरफ्तार एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। एक महीने से जेल में बंद रिया ने लोअर कोर्ट से दो बार अर्जी खारिज होने के बाद हाई कोर्ट में अपील की थी। रिया चक्रवर्ती को एक लाख रुपये के बॉन्ड पर जमानत दी गई है। सैम्युल मिरांडा और दीपेश सावंत को भी बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। रिया के भाई शोविक चक्रवर्ती और अब्दुल बासित की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। एनसीबी ने कहा है कि जिन्हें भी कोर्ट ने बेल दी है, वो उसके खिलाफ अपील करेगी।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने इन सभी के खिलाफ केस पंजीकृत किया था, जिसमें आरोप था कि उन्होंने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को ड्रग्स खरीदने में मदद की थी। जस्टिस सारंग वी कोतवाल की एकल पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद 29 सितंबर को जमानत के आदेशों को सुरक्षित रख लिया था। आरोपियों के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 की धारा 8 (सी), 20 (बी) (ii), 22, 27 ए, 28, 29 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि रिया को रिहा होने के बाद अपना पासपोर्ट जमा करवाना होगा। वह बिना इजाजत विदेश यात्रा नहीं कर सकेंगी। यदि वे मुंबई से बाहर जाती हैं तो उन्हें इससे पहले जांच अधिकारी को इस बारे में सूचित करना होगा। साथ ही पुलिस स्टेशन में 10 दिन में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाना होगी। इससे पहले सेशन कोर्ट ने मंगलवार को रिया की ज्यूडिशियल कस्टडी 14 दिन और, यानी 20 अक्तूबर तक बढ़ा दी थी।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच के सिलसिले में सामने आए ड्रग्स केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने 8 सितंबर को रिया को गिरफ्तार किया था। उन्हें भायखला जेल में रखा गया है। एनसीबी ने रिया और उनके भाई शोविक की जमानत का विरोध किया था। जांच एजेंसी ने कोर्ट में दिए एफिडेविट में कहा था कि रिया और शोविक ड्रग्स सिंडिकेट के एक्टिव मेंबर हैं और कई हाई सोसाइटी लोगों और ड्रग्स सप्लायर्स से जुड़े हैं। इन पर धारा 27ए लगाई गई है, इसलिए इन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए। एनसीबी ने कहा कि रिया ने ड्रग्स खरीदने की बात कबूल की है। उन्होंने माना कि ड्रग्स खरीदने के लिए मिरांडा, दीपेश सावंत और शोविक से कहा था।
एक्ट्रेस के वकील सतीश मानशिंदे ने अदालत में कहा था कि रिया के सुशांत की लाइफ में आने से पहले ही वे ड्रग्स लेते थे। सुशांत को ड्रग्स की लत थी। यह बात तीन एक्ट्रेस कह चुकी हैं। रिया की तरह ही श्रद्धा कपूर और सारा अली खान ने कहा है कि सुशांत 2019 से पहले से ड्रग्स लिया करते थे। एनसीबी ने दावा किया कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के पूरे मामले को देखने में यह सामने आता है कि रिया यह बात जानती थीं कि सुशांत ड्रग्स का सेवन करते थे और इस दौरान न केवल उन्हें ऐसा करने के लिए बढ़ावा दिया गया बल्कि उनसे पूरी बात भी छिपाई गई।
एनसीबी ने रिया को शातिर अपराधी मानते हुए उनकी जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि उनके खिलाफ ऐसे कई सबूत मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि वह ड्रग्स ट्रैफिकिंग में शामिल रही हैं। एनसीबी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एक आपराधिक साजिश के तहत रिया ने ड्रग्स के लेन-देन के लिए अन्य आरोपियों का समर्थन किया, उन्हें ऐसा करने के लिए बढ़ावा दिया और पैसे से भी उनकी मदद की।
एनसीबी के जोनल निदेशक समीर वानखेड़े द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक हलफनामे में यह बात कही है कि रिया ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने सैमुएल मिरांडा और दीपेश सावंत को ड्रग्स के पैसे चुकाए हैं, जिन्हें बाद में सुशांत को सेवन के लिए दिया गया। एनसीबी ने कहा कि यह साफ है कि जिन ड्रग्स के लिए पैसे चुकाए गए थे, वे निजी उपयोग के लिए नहीं थे, बल्कि ऐसा किसी और को इनकी आपूर्ति कराए जाने के लिए किया गया और यह एनडीपीएस 1985 की धारा 27ए के तहत आता है।
अभियुक्तों की ओर से वकीलों, एडवोकेट तारक सईद (परिहार के लिए), सतीश मानशिन्दे (रिया और शोविक के लिए), सुबोध देसाई (मिरांडा के लिए) और राजेंद्र राठौड़ (सावंत के लिए) ने दलील दी थी कि एनसीबी के पास कोई ऐसा मामला नहीं है कि आरोपी ड्रग्स का सेवन करते हैं। धारा 37 (1) एनडीपीएस एक्ट के तहत जमानत नहीं देने का प्रावधान मौजूदा मामले में लागू नहीं होता है, क्योंकि अपराध कम मात्रा से संबंधित हैं। एनसीबी ने धारा 27 ए के तहत ‘अवैध व्यापार का वित्तपोषण’ और ‘अपराधी को शरण देने’ के अपराध का गलत आरोप लगाया है।
आरोपी केवल सुशांत के निर्देशों का पालन कर रहे थे, और मौजूदा मामले के मुताबिक, उनके लिए कुछ ग्राम गांजा खरीदा गया था, इसलिए यदि सुशांत, जिसे लाभ हुआ, केवल छोटी मात्रा से संबंधित अपराध के लिए दंडनीय है, तो आरोपी को ऊंची सजा नहीं दी जा सकती। धारा 27A में न्यूनतम दस साल कैद की सजा है। नशीली दवाओं के सेवन पर न्यूनतम छह महीने की कैद या अधिकतम एक साल की कैद की सजा का प्रावधान है।
वकीलों का तर्क था कि आरोपी यदि धारा 64 ए के तहत पुनर्वास का इच्छुक है तो सजा से बचा जा सकता है। आरोपी पर अपराधी को शरण देने का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि सुशांत अपने घर में ही था और आरोपी उसके साथ ही रह रहे थे।
एनसीबी ने हलफनामे में यह भी कहा था कि जांच महत्वपूर्ण चरण में है और अगर इस वक्त रिया को जमानत मिल जाती है, तो इससे छानबीन बाधित होगी। एनसीबी ने यह भी कहा कि रिया मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल रही हैं, यह साबित करने के लिए कई सबूत हैं। वह ड्रग पहुंचाने के काम में न सिर्फ मदद देती थीं, बल्कि क्रेडिट कार्ड, नकद और ऐसे ही कई माध्यमों से इनका भुगतान भी करती थीं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों की जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)